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बुधवार, 28 सितंबर 2011

रिक्शा विज्ञापन वाला....


हमरी फोटो छाप के का करियेगा? नगीना
बुधवार, २८ सितम्बर रिपोर्टिंग  के लिए निकला, हमारी तनख्वाह से ही काट कर नवरात्रि पर आज ही बोनस मिला था सो जेब गरम थी.  खुद को अमीर समझ रहा था. हालांकि अपनी अमीरी की सीमा रिक्शा तक ही है. ये कुछ बाते निकल कर आई सो आप से बया कर रहा हूँ. ..... www.gaanvtola.blogspot.com 
 
टना राजधानी में रिक्शा चालक सिकंदर और नगीना अब अमीर हो चुके हैं. उन्हें अपनी अमीरी का अंदाजा नहीं था.मैंने पूछा कितना कमाते हैं बताने लगे खाने पीने भर. मैंने कहा खुल कर बताये ,कुछ देर तो चुप रहे फिर बड़ी असकत से बोले दिन भर में  डेढ़ सौ से दो सौ रुपया.मैंने कहा आप तो अमीर हैं, इस पर वे चौके नहीं,एक खास भाव-भंगिमा बनाकर और बड़े ही सहज भाव से बोले-सही कह रहे हैं, मज़ाक उड़ाने के लिए हम ही लोग तो हैं. मैंने कहा ये अमीरी का पैमाना मै नहीं सरकार बता रही है. रोज़ ३२ रुपया कमाने वाले अमीर माने जायेंगे. वे  बोले सरकार- वरकार हम क्या जाने? गरीब आदमी हैं साहब !
बैल का काम करते हैं,  रोज़ कूआं खोदो रोज़ पानी पियो.अपनी यही जिंदगी है. सरकार कौन ची कर रही है हमरे लिए, सब तोह भूखा है.
फिर प्रसंग बदल गया. 
रिक्शा आपका है ? सिकंदर और नगीना बोले-  काश! होता.  
 मालिक का है? हाँ.
 कितना लेते है?  इस सवाल पर दोनों  का चेहरा तिलमिला उठा,  बोले-
अभी हाल से ही तो १० रुपया किराया बढा दिया है, पूरा तीस  रुपया मालिक वसूलता है, कितना मिला इससे मतलब नहीं है.   पिंचर  हो जाए तो खुद झेलो, ग्राहक कम दे तो चुप चाप ले लो, नहीं तो मार खाओ. ऐसे भी अब ग्राहक एसी बस और ऑटो में जाता है, ग्राहक मिलते कहा है. जो मिलते हैं उन्हें लगता है की हम अधिक किराया बता रहे हैं.नगीना बोला हमरे पीछे पांच लोगन का परिवार है. यंहा के कमाई से  से कुछ होता है. १०० रुपया तो अपने पर दिन में खर्च होता है.सिकंदर मुजफ्फरपुर से हैं. नगीना छपरा से. दोनों एक दशक बिता चुके पटना में रिक्शा चलाते. बताते हैं पटना में रिक्शा मालिक की संख्या करीब दो  हज़ार है. सभी के पास औसत 2० रिक्शा है. कोई सप्ताह में पूरा पैसा वसूलता है तो कोई महिना में. इस धंधे में भी नए लोगो की इंट्री बिना जान-पहचान के मुश्किल है. बैंक की तरह गारेंटर चाहिए. रिक्शा के पीछे जो विज्ञापन छपता है उसका ६० रुपया हमी को मिलता है, लेकिन एक विज्ञापन तब तक रहता है जब तक कोई दूसरा मिल न जाए.  हर रिक्शा तीस रुपया किराए के हिसाब से पटना में एक मालिक रोज का600 रुपया व् महीने का १८ हज़ार कम से कम कमाता है, औसत 2० रिक्शा के हिसाब से पटना में २००० मालिकों  के पास कुल ४० हज़ार रिक्शा हैं हर रिक्शा से तीस रूपये किराए के हिसाब से सभी मिलकर  रोजाना एक लाख बीस हज़ार की कमाई करता है.महीने में यह हिसाब ३ करोड़ ६० लाख बैठता है. मार्केट में एक नए रिक्शे की कीमत १२ हज़ार है.
रिक्शे विज्ञापन वाले- 







हमरी फोटो अखबार में छपेगी? सिकंदर 

1 टिप्पणी:

  1. रिक्शा चलाने वाला वाकई में अमीर है....मेहनत से कमाता है और शान से जीता है.....कम से कम उन भ्रष्ट नेताओं की तरह तो लूटकर नहीं खाता है...जो पहले तो भिखारी रहते हैं और सत्ता में आते ही भिखारी से राजा- कलमाड़ी बन जाते हैं...भगवान करें वो बेचारा मेहनत से काम करे और रिक्शा से ऑटो...कार...और बस चलाने- चलवाने लग जाए...vivek bhai कैव्सटूडे को सजाने-संवारने के लिए बधाई और धन्यवाद....

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