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बुधवार, 13 जुलाई 2011








माम्मू का अधूरा सपना ..........................





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वह कसाब को फासी पर चढाने की राह लम्बे समय से देखता रहा लेकिन हमारे देश के नेताओ की वोट बैंक की राजनीती के कारण मुंबई पर हमला करने वाले आतंकी अजमल आमिर कसाब को फासी पर नही चढ़ाया जा सका ......कसाब को फासी पर चदाये जाने की कसक माम्मू के दिल में व्याप्त थी लेकिन माम्मू की तमन्ना अधूरी रह गई.....





आज जिस माम्मू नाम के शख्स की बात आपसे कर रहा हू ,वह कोई मामूली आदमी नही है...वह देश का एकमात्र जल्लाद था जो उन लोगो को फासी पर लटकाया करता था जिनकी मृत्युदंड की याचिका राष्ट्रपति के द्वारा ख़ारिज कर दी जाती थी...



मीरत के टी पी नगर में रहने वाला माम्मू जल्लाद उत्तर प्रदेश जेल का कर्मचारी था जिसने कई दर्जन लोगो को फासी पर लटकाया था......माम्मू को करीब से जानने वालो का कहना है कि माम्मू हर दिन कसाब को फासी पर चढाने की राह देखता रहा लेकिन उसका सपना पूरा नही हो सका ....माम्मू का पूरा खानदान अरसे से जल्लाद का काम करता आ रहा था ...



माम्मू देवेन्द्र पाल सिंह भुल्लर की दया याचिका खारिज होने के बाद सुर्खियों में आया .......अगर भुल्लर की सजा पर कोई फैसला नही आता तो शायद माम्मू भी सुर्खिया नही बटोरता ..... बहुत कम लोग ये जानते होंगे माम्मू देश का आखरी जल्लाद था और अब उसकी मौत के बाद देश में जल्लादों का संकट पैदा हो गया है .... अपनी मौत से पहले उसने जेल के अधिकारियो से कई बार यह विनती की कसाब को जल्दी फासी पर लटकाया जाए जिससे उसकी तमन्ना पूरी हो सके लेकिन हमारे देश की घिनोनी राजनीती के चलते उसकी मुराद पूरी नही हो सकी और वह खुदा को प्यारा हो गया.....



६६ साल का माम्मू पिछले कुछ समय से बीमार चल रहा था जिसका पता जेल प्रशासन को भी था पर कसाब को फासी पर लटकाने का फैसला जेल वालो को नही बल्कि राष्ट्रपति को करना था ...माम्मू का पूरा खानदान जल्लादी के काम से था....उसके पिता और दादा भी इस काम को कर चुके थे.... उसके पिता कालू ने तो इंदिरा गाँधी के हथियारे कहर सिंह और बलवंत सिंह को फासी पर लटकाया था ....



पिता की मौत के बाद माम्मू ने कई लोगो को अपने हाथो से फासी पर लटकाया ...माम्मू के दादा राम अंग्रेजो के दौर में जल्लाद का काम किया करते थे ... आज़ादी के दौर में कई क्रांतिकारी भी हस्ते हस्ते फासी के तख़्त पर चढ़ गए जिन्हें माम्मू के दादा ने ठिकाने लगाया ... इनमे भगत सिंह , सुखदेव, राजगुरु जैसे क्रांति कारी भी शामिल थे ......आज़ादी के महानायकों को फासी पर चढाने का जो काम माम्मू के दादा ने किया था उससे वह बहुत शर्मिंदा था क्युकि माम्मू के दादा ने यह सब काम फिरंगियों के दबाव में किया था और अंग्रेजी हुकूमत काली चमड़ी वालो से किस तरह बर्ताव करती थी इसकी मिसाल इतिहास में आज भी पढने को मिल जाती है....



माम्मू बार बार कसाब को फासी पर जल्द चदाये जाने की बातें इसलिए करता था क्युकि उसे लगता था अगर उसने इस आतंकी को फासी पर चढ़ा दिया तो उसके पुरखो के सारे पाप मिट जायेंगे और उसको प्रायश्चित करने का एक सुनहरा मौका मिल जाता .....लेकिन माम्मू की ख्वाइश अधूरी ही रह गई......

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