पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली से विवेक का साक्षात्कार
कैव्स टुडे के लिए
विवेक- आपके स्टेडियम पार वाले छक्के, आज भी याद आते हैं. अगला गांगुली किसमे देखते हैं?
गांगुली- धोनी तो मारता है लम्बे छक्के, मेरी नज़रों में अगला गांगुली रोहित शर्मा, मनोज कुमार है.
विवेक - क्रिकेट में और कब तक?
गांगुली - दो साल शायद और खेलूँ . वैसे भी अभी यंग ही हूँ. आने वाला आई पी एल खेलूंगा.
विवेक - हरभजन को भारतीय टीम से बाहर किया जाना उचित है?
गांगुली - बिल्कुल उचित फैसला है. लेकिन मुझे उम्मीद है की वे जल्द ही टीम में फिर लौटेंगे. अपनी जगह बनायेंगे. पिच पर वही रहेगा जो फिट है.
विवेक- भारतीय टीम लगातार हार के बाद १४ अक्टूबर को इंग्लैंड से जीती है. जीत को किस रूप में देख रहे हैं?
गांगुली - देखिये बहुत साफ़ है की हम अपने देश में हमेशा क्रिकेट में मजबूत रहे हैं. हमे आगे के फोरेन टूर व् सिरीज के बारे में सोचना होगा. थोडा आराम ज़रूरी है,
विवेक- इस मैच से पहले आपने कहा, धोनी को आराम की जरूरत है. लेकिन मैच के कर्ण तो धोनी ही बन गए?
गांगुली - जी सही बात है. मैंने कहा था फिर कह रहा हूँ की धोनी को आराम करना चाहिए. वे आराम डिजर्वे करते हैं. आगे कई महत्वपूर्ण सीरीज है. इसलिए उन्हें खुद बैठना चाहिए.
विवेक - शोएब अख्तर ने अपनी बुक ( कंट्रोवर्सली योर्स) में बताया है की सचिन को उनकी गेंद से डर लगता है ?
गांगुली - यह सही बात नहीं है, सचिन उनकी गेंद से कभी नहीं डरे.
विवेक - और आपको ?
गांगुली - बहुत ज्यादा ? मज़ाक में कह रहा हूँ गंभीरता से मत सोचिये.
विवेक - शोएब ने अपनी बुक में आपको ग्रेट प्रसनालिटी बताया है? आप उन्हें क्या कहेंगे ?
गांगुली- मै उन्हें इतना ही कहूँगा की वे खुश रहे, शांत रहे. अच्छे प्लयेर हैं शोएब. हालंकि उनकी किताब पढना अभी बाकी है.
विवेक - पाकिस्तान अच्छे गेंदबाज देता है लेकिन भारत नहीं क्यूँ ?
गांगुली- जी सही है, हमारे यहाँ बल्लेबाज निकलते हैं. और अब गेंदबाज भी युवा पीढ़ी में आ रही है.
आगे का पार्ट शीघ्र ही ---(इसी पोस्ट में जोड़ दिया जाएगा )
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जवाब देंहटाएंये हुई न बात..... विवेक भाई बहुत अच्छा लगा ये एक्सक्लूसिव इंटरव्यू। ये इंटरव्यू मेरे लिये, कैव्स के लिए, पूरे माखनलाल युनिवर्सिटी के लिए खुशी और गर्व की बात है। मानना पड़ेगा पटना लाजवाब जगह है......जहां आपको इस तरह का एक्सक्लूसिव काम करने का मौका मिलता है....खैर आगे भी इस तरह काम जारी रहे।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा मित्र...... बस .यू ही चलते चले जा मंजिल की फ़िक्र ना कर, मंजिल एक दिन कदमो में खुद आकर पड़कर कहेगी की में हार गई और तुम जीत गए .............. क्योंकि तुम खुद ही तो कहते हो आवारा हूँ में असमान का तारा हूँ .................... इससे बड़ी और क्या बात हो सकती है ..
जवाब देंहटाएंसोरभ भाई नज़र मजबूत करें
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