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बुधवार, 11 अगस्त 2010

नक्सलियों तुम दिल्ली आओ --- निर्दोष लोगों को मत मारो........

नक्सलियों तुम दिल्ली क्यों नही आते-----
---तुम जंगलों में घूमते फिरते हो और बेचारे  निर्दोष ग्रामीणों और सी आर पी ऍफ़ और पुलिस के जवानों को मारते रहते हो....
देखो लोकतंत्र में हथियारों के लिए कोई जगह नहीं है....सम्विधान  में इसे सिर्फ पुलिस और सेना जैसी संस्थाओं के जवानों के द्वारा  प्रयोग करने के लिए परमिशन  दिया गया है......इसलिए तुम लोग  मुख्य धारा में आकर संघर्ष करो...चुनाव लड़ो...लोकसभा में जाओ---राज्य सभा में जाओ---अच्छी-अच्छी नीतिया बनाओ-----इस तरह कायरों कि तरह गोली बारी करके बिलों में मत छुपो----वरना किसी न किसी दिन हिंदुस्तान  में कोई  सरदार पटेल प्रधान मंत्री कि कुर्सी पर बैठेगा और तुम्हे बिल में से निकाल कर धुंए में उड़ा देगा-------------
                                -----------एक बात और पूछना चाहता हूँ कि नक्सलीओं क्या तुमने खून खराबा करने कि कसम खा ली है क्या--- अगर हाँ,  तो कसम तोड़ दो ये गलत है-----अगर कसम नही तोड़ोगे तो फिर निर्दोष जनता को और पुलिस के जवानों को मत मारो ---------मारना है तो----दिल्ली आओ----ये नेताओं के भेष में कुछ राक्षस लोक सभा और राज्य सभा  में घुस गये हैं.... कुछ तो विभिन्न राज्यों कि विधान सभाओं में  भी विराजमान हैं-----दिन रात भ्रस्ताचार   करते रहते हैं---- करोडो रूपये निगल चुके हैं और करोडो रूपये ये अब सीबीआई या अन्य जाँच में बर्बाद करेंगे......अभी कुछ महीने पहले मधु कोड़ा कि कहानी तो तुमने देखि थी------जाने कितने कोड़ा अभी लोक सभा और  राज्यसभा में---विधानसभा में मौजूद है....सिर्फ परिवार वाद --  धनबल--जनबल--और बाहुबल के दम पर ----मारो ----मारो--
---मारना है तो इन दरिंदो को मारो----जो जनता का  पैसा डकार रहे हैं और कहते हैं कि हम जन सेवा कर रहे हैं.......मारना तो मै भी इन दरिंदो को चाहता था...क्योंकि मुझे भी पहले कलम से ज्यादा गोली में विश्वाश था....लेकिन अब मै बड़ा हो गया हूँ मुझे लगता है कि कलम में भी ताकत होती है बशर्ते कलम बिकाऊ न हो.........मै तुमसे फिरसे कहता हु कुछ न मिले तो कलम थाम लो...पढो....और अगर अब भी बात नहीं समझ में आ रही है तो ......मारो---दिल्ली में आकर मारो----और भगत सिंह----और चंद्रशेखर आज़ाद कि तरह मरो------राजगुरु---और बिस्मिल्लाह खान कि तरह मरो-----जो भी करो ऐसा करो कि जनता कि भलाई में हो.....कोई तुम्हारी लाश पे न  थूके-----तुम्हारी लाश पर लोगों को नाज़ हो----मै बार बार कहता हू दिल्ली आओ--------------------------------------शहीदों का वो गीत याद करो----कर चले हम फ़िदा जानो तन साथियों
                           अब   तुम्हारे  हवाले  वतन  साथियों-----



कायर मत बनो और हो सके तो कानून अपने हाथ में मत लो...............

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