भोपाल - सूखा रे सूखा |
कोसी का दर्द |
कही पानी की कमी से लोग मरते हैं, तो कही पानी की अधिकता से. मध्य प्रदेश भोपाल में पानी की कमी से लोगो का खून होता है. बिहार में पानी से लोगो का खून किया जाता है.इसी की बानगी है बिहार 2008 की कोसी बाढ़, लाखो घर पानी की तबाही में बर्बाद हुए, हज़ारो मारे गए. जो बचे वो न्याय की आस लगाए जी रहे है. कुछ ने कहा दैवीय आपदा है. कुछ ने कहा मेरी किस्मत. चालाक हत्यारे गरीबो की इन्ही आह और भोलेपन के पीछे छुपते रहे है. मध्य प्रदेश में भी २६ साल पहले भोपाल गैस त्रासदी का हस्र किसी से छुपा नहीं है. एक पीढ़ी न्याय के आस में दुनिया से जा चुकी है. जो अधमरे बचे लोग है, वो आस लगाए है. न्यायपालिका दोनों जगह फेल हो गयी. बिहार में तो कोसी जांच आयोग बना दिया गया.जो 2009 से अब तक एक करोड़ से अधिक जांच के लिए खर्च कर चुका है. लेकिन कोसी के हत्यारे अभी भी किसी बहुमंजिला इमारत पर पानी से बचने की कोशिश कर रहे है.
अश्विन का महीना है, किसान और कवि घाघ दोनों के मुताबिक़ बारिश का समय है, किसान सीने पर हाथ रख कभी आसमान तो कभी अपने घर तो कभी अपने खेतो को देखते हैं,
कुछ नेता और हत्यारे इस महीने में दीवालो की छूटती पेंट और अपने छोटे लान को देखते हैं.
कई गाँवों में उत्सव- जश्न बारिश की वजह से मनाया जा रहा है, तो कुछ गाँव अभी भी सदमे में है, कही घर न डूब जाए. कुछ नेता और हत्यारे इस अश्विन को रंगीन करने की सोच रहे हैं, बारिश हो और शाम- जाम सजे. आखिर सवाल उठेगा ही पानी रे पानी तेरा रंग कैसा?
बिहार भी २०११ के भादो से अश्विन तक भीग रहा है , धीरे-धीरे बारिश हो रही है. राजधानी को भी डर सताने लगा है. सोचिये कोसी सदमे से जो अभी तक नहीं उबरे उनका क्या होगा? कई गाँवों में गले तक पानी पहुच गया है, लेकिन राजधानी में घुटने तक इसलिए विकास के फलसफे पर काम करने वाले नेता जी को अभी चिंता नहीं है. विकास की मानक बनने का दावा करने वाली राजधानी की स्थिति कुछ फोटो से देखिये, गाँव का क्या होगा अंदाजा लगा लीजियेगा, लेकिन नेता जी के सचिव अभी गणित में उलझे हैं..........
दानापुर - पटना से सटा इलाका (25 सितम्बर,2011 की फोटो) |
25 सितम्बर,२०११ को राजधानी का कुछ ये हाल रहा, ये सभी फोटो कल ही खीची गयी है.
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