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रविवार, 28 अगस्त 2011

टेलीविजन( इलेक्ट्रॉनिक मीडिया) डिब्बा - शरद यादव




क्यों कहा!......सिर्फ इसलिए क्योंकि मीडिया ने अन्ना के आन्दोलन को भरपूर कवरेज दिया.....नेताओं के खिलाफ जनता के गुस्से को प्रकट करने का मौका दिया.....भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे इस आन्दोलन को सफल करावाया.....लोगों को घर से बाहर निकालकर सड़क तक पहुंचाया....सांसदो के घरों तक लोगों को पहुंचाया....अन्ना की हर अपील को अंजाम तक पहुंचाया....शरद यादव ने मीडिया की ओर इशारा करके कहा कि "क्या समझ रहे हो आप, तुम्हारे ये जो बैठकर चर्चा करा रहे हो आप,,,,,,तो क्या आपकी चर्चा से देश चल रहा है......ये सदन से देश चल रहा है".....सवाल ये है कि घोटाला कहां से हो रहा है.....खुलेआम नोट कहां उछाला जा रहा है....अगर मीडिया दबाव न बनायी होती तो ए राजा, कनिमोझी और कलमाड़ी जैसे लोग आज तिहाड़ जेल न पहुंचे होते....खैर शरद यादव ने लगे हाथ लोकपाल में आरक्षण की मांग भी कर दी....गलतफहमी दूर कर दी कि वे एक अलग टाईप के नेता हैं......लोकसभा में पहुंचते ही 80000 रूपया सेलरी और लाखों का भत्ता तय हो जाता है....16 हजार से 80 हजार सेलरी तय कराने में समय नहीं लगा,,,,,,,लेकिन नरेगा के मजदूर की एक दिन की दिहाड़ी 100-सवा-100 से 500 होने में कितना वक्त लगेगा.....इसका जवाब शरद यादव जैसे लोग शायद नहीं दे पायेंगे......कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि शरद यादव और लालू जैसे नेताओं के रहते बिहार कभी आगे नहीं बढ़ सकता...हमेंशा विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज की ही मांग रहेगी....शरद यादव जी को मालूम हो जाना चाहिए कि देश के कुछ डिब्बे बिकाऊ न होते तो देश आज कहीं और होता.....सरकारी विज्ञापन के लालच में कुछ डिब्बाधारी अपनी ड्यूटी भूल जाते हैं....लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ जिसका न जाने कितनो को मलाल है.....एक बात और इस डिब्बा.....मतलब मीडिया में जगह बनाना कितना मुश्किल है ..इस बात का अंदाजा झूठ बोलकर....दारू बांटकर....धांधली करके लोकसभा में पहुँचने वाले लोग क्या जानेंगे....

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