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मंगलवार, 10 अगस्त 2010

'नाग मुकुट' कैदियों द्वारा तैयार बाबा वैद्यनाथ धाम में

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक झारखण्ड के देवघर के बाबा वैद्यनाथ धाम में स्थित शिवलिंग पर सजने वाला 'नाग मुकुट' यहां की जेल में तैयार होता है।
कामना लिंग के नाम से विश्वप्रसिद्घ बाबा नागेश्वर के सिर पर श्रृंगार पूजा के समय प्रतिदिन फूलों और बेलपत्र से तैयार किया हुआ 'नाग मुकुट' पहनाया जाता है। यह नाग मुकुट देवघर की जेल में कैदियों द्वारा तैयार किया जाता है। इस पुरानी परंपरा का निर्वहन आज भी किया जा रहा है।
बाबा वैद्यनाथ धाम के पुरोहित पंडित सूर्यकांत परिहस्त ने बताया कि यह पुरानी परंपरा है। कहा जाता है कि वर्षो पहले एक अंग्रेज जेलर था जिसके पुत्र की अचानक तबियत बहुत खराब हो गई। उसकी स्थिति बिगड़ते देख लोगों ने जेलर को बाबा के मंदिर में 'नाग मुकुट' चढ़ाने की सलाह दी। जेलर ने लोगों के कहे अनुसार ऐसा ही किया और उनका पुत्र ठीक हो गया। तभी से यहां यह परंपरा बन गई।
इसके लिए जेल में भी पूरी शुद्घता और स्वच्छता से व्यवस्था की जाती है। जेल के अंदर इस मुकुट को तैयार करने के एक विशेष कक्ष है जिसे लोग 'बाबा कक्ष' कहते हैं। यहां पर एक शिवालय भी है। जेलर चंद्रेश्वर प्रसाद सुमन बताते हैं कि यहां मुकुट बनाने के लिए कैदियों की दिलचस्पी देखते बनती है। इस कारण मुकुट बनाने के लिए कैदियों को समूहों में बांट दिया जाता है।
प्रतिदिन कैदियों को बाहर से फूल और बेलपत्र उपलब्ध करा दिया जाता है। कैदी उपवास रखकर बाबा कक्ष में नाग मुकुट का निर्माण करते हैं और वहां स्थित शिवालय में रख पूजा-अर्चना की जाती है। शाम को यह मुकुट जेल से बाहर निकाला जाता है और फिर जेल के बाहर बने शिवालय में मुकुट की पूजा होती है। इसके बाद कोई जेलकर्मी इस नाग मुकुट को कंधे पर उठाकर बम भोले, बम भोले बोलता हुआ इसे बाबा के मंदिर तक पहुंचाता है।
उधर, कैदी भी इस कार्य को कर खुश होते हैं। कैदियों का कहना है कि बाबा की इसी बहाने वह सेवा करते हैं जिससे उन्हें काफी सुकून मिलता है। पंडित परिहस्त बताते हैं कि शिवरात्रि को छोड़कर वर्ष के सभी दिन श्रृंगार पूजा के समय नाग मुकुट सजाया जाता है। शिवरात्रि के दिन भोले बाबा का विवाह होता है इस कारण यह मुकुट बाबा बासुकी नाथ मंदिर भेज दिया जाता है।

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