धरती पर क्या क्या मंजर फैला है
आज लगा यहाँ लाशों का मेला है
ऐसे तो जनाजे को लेकर इंसान आता है
पर
मुर्दे को आग देने आज मुर्दा आया है
जिन्दा थे तो सब कहते थे तू मेरा है
लेकिन
इस शमशान में आज शिर्फ़ मुर्दों का डेरा है
कल
दूसरों के तमाशे में हम तमाशबीन बने
उसी दहशत के निशाने पर आज घर मेरा है.....
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bahut shandar rachana ..likhte rahiye...
जवाब देंहटाएंदूसरों के तमाशे में हम तमाशबीन बने
जवाब देंहटाएंउसी दहशत के निशाने पर आज घर मेरा है.....
अनुपम रचना!!!