लड़कियों के डर भी अजीब होते हैं
भीड़ में हों तो लोगों का डर
अकेले में हों तो सुनसान राहों का डर
गर्मी में हों तो पसीने से भीगने का डर
हवा चले तो दुपट्टे के उड़ने का डर
कोई न देखे तो अपने चेहरे से डर
कोई देखे तो देखने वाले की आँखों से डर
बचपन हो तो माता-पिता का डर
किशोर हो तो भाइयों का डर
यौवन आये तो दुनिया वालो का डर
राह में कड़ी धुप हो तो,चेहरे के मुरझाने का डर
बारिश आ जाये तो उसमें भीग जाने का डर
वो डरती हैं और तब तक डरती हैं
जब तक उन्हें कोई जीवन साथी नहीं मिल जाता
और वही वो व्यक्ति होता हैं जिसे वो सबसे ज्यादा डराती hai....
भीड़ में हों तो लोगों का डर
अकेले में हों तो सुनसान राहों का डर
गर्मी में हों तो पसीने से भीगने का डर
हवा चले तो दुपट्टे के उड़ने का डर
कोई न देखे तो अपने चेहरे से डर
कोई देखे तो देखने वाले की आँखों से डर
बचपन हो तो माता-पिता का डर
किशोर हो तो भाइयों का डर
यौवन आये तो दुनिया वालो का डर
राह में कड़ी धुप हो तो,चेहरे के मुरझाने का डर
बारिश आ जाये तो उसमें भीग जाने का डर
वो डरती हैं और तब तक डरती हैं
जब तक उन्हें कोई जीवन साथी नहीं मिल जाता
और वही वो व्यक्ति होता हैं जिसे वो सबसे ज्यादा डराती hai....
Eak to ladkio per likhte ho aaur photo lagta ho aaurat ki.......tumne shai likha hai bhai...lekin aaj ki ladkiya dar ke aage jeet hai ye aachi terah janti hai.to is mugalate me mat raho.....:):)
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंलड़की है क्या....रे बाबा...
जवाब देंहटाएंइसकी अदा.....रे बाबा... इस तरह के गीत-संगीत लिख कोई दिक्कत नहीं....बट ललित तुझे आगे से ऐसी बात नही लिखनी है,,,,शादी के बाद डराने वाली बात तो बिल्कुल ही नही,,,,,,ललित मेरे भाई तूं आगे से लड़कियों को उकसाने वाले लेख मत लिखना.....चल दो लाईन मैं ही लिख देता हूं.....क्या पता कोई लड़की मेरे कमेंट को पढ़े और ,मुझे डरा हुआ समजकर---- मुझे ये गाना सुनादे,,,,,,,,,उई अम्मा... उई अम्मा क्यूं करता है....लड़का होके लड़की से क्यूं डरता है....
भाई एक बात तो मै तुझे बताना ही भूल रहा था.....ये लड़कियों की कविता में औरत का फोटो क्यूं लगा रखा है.....खा गया ना गच्चा....अगर ऐसा ही रहा तो कोई चालाक आदमी,,,,लड़की बताकर किसी औरत से तेरी शादी करा देगा...,,,,अब गच्चा का मतलब मत पूछना....मुझे भी नही मालूम,,,,,आवारा टाईप के लड़कों से कभी सुना था....हां देख जब तूं लेखक है,,,,,और तू ही लड़की के नाम से मिस्टेक कर रहा है,,,,लड़की की कविता में औरत का फोटो चस्पा कर रहा है तो सोच आम जनता का क्या होगा......खैर मै बहुत-बहुत ज्यादा लिख चुका हूं,,,,,,लेकिन सिर्फ और सिर्फ इसलिए लिख रहा हूं कि कोई लड़की तेरे लेख को पढ़कर बौरा न जाए....और अगली मायावती....इंदिरा और जयललिता.....बनकर आय से अधिक सम्पत्ति न जुटाए,,,अपनी मुर्ति न लगाए.... आपातकाल लगाकर जनता पर अत्याचार न करे.....,,,,हां किरण बेदी,,,,और सुषमा स्वराज जरुर बने,,,,,चल अब लिखना बंद कर रहा हूं....वर्ना तूं कहेगा कि मै लड़की के बहाने राजनीति करने लगा....और वैसे भी मै इतना लिख चुका हूं कि इतने में एक नया ऑर्टिकल लिख दिया होता......
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