सन्त गाडगे को नमन
कबीर, रैदास की परम्परा को आगे ले जाने वाले, पाखंडवाद, जातिवाद, छुआछूत, कर्मकांड, मूर्ति पूजा, खोखली परम्पराओं का आजीवन विरोध करने वाले सन्त गाडगे को अवतरण दिवस पर नमन, वंदन। धोबी जाति में जन्मे सन्त गाडगे कहते थे कि मानव एक समान हैं। एक दूसरे के साथ भाईचारे एवं प्रेम का व्यवहार करो। वे हमेशा अपने साथ एक झाडू रखते थे और बिना झिंझक सफाई करने लग जाते थे। वे उस दौर में स्वच्छता का संदेश दे रहे थे। और,,,कहते थे कि-
‘‘सुगंध देने वाले फूलों को पात्र में रखकर भगवान की पत्थर की मूर्ति पर अर्पित करने के बजाय चारों ओर बसे हुए लोगों की सेवा के लिए अपना खून खपाओ। भूखे लोगों को रोटी खिलाओ, तो तुम्हारा जन्म सार्थक होगा। पूजा के उन फूलों से तो मेरा झाड़ू ही श्रेष्ठ है।’’ अंधभक्ति और धार्मिक कुप्रथाओं से बचने की सलाह देते रहे। ऐसे सन्त के उपदेश और विचार आज भी प्रासांगिक हैं।
कबीर, रैदास की परम्परा को आगे ले जाने वाले, पाखंडवाद, जातिवाद, छुआछूत, कर्मकांड, मूर्ति पूजा, खोखली परम्पराओं का आजीवन विरोध करने वाले सन्त गाडगे को अवतरण दिवस पर नमन, वंदन। धोबी जाति में जन्मे सन्त गाडगे कहते थे कि मानव एक समान हैं। एक दूसरे के साथ भाईचारे एवं प्रेम का व्यवहार करो। वे हमेशा अपने साथ एक झाडू रखते थे और बिना झिंझक सफाई करने लग जाते थे। वे उस दौर में स्वच्छता का संदेश दे रहे थे। और,,,कहते थे कि-
‘‘सुगंध देने वाले फूलों को पात्र में रखकर भगवान की पत्थर की मूर्ति पर अर्पित करने के बजाय चारों ओर बसे हुए लोगों की सेवा के लिए अपना खून खपाओ। भूखे लोगों को रोटी खिलाओ, तो तुम्हारा जन्म सार्थक होगा। पूजा के उन फूलों से तो मेरा झाड़ू ही श्रेष्ठ है।’’ अंधभक्ति और धार्मिक कुप्रथाओं से बचने की सलाह देते रहे। ऐसे सन्त के उपदेश और विचार आज भी प्रासांगिक हैं।
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