दिल्ली दलही, जयपुर दहला, दहला उत्तर-प्रदेश
नेता शासन कर रहें है बदल-बदल कर भेष
कभी बंगलौर दहला तो कभी दहला पूना
मुंबई तो दहल दहल कर करती रही काम दूना
हर बार गिरकर उठना लोगों की आदत बन गई
इतने पर भी नेताओ की फितरत नहीं सवरी
जनता तो सहती रही हैं
मगर उसे अब लड़ना होगा
मुंह खोलकर कर मुखर होकर अब उसें ये कहना होगा
नहीं कर सकते सुशासन तो छोड़ दो ये आसन
बनता नही हैं हमारा काम देने से केवल भाषण
देश दहला इसकी किसे है चिंता खेल रहें हैं आपस में केवल ब्लेंगेम
इंतज़ार करो नेताओ एक दिन ऐसा आयगा जब दुनिया कहेगी शेम-शेम ..
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