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सोमवार, 11 जुलाई 2011

मैं तिहार हुं


मैं तिहार हुं
अब तक मैं सोचता था की मैं बेकार हुं
लेकिन अब पता चला की मैं माहाघोटालेबाजो का नया संसार हुं
पहले संतरी रहते थे
और अब मंत्री पे महामन्त्री रहते हैं
मुझमें ही रह कर मेरी हवा खाते है
उनके आने से हो गया सब बेकार है
मै तिहार हुं
अब तक सोचता था की मै .............

पहले लुज्जे - लफंगे बदमाश मेरा चक्कर लगते थे
और अब तो पत्रकरों की भरमार है
पहले क्रेन बेदी इसकी पहचान थी
और अब तो कनिमोड़ी ही केंद्र हैं
अब तो धन्ना सेठो की भी भरमार हैं
मैं तिहार हुं
अब तक मैं सोचता था की............

पहले चोरी, डाका, हत्या करके थक कर आये मेहमान आराम फरमाते थे
लेकिन अब तो देश को ही लूट कर आये महाडकैत मुझे में समाते हैं
मैं तो खुद में शर्मशार हुं
क्या करू दोस्तों क्योकि मैं तिहार हुं
अब तक मैं सोचता था............

पहले भोजन सादा था
कभी- कभी कैदिओं का पेट भरता भी आधा था
लेकिन अब तो लोग यहाँ पकौड़े खाते हैं
साथ में सुप्रिटेडेट को भी खिलाते हैं
एक सडी मछली तो कोई गम नहीं
लेकिन यहाँ तो पूरी मछलियाँ ही सड़ी हैं
मेरे चारो तरफ अन्धकार ही अन्धकार है
क्या करूँ दोस्तों मैं, क्योंकि मैं तिहार हुं
अब तक मैं सोचता था की मैं बेकार .................................

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