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शनिवार, 22 जनवरी 2011

ये कैसा "शिवराज" मामा ?




प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान अक्सर बड़े बड़े मंचो से खुद को मामा के नाम से प्रचारित करने में लगे रहते है..... लाडली लक्ष्मी योजना लागू करवाने के बाद से तो अपने भाषणों में शिवराज भांजियो का जिक्र करना नही भूलते....


२ सालो से शिवराज सिंह की सभाओ को कवर कर रहा हूँ कोई दिन शायद ही ऐसा बीतता होगा जहाँ पर महिलाओ का कार्यक्रम चल रहा हो और शिवराज उनकी तारीफों के कसीदे मामा बनकर ना पड़े ....मीडिया में शिव का यह दर्शन भले ही उनकी लोकप्रियता के ग्राफ को बदा देता है लेकीन शिवराज मामा की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर नजर आता है......


ऐसा ही एक मामला राजधानी भोपाल में सामने आया है.....इसको मैंने बीते साल कवर भी किया था परन्तु आज तक मामले में कोई प्रगति ही नही हुई..... आरुषि नाम की एक छोटी बच्ची के इलाज का खर्च उठाने की बात कभी शिवराज मामा ने की थी लेकिन आज मामा अपनी भांजी का हाल चाल देखने तक नही पहुचा है ......


सरकारी अस्पतालों में मरीजो के साथ खिलवाड़ होना कोई बात नही है.... फिर यह बात हजम नही होती यह सब उस मुखिया के राज में हो रहा है जो इन दिनों "स्वर्णिम मध्य प्रदेश " बनाने में लगा हुआ है ... यह कैसा प्रदेश है जिसका मुखिया मामा बनकर बेटियों को गोद में पुचकारता है...उनकी रक्षा करने का संकल्प लेता है लेकिन वादे करने के बाद भी अपनी भांजियो की सुध नही लेता है.....



आरुषि नाम की एक लड़की जिसे शिवराज ने अपनी भांजी माना पिछले साल से इलाज के लिए दर दर ठोकरे खा रही है लेकिन शिवराज और उनके नुमाइंदो को इससे कुछ भी लेना देना नही है....इससे ज्यादा दुखद बात और क्या हो सकती है आज गरीबी के चलते एक बाप को अपनी बेटी के इलाज के लिए प्रदेश की जनता से मदद मांगनी पद रही है.......


२३ जनवरी २०१० की बात है जब गाडरवाडा निवासी इन्द्र पाल सिंह राजपूत की पत्नी प्रीती राजपूत ने आरुषि नाम की एक बच्ची को जन्म दिया ... वह बच्ची सात माह की थी अतः कम दिनों की होने के कारण भोपाल के तनु श्री हॉस्पिटल की चिकित्सक डॉ कुसुम सक्सेना ने उसे प्राइवेट अस्पताल में इन्क्युबेटर पर रखने को कह दिया ॥





परिवार की माली हालत ठीक न हो पाने के चलते आरुषि के पिता इन्द्रपाल के लिए यह संभव नही था कि वह अपनी बेटी को प्राइवेट अस्पताल ले जाए लिहाजा २३ जनवरी को उन्होंने आरुषि को कमला नेहरु अस्पताल हमीदिया में भर्ती करवा दिया ....



30 जनवरी को वहां के चिकित्सको की लापरवाही से आरुषि इन्क्युबेटर के लेम्प से झुलस गई....जिससे उसका चेहरा, आँख, अंगूठा और ऊँगली जल गई....लापरवाही का आलम देखिये अस्पताल प्रबंधन ने १५ दिनों तक आरुषि के माता पिता से यह बात छिपाए रखी और उन्हें उसके वार्ड में घुसने की अनुमति तक नही।दी ... आरुषि के पिता इन्द्रपाल ने जब यह बात अस्पताल प्रबंधन के सामने रखी तो उन्हें २६ फरवरी को तीन कागजो पर हस्ताक्षर करवाकर उसे वहां से "डिस्चार्ज" कर दिया.....

जली आरुषि को लेकरउसके पिता आस्था अस्पताल ले गए जहाँ के सर्जन आनंद जयंत काले ने आरुषि के हाथ और आँख की सर्जरी जल्द किये जाने की सलाह उन्हें दी....धन की कमी के चलते महंगा इलाज करवा पाने में आरुषि के पिता असमर्थ थे अतः वह बच्ची को अपने घर ले आये.....

इसके बाद आरुषि के पिता ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज करवाने की कोशिश जरुर की लेकिन आज तक आरुषि के परिजनों को न्याय नही मिल पाया है... पिछले साल 17 मार्च को आरुषि का मामला मीडिया में प्रकाश में आने के बाद कई संगठन और लोग उसकी मदद को आगे आये जिससे आरुषि के पिता ने उसका इलाज शुरू किया .....


२३ मार्च को आरुषि की आँख की शल्य चिकित्सा हुई जिसके बाद सूबे के मुख्य मंत्री शिव राज और उनकी धर्म पत्नी साधना सिंह आरुषि का हाल चाल लेने आस्था अस्पताल पहुचे ॥ उन्होंने आरुषि के परिजनों से कहा " मैं हूँ ना..... मामा है तो चिंता कैसी ? आरुषि के इलाज का सारा खर्च ये मामा उठाएगा......" एक लाख रुपये की रकम को मामा ने उसी समय मंजूरी दे दी थी......


१ अप्रैल को राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत २ लाख पच्चीस हजार रुपयों की मदद से आरुषि को इलाज के लिए इंदौर के बोम्बे अस्पताल ले जाया गया जहाँ से १० अप्रैल को उसको डिस्चार्ज किया गया था .....इंदौर से लौटने के बाद पहले की गई आख और हाथ की सर्जरी असफल होने के कारन २३ अप्रैल को फिर से आरुषि की सर्जरी डॉ काले के द्वारा आस्था अस्पताल भोपाल में की गई ......सर्जरी के सारे खर्चे आरुषि के पिता ने उठाये ....इसके बाद डॉ काले ने परिजनों को हाथ के इलाज के लिए मुंबई जाने की सलाह दी.....


१२ मई को राज्य सरकार की मदद से वह आरुषि को मुंबई ले गए जहाँ के बॉम्बे अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन डॉ नितिन मोकल और डॉ मुकुल ने बताया कि बदती उम्र के साथ साथ आरुषि की दस प्लास्टिक सर्जरी होंगी..... जिसमे हाथ की शल्य चिकित्सा एक साल के अन्दर करवाना पड़ेगी......जिसमे पैर की उंगुली निकालकर हाथ में लगनी पड़ेगी..... वहां के चिकित्सको की माने तो आरुषि का इलाज दस साल तक चलेगा जिस पर २० लाख का खर्चा आएगा .......



मुम्बई से लौटने के बाद आरुषि के पिता ने कई बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने की कोशिश की लेकिन उन्हें हमेशा बैरंग लौटा दिया गया....यहाँ तक कि मुख्यमंत्री की जनसुनवाई आवेदन दिए लेकिन अभी तक मामा शिव राज ने अपनी भांजी के लिए कुछ नही कर पाये है......


आरुषि के परिजन कहते है जब मुख्यमंत्री आरुषि को देखने आस्था अस्पताल आये थे तो उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह ने उन्हें उनके पी ऐ का नम्बर भी दिया था ताकि इलाज में अगर कोई असुविधा हो तो बात उन तक पहुचाई जा सके......लेकिन आज आलम यह है कि मामी भी मामा शिवराज के नक़्शे कदम पर चल रही है और मासूम आरुषि को नही पहचान पा रही है.....


प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री महेन्द्र हार्डिया ने भी आरुषि के पिता को यह कहते लौटा दिया कि अब क्या चाहते हो ? आरुषि के पिता कहते है उनकी माली हालत बहुत ख़राब है .... सरकार ने आरुषि के इलाज के लिए जो ३ लाख ५० हजार रुपये की रकम दी वह अब खत्म हो चुकी है....इससे ज्यादा धन आरुषि के पिता उसके इलाज में खर्च कर चुके है ... उनके पास इतनी रकम नही है जिससे आरुषि का इलाज आगे जारी रखा जा सके... अतः उन्होंने शिवराज सिंह से मदद की गुहार की है......


यहाँ पर यह बताते चले कि इन्द्रजीत और प्रीती की यह पहली बच्ची है जो शादी के ५ साल बाद हुई है...हमीदिया के चिकित्सको की गंभीर लापरवाही का खामियाजा आज यह बच्ची भुगत रही है ....आरुषि के परिजन मदद को मोहताज है .....


आरुषि की नाजुक हालत देखते हुए राजधानी के कुछ नौजवान आगे आये है जो इन दिनों इलाज के लिए दुकान दुकान जाकर व्यापारियों से चंदा इकट्टा कर रहे है ... इस घटना का सबसे दुखद पहलू ये है कि आरुषि की जिन्दगी ख़राब करने वाले चिकित्सको और नर्स पर आज तक कोई कारवाही नही हो पायी है ....ऐसे में यह सवाल गहराता जा रहा है क्या आरुषि के परिजनों को न्याय मिल पायेगा ?


आरुषि के झुलसने के महीनो बाद चिकित्सको और नर्स के खिलाफ प्रकरण तो दर्ज किया गया है लेकिन कोर्ट में चालान आज तक पेश नही किया गया है वही आरुषि का मामा बन्ने का स्वांग रचने वाले शिवराज सरकार का असली चेहरा भी जनता के सामने उजागर हो गया है उन्होंने भी आरुषि के परिजनों के साथ छल किया है......तभी बीते दिनों "दिग्गी " राजा ने उनकी तुलना "कंस" मामा से की ...
(लेखक युवा पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक है .... इनके विचार "बोलती कलम " ब्लॉग पर भी पदे जा सकते है )

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