टेलीविजन चैनल्स में भूटिया कार्यक्रमों की बाढ़ सी आ गयी है!स्टार न्यूज़ पर आने वाले सनसनी कार्यक्रम पूरी तरह से होर्रोर कार्यक्रम लगता है!इसके एंकर को देख लगता है कि यह सावधान करने नहीं बल्कि कोई अपराधी ही आ गया हो !समाज में इन कार्यक्रमों से क्या प्रभाव पड़ रहा है प्रस्तुत है एक छोटी सी रिपोर्ट -
प्रमुख टेलीविजन चैनल्स
1 स्टार ग्रुप
2 जी ग्रुप
3 सोनी ग्रुप
4 सहारा ग्रुप
5 कलर
6 9 एक्स
7 बिंदास
प्रभाव-
1 बच्चों पर प्रभाव-
अ-मानसिक प्रभाव
ब-शारीरिक प्रभाव
मानसिक प्रभाव- बच्चों का मन कोमल होता है। ऐसे में उनके मन मस्तिष्क पर किसी कठोर दबाव एवं भयपूर्ण बात का इतना ज्यादा असर होता है, वे इस भय से जीवन भर नहीं उबर पाते। उनके मस्तिष्क में रह-रहकर वही बातें घूमती रहती है, जिनसे वे भयभीत रहते हैं। ज्यादातर बच्चे तंत्र-मंत्र विघा में यकीन करने लगते हैं। इस अनुसंधान विधि में मनोरोग चिकित्सकों से बात करके यह पता लगाया जाएगा कि कौन-कौन से मनोरोग, बच्चों में भय से संबंधित हो सकते हैं और उनका क्या निदान है?
शारीरिक प्रभाव- मानसिक प्रभाव से संबंधित शारीरिक प्रभाव भी है। मानिसक रूप से अविकसित बच्चे खुद को शारीरिक रूप से सबल मानते हैं और ऐसे कार्यक्रमों को देखकर वे भी कुछ अपराध करने को तत्पर हो जाते हैं। या फिर ऐसी कहानियों के पीछे क्या रहस्य है? उस रहस्य को उद्घटित करने को अधीर हो उठते है।
2- महिलाओं पर प्रभाव
अ-मानसिक प्रभाव
ब-आर्थिक प्रभाव
अ-मानसिक प्रभाव- बच्चों के बाद यदि किसी का अन्र्तमन कोमल होता है वह है महिला। महिलाएं ऐसे कार्यक्रम या कहानी देखने या सुनने के बाद भय या डर से भर जाती हैं। वे अपनी सुरक्षा के प्रति चिंतित हो उठती है। कई बार तो ये कहानियां किसी महिला के जीवन से थोड़ा बहुत मेल भी खा जाती है तो ऐसे में महिलाएं उस कार्यक्रम के पात्र की जगह पर खुद को रखकर सोचती हैं। ऐसे में उनका जीवन नीरस एवं बोर होने लगता है। अत्यधिक भय बढ़ जाने से एवं गुमसुम रहने से कभी-कभी उनके दाम्पत्य जीवन में भी उतार-चढ़ाव जैसे पहलू सामने आने लगते हैं।
ब-आर्थिक प्रभाव- हारर कार्यक्रमों के देखने के बाद महिलाएं बहुत ज्यादा भयभीत हो जाती हैं। खुद की गलती से या महज इत्तफाक से यदि किसी वस्तु के गिरने की आवाज आती है तो वे किसी अनिष्ट की आश्ांका व्यक्त करने लगी है और इस अनिष्ट को टालने के लिए वे सहारा लेती हैं तंत्र-मंत्र जादू टोने का। तांत्रिक उनसे इसके एवज में मोटी रकम वसूलता है। जिससे उनका आर्थिक नुकसान होता है।
3-बुजुर्गों पर प्रभाव-
अ-मानसिक प्रभाव
ब-शारीरिक प्रभाव
अ-मानसिक प्रभाव- बुजुर्ग व्यक्ति अपने भविष्य के प्रति सश्ांकित रहते हंै। ऐसे कार्यक्रम देखने पर वे अपने पुनर्जन्म एवं मोक्ष के प्रति आशंकित हो उठते हैं। वृद्धावस्था में कार्य के अभाव में वे अपने मन में भयभीत करने वाली कहानी की सोच में डूबे रहते हैं।जिसके कारण तनाव, पक्षाघात, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी जन्म लेती हैं।
ब-शारीरिक प्रभाव- कार्यक्रम के तनाव से ग्रस्त होकर सोचने की उधेड़बुन में लगे रहने से हार्ट की बीमारी होने की प्रबल संभावना होती है।
4-संस्कृति पर प्रभाव
अ-लोगों के व्यवहार में बदलाव एवं कारण-इन कार्यक्रमों से किस प्रकार लोगों का जनमानस का मानसिक स्तर, शारीरिक क्षमता प्रभावित हो रही है। यह प्रभाव नकारात्मक है या सकारात्मक, इन सारी बातों पर शोध के दौरान विश्लेषण किया जाएगा।
किस तरीके से ये कार्यक्रम उनके स्तर को उठाने या गिराने में कामयाब होती हैं और इसके बाद लोगों की क्या प्रतिक्रियाएं होती है? उनकी चपेट में कौन-कौन लोग आते हैं। सारी बातों का उल्लेख शोध के दौरान किया जाएगा।
6-चिकित्सक के पहलू- एक चिकित्सक, रोगी के सारे पहलुओं से वाकिफ होना चाहता है, ताकि वह रोगी का सफल उपचार कर सके। डरावने एवं भयावह कार्यक्रमों के प्रभाव से लोगों में कौन-कौन मनोरोग उत्पन्न हो रहे हैं। उनका निदान क्या है? उन मनोरोगों से बचने का क्या उपाय है। सारी बातों को एक चिकित्सक से वार्ता करके शोध में समाहित किया जाएगा।
7-मुख्य हारर कार्यक्रम/फिल्म एवं विश्लेषण
धारावाहिक-
1- आहट
2- शुभ कदम
3- श्री
4- श्...श कोई है
5- श्...श फिर काई है
6- ब्लेक
7- कोई आने को है
8- कहानी सत्य घटनाओं की
फिल्म-
1-राज
2-दस कहानियां
3-राज-2
3-जानी दुश्मन (पुरानी)
4-भूल भुलैया
5-13 बी
6-100 डे
7-रात
निष्कर्ष-
हारर कार्यक्रमों/फिल्मों को बनाने वाले निर्देशकों ने शायद आम जनता की नब्ज पकड़ ली है और इनकी सफलता ने यह साबित कर दिया है कि आम लोगों की कहानी चाहे वह मनगढ़त क्यों न हो, लोगों को प्रभावित करती है एवं अपनी ओर आकर्षित करती है।
मानव हृदय में सारी भावनाओं के लिए अलग-अलग कोना होता है। एक कोना इनमें से भय का भी है। भय चाहे वह अपनी असुरक्षा का हो, कैरियर की असुरक्षा का हो या सम्पत्ति की असुरक्षा का हो। व्यक्ति हमेशा सशंकित रहता है।
इन कार्यक्रमों के कारण लोगों में भय और ज्यादा व्याप्त हो गया है, अंधेरे में जाने से व्यक्ति कतराने लगा है। दरवाजे पर तनिक सी किसी की 'आहट' पाकर वह हर समय "कोई आने को है" की भावना से ग्रसित रहता है। जब उसकी पत्नी या घर का कोई सदस्य उससे कारण पूछता है तो वह "श्..श कोई है" कहकर चुप करा देता है। इन धारावाहिकों में भले ही "कहानी सत्य घटनाओं की" हो या न हो, लेकिन व्यक्ति हमेशा रात में भय से "राज " के साये में सोता है। उस के मस्तिष्क में हमेशा कम से कम "दस कहानियां"घूमती रहतीं है।
इस शोध के माध्यम से लोगों के मन का भूत हटाने के लिए प्रयत्नों एवं कारकों के बारे में बताया जाएगा।
हर घर में "श्री" के "शुभ कदम" पडे, जिससे कोई भी तांत्रिक अपनी तंत्र-मंत्र से उन्हें "ब्लैक" मेल न कर सके और वे तांत्रिकों की "भूल भुलैया" में फंसने से बच सकें।
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