अभी तो रखा है तूने दुनिया में कदम
तुझे क्या पता दुनिया कितनी बड़ी शैतान है
चलने से कतरा रहा था भटकने के डर से
अब मंजिल पर पहुँच कर क्यूँ तू हैरान है
मेरे आसरे को लूटकर कितना खुश हुआ था
खतरे में देख आसरे को अब तू क्यूँ परेशान है
कल तलक ना याद आई थी उनकी
अब उन्हीं की सलामती का तम्हें ख़याल है
बरसों बीत गए हमारी जुदाई को
क्यूँ लगता है फिर हाल की तो बात है
लहरों किनारों का मिलन कहाँ होने वाला
लेकिन दोनों की जिद अभी भी बरकरार है....................
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