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मंगलवार, 20 सितंबर 2011

मैं भी अन्ना तू भी अन्ना ................


घोटालो और भारतीय राजनीती का चोली दामन का साथ रहा है बरसो से यहाँ की राजनीती के बारे में एक जुमला चला आ रहा है जिसके अनुसार यहाँ की राजनीती में सब कुछ जायज है लेकिन बीते एक माह में भारतीयों को अन्ना के रूप में एक ऐसा शख्स मिला है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी आवाज बनकर खड़ा खड़ा हो गया और उसने पूरे देश को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया सही मायनों में शहर दर शहर अन्ना के समर्थन में जिस तरीके से हर तबके का हुजूम उमड़ा उसने हर देशवासी को भ्रष्टाचार से लड़ने को मजबूर कर दिया हमारी आम जिन्दगी में रीति रिवाजो की तरह से शामिल हो चुके भ्रष्टाचार के प्रति आक्रोश तो पहले से ही था लेकिन अभी तक इसे व्यक्त करने की जेहमत कोई नहीं उठा पा रहा था जंतर मंतर पर जन लोकपाल को लेकर अन्ना के अनशन और ५ जून २०११ को रामदेव पर पुलिसिया अत्याचार की कार्यवाहियों ने आम आदमी को भ्रष्टाचार से लड़ने और अपने गुस्से को बाहर निकालने का एक मौका दे दिया ७४ वर्षीय हजारे ने घोटालो से तंग आ चुकी जनता को एकजुट होने का एक मौका दे दिया सही मायनों में भ्रष्टाचार पर अन्ना ने देश के आम आदमी का दिल जीत लिया वह लोगो को ये अहसास करा पाने में कामयाब हो गए भ्रष्टाचार रुपी रावण का संहार हो गया तो घर घर में उजाला होगा और खुशहाली आएगी अन्ना ने जन लोकपाल को लेकर अपनी लड़ाई को "अगस्त क्रांति" के जरिये घर घर तक पहुचने में सफलता पायी इसी के चलते हर तबके के लोगो ने अन्ना के सामने " मै भी अन्ना तू भी अन्ना " के नारे लगाये और पूरी सरकार को झुकने के लिए मजबूर कर दिया

यू भी अन्ना ने अपनी लड़ाई को उसी मैदान से शुरू किया जहाँ कभी जेपी ने सत्ता को "सिंहासन खली करो की जनता आती है" गाकर चुनोती दी थी इसी मैदान पर जहाँ इंदिरा ने पाक के जश्न में १९७२ में रैली की थी वही शास्त्री ने इसी मैदान से जय जवान जय किसान का नारा लगाया था यही नहीं राम न नाम लेकर सत्ता में आई भाजपा ने भी इसी रामलीला मैदान के जरिये अपने अयोध्या आन्दोलन की हुंकार भरी थी अन्ना ने पहली बार किसी गैर राजनीतिक मंच के जरिये जिस तरीके से सत्ता को शीर्षासन कराने को मजबूर कर दिया उसने आम आदमी के सामने भ्रष्टाचार की मशाल को जलाए रखा क्युकि उस आम आदमी के सरोकार इस दौर में बिना बेमानी के हक़ का जीवन जीना चाहते थे

अन्ना के पहले भी इस देश में जेपी, वी पी के बड़े आन्दोलन हुए थे लेकिन उस दौर में संचार साधन पर्याप्त नहीं थे .. आज का दौर ऐसा है जहाँ इन्टरनेट और समाचार चैनलों ने दूरियों को छोटा कर दिया है एक दशक पूर्व तक लोग अख़बार, रेडियो से खबरे पाते थे और इन्ही के जरिये देश के हालातो पर चर्चा किया करते थे लेकिन न्यू मीडिया के आने के बाद स्थितिया बदल गई सोसिअल नेटवर्किंग साईट, वेब , ब्लॉग की दुनिया आज सभी के लिए खुली है जहाँ खुलकर किसी भी मसले पर अपने विचार रखने की आज़ादी है इस देश की ६० फीसदी युवा आबादी ने भी अन्ना के आन्दोलन में भागीदारी कर जैसा उत्साह दिखाया उसने अन्ना के आन्दोलन को सबसे बड़ा आन्दोलन बना दिया शहर दर शहर अन्ना की आंधी से पूरा देश प्रभावित हुआ और सरकार की खासी फजीहत हुई जन लोकपाल रुपी मर्म को समझने में भले ही आम आदमी इस आन्दोलन में नाकाम रहा हो लेकिन भ्रष्टाचार रुपी रावन के अंत के के लिए उसे अन्ना के रूप बड़ा प्रतीक मिल गया इससे भी बड़ी भूमिका इस आन्दोलन किस सफलता में मीडिया की रही जिसने रामलीला मैदान से सीधे लाइव घर घर दिखाकर लोगो को आन्दोलन की व्यापकता का अहसास कराया इसी के आसरे अन्ना के समर्थन में विदेशो से प्रवासियों का सैलाब निकल आया


मीडिया , एस ऍम एस , इन्टरनेट से ग्लोबल बनी अन्ना की इस क्रांति ने पूरी दुनिया के सामने नयी मिसाल पेश कर दी आज़ादी के बाद हमारे देश का यह ऐसा जनांदोलन था जिसने अहिंसक राह के जरिये रामलीला मैदान जीत लिया और सरकार को दोनों सदनों में जन लोकपाल के मसले पर बहस कराने को मजबूर होना पड़ा इसी की परिणति आज ये है आज यह बिल स्टेंडिंग कमेटी के पास भेजा गया है जिसके बाद संभवतया नए साल में हमें एक सशक्त लोकपाल की सौगात देखने को मिल सकती है...... (क्रमश ........)

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