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मंगलवार, 3 अगस्त 2010

जुगाड़ से बड़ी कोई प्रतिभा नही होती..........

जिन्दगी ने ढाहें है ढेरों सितम -
अनिल धीरू भाई अम्बानी  के चौकीदार कि कसम..............................
                                                                              जी हाँ ऊपर जो हेड लाइन आपने  पढ़ा सैधांतिक रूप से वो गलत है लेकिन मीडिया में आकर मैंने देखा कि वो एक अटल सत्य है....माखनलाल विश्वविद्यालय में  HI    देख लिया था कि  जुगाड़ क्या चीज़ है......खैर जुगाड़ के हम भी धनी आदमी है...लेकिन जुगाड़ से  अपनी क्षमता से बहुत ज्यादा पाने कि कोसिस  नही करनी क्योंकि जुगाड़ से एकाएक सफलता पाया जा सकता है लेकिन  .सफलता पर टिका नही रहा जा सकता ......मगर भाई भूखो मरने से अच्छा है कि हर आदमी को  थोडा बहुत जुगाड़  रखना ही चाहिए....
                                                 अब तक आपने अमिताभ  साहब और उनके लाडले अभिषेक बच्चन कि तस्वीर भी देख ही ली होगी ......ये भी जुगाड़ का ही नमूना है...भले ही यहाँ बाप-बेटे का रिश्ता  है....लेकिन अगर हमारे आपके माँ -बाप  अमिताभ के  कद के होते तो क्या हम भी आज रिज्यूम लेकर आज तक--इंडिया न्यूज- इंडिया टीवी -यू एन आई --आई बी एन 7 --और तमाम फलाना -ढिमका के चक्कर काटते क्या ...शायद नहीं......अभिषेक को फिल्मो में चांस भी मिला होगा तो अमिताभ कि वजह से ----तमाम फ्लाप फिल्मो के बावजूद लगातार फिल्मे मिलती रही तो अमिताभ कि वजह से ......यहाँ तक कि ऐश्वर्या जैसी हुस्न कि मल्लिका भी मिली तो उसमे भी अमिताभ का कद बहुत माइने रखता है........... 
अब आपके सामने मुल्ला मुलायम सिंह और उनके साहब जादे अखिलेश  यादव की तस्वीर भी मौजूद है......अगर मुलायम सिंह इतने ऊँचे कद के न होते ( पैसे और सोहरत की बात कर रहा हूँ सम्मान की नही) तो अखिलेश यादव के वश की बात तकी की एक साथ २-२ लोकसभा सीटें जित जातें...शायद कभी नही.......कुल मिलाकर.....बाप--बेटे का रिश्ता ही सही मगर अखिलेश आज जो कुछ भी हैं जुगाड़ पे ही हैं........अब बात हो जाये मीडिया फिल्ड  की ........वैसे मुझे मालूम है की इस ब्लॉग को मदिया के सुरवीर लोग ही पढ़ते हैं........और मीडिया में जुगाड़ का महत्व तो जानते ही होंगे....लेकिन माफ़ कीजियेगा .....मै अपनी व्यथा को अकेले झेल नही पा रहा हूँ.....कुछ आप भी झेल जाइये मेरी दुआ लगेगी......तो बात ये है कि मै भी अपना रेज्यूम लेकर अन्सुमन भाई के साथ मार्च-अप्रैल २०१० में नोएडा में  इंडिया न्यूज --आजाद न्यूज---महुआ चैनल--जैसे कई चंनेलो के चक्कर काट  चूका हु... ....अपने प्रिय सांसद योगी आदित्यनाथ के पास तक भी इसी इरादे से गया था लेकिन उनसे कुछ कहा नही ....सोचा कि किस मुह से ये कहूँ  कि मुझे नौकरी दिलादिजिये....मगर गया तो जुगाड़ के ही इरादे से था....सब बात छोडिये मै आई बी एन में इन्टर्न के समय पूरे एक महिना GEST CO-ORDINATION में बिता दिया कि रोज नेताओं के घर जाने को मिलेगा ...किसी दिन मौका निकाल कर अपनी सेटिंग करा लूँगा ..और मौका  मिला भी था....एक बार नहीं कई बार....बीजेपी प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद --कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी---बीजेपी के चन्दन मित्रा ---एन सी पि के  महासचिव डी पि  त्रिपाठी , अभी गुजरात के पूर्व मंत्री अमित शाह का मुकदमा जो लड़ रहे हैं हैं ....के टी एस  तुलसी ..देवरिया  के पूर्व सांसद मोहन सिंह ....जैसे लोगो के घर गया...उनके कालर में माइक लगाया .....ये सब मै अपनी गुणगान नही कर रहा हूँ...बता रहा हु कि जुगाड़ लगाने के लिए कितना तलवा चाटने जैसा काम करना पड़ता है....हलाकि वो मेरा तात्कालिक काम थालेकिन सब कुछ के बाद कैसे कहा जाए कि साहब मुझे नौकरी दिलादो......मै तो किसी से  नही कह पाया  अपने दोस्तों से भले मजाक में या सही--सही कह दू मगर ऐसे लोगों से मै नही कह पाउँगा.........हाँ राजनीति मेरा प्रिय क्षेत्र है मै उसमे अभी या कभी भी थोडा बहुत समझौता कर सकता हूँ........भोपाल में मैंने एक गुरु ढूंढने का प्रयास किया ....क्योंकि चेला मै बहुत अच्छा हूँ....गुरु मिला नही....मेरा मकान मलिक पप्पू विलास थोडा गुरु टैप का लगा मगर वो भी पार्षद का चुनाव हर गया ...मेरा जुगाड़/गुरु ...वाला काम तमाम हो गया.....फिर माखनलाल में एक पावरफुल और जिम्मेदार गुरु से मेरी मुलाकात हो गई...घुमा फिरा कर मैंने जुगाड़ लगाया.....गुरु ने वैल्यू भी दिया मगर गुरु मुझे पहचान भी गया....बोला राजनीति में जाना चाहते हो तो जाओ अपनी एक अलग पहचान बनाओ....निचे से उपर जाने कि कोसिस करो....सीधे उपर मत जाओ क्योकि वहाँ से गिरोगे तो उठ नही पाओगे.......यहाँ शब्द मेरे हैं भाव गुरुदेव के ही हैं.......तो मै निचे से ऊपर कि रह पर चल पड़ा हूँ.......आगे मेरी मेहनत और  आप लोगो कि दुआदोनों  मिले तो आदित्य मिश्रा लोकसभा का सदस्य बनकर रहेगा...............लेकिन शुरू में मैंने जो बात खी कि जुगाड़ से बड़ी कोई योग्यता नही होती ,,,,,,बहुत ज्यादा गलत नही है.......अगर आप को कोई गुरु न मिला हो तो जुगाड़ से बड़ा कोई गुरु नही है........जुगाड़ से बड़ी कोई प्रतिभा शुरुआत दिलाने के लिए मिडिया  में है ही नही........जुगाड़ से ही केव्स के २०१० बैच के जो दो चार बंदे कही  टिक पाए हैं.....तो हो अगर कोई जुगाड़ तो मत चुको   चौहान......

5 टिप्‍पणियां:

  1. इंडिया में "जुगाड" ही तो है |


    ऐसा मेरे गांव में अक्सर लोग कहते है |
    पढ़िए सफलता के लिए, अच्छा श्रोता बनना बहुत जरूरी है |

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  2. सही बात है आज योग्यता की खासकर ईमानदारी और सच्चाई की कहीं कोई पूछ नहीं ,थक हार कर या तो लोग जिन्दगी से मोहभंग कर लेते हैं या जुगाड़ के रास्ता का सहारा लेने को मजबूर होते हैं | पैसे की महत्ता और जिन्दगी का लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ पैसा हो जाने से जुगाड़ का महत्व और बढ़ गया है | योग्यता बहुत पीछे रह गयी है ...?

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  3. beta jugad se badi koi chiz nahi hai . is bharat me... mere yanha par juga ho jiska kaam sirf or sirf savari dhone hai ..... is jugad ko lene ke chakar me videsho se log ate hai. wo bhi isko le jane me na nakaamyab hi hue ..

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  4. bhai badhiya likhte hain aap. abhi kuch din pehle hi ek bade filmi star ke PA se mila ... use dekh kar ye jra bhi nahi lag raha tha ki aadmi etne bahe star ka sara kaam sambhal raha hai... malum kiya toh janaw unke paitrik gaon ke the aur lambe jugad se yaha tak pahunche the.. isliye aaj ke time mein kahin na kahin merit ke sath jugad ka hona jaruri bhi hai bhai.... main goverment job se related baat nahi kar raha hun... waise aaj kuch bhi muskil nahi hai... kyon sahi keh raha hun .. ya galat... dhanyabad... sumit.

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