शुक्रवार, 29 जुलाई 2011
इंडिया में कोई ( ज्यादातर नेता ) तब तक ईमानदार हैं....जब तक कि उन्हें बेईमानी का मौका नहीं मिलता....
उपरोक्त बात मैनें बहुत साल पहले अपने एक दोस्त के मुंह से सुना था -
मुझे नहीं मालूम कि उसकी बात किस हद तक सही है.......लेकिन भारत में ज्यादातर नेताओं खासकर मुख्यमंत्रीयों के रिकार्ड को देखें तो बात में कुछ सच्चाई जरूर झलकती है------
तो शुरू करते हैं भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्रि से---इसके बाद अन्य मुख्यमंत्रियों के भी रिकार्ड खंगाला जायेगा...
1- इंदिरा गांधी- अपनी कुर्सी बचाने के लिये आपात काल लगाया....
2- मायावती- इनके खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति का मामला चल रहा है....केंद्र से सौदेबाजी की खबरें आती रहती हैं.....जीतेजी अपनी मुर्ति लगवा कर जनता का करोड़ों रूपया बर्बाद कर रही हैं......
3- मुलायम सिंह यादव---ये जनता के इतने बड़े सेवक हैं कि इन्हे अपने पूरे परिवार में ही जनता दिखाई देती है...इन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को सांसद और भाईयों को विधायक बनवाया...शिवपाल सिंह तो उप्र विधानसभा के विपक्ष के नेता है...मुलायम सिंह जी ने अपनी बहु को भी लोकसभा का चुनाव लड़वाया था...जिनका सपना दलबदलू राजबबर पूरा नहीं होने दिया.....
4- ममता बनर्जी---जो सोनिया गांधी को विदेशी कहकर कांग्रेस से अलग हुई थीं... कुर्सी की खातिर कांग्रेस से ही हाथ मिला बैठीं...रेल मंत्री बनी... और अब उसी तथाकथित विदेशी सोनिया से विधानसभा चुनाव जीतने पर बधाई लेने पहुंच जाती हैं....ये वही ममता बनर्जी हैं जो 22 जुलाई 2008 से 2-3 दिन पहले कहती हैं कि मैने अभी अमेरिका परमाणु करार मसले का अध्ययन नही किया है... अध्ययन करने के बाद तय करुंगी कि वोट किधर दूंगी..... NDA और UPA में से सही कौन है... देश का भला करार पर समर्थन करने में है या विरोध करने में.... ये मुद्दा ममता के लिए नही था....मुद्दा ये रहता तो काफी पहले परमाणु करार का अध्ययन कर ली रहती.... लेकिन वो तो इस बात का इंतजार कर रही थीं कि NDA और UPA में से मजबूत कौन होगा... फायदा सरकार गिराने वालों का साथ देने में है या सत्ताधारी का साथ देने मे....ममता जनता की नेता नही है...कुर्सी की नेता हैं...........
5-लालू प्रसाद यादव----इनके पहचान के लिए चारा घोटाले का नाम ले लेना ही काफी है.....
6-जयललिता--- अपने पिछले कार्य काल में इन्होंने भी बहती गंगा में डूबकी लगायी थी....आय से अधिक सम्पत्ति का मामला इन पर भी है.....
7-येदियुरप्पा---जमीन घोटाले का सम्मान कम था....खनन घोटाला सामने है...
8-मधु कोड़ा--- मधु केवल नाम के ही हैं...करोड़ों रूपये का घोटाला करके जनता पर कोड़ा - ही कोड़ा बरसाया है....
कलमाड़ी.... राजा....कनिमोझी ... ये लोग तो बधाई को पात्र हैं जो भ्रष्टाचार को इतनी ऊंचाई प्रदान की कि यह बड़ा मुद्दा बन पाया....
अंत में यही कहूंगा कि अन्ना हजारे इस देश में डूबते को तिनके के सहारे जैसे हैं....अगर इस बार जनता ने उनका साथ नही दिया तो फिर भारत इन अमीर लालची नेताओं के चगुल से नहीं लिकल पायेगा.....अन्ना जैसा गैर राजनितिक व्यक्ति बार-बार जन्म नहीं लेता.....
जय हिंद....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें