बुधवार, 17 अगस्त 2011
दीपक चौरसियाजी ! पैसा- बाहुबल से वोट अरेंज किया जाता है सरकार बनती है तो वह लोकतंत्र है, जब लोग अन्ना के साथ है तो वह भीड़तंत्र कैसे हो जाता है?
आरक्षण फिल्म में अमिताभ साहब ने सही कहा है इस देश में दो भारत रहते हैं.......कहा जा सकता है एक अन्ना जैसो के साथ हैं और दुसरे भ्रस्ताचारियों के साथ ..दीपक चौरसिया स्टार न्यूज से करोड़ो नही तो लाखों रूपये महीना तो पाते ही होंगे......अतीत में वे क्या रहे! वे जाने......लेकिन आज अगर उन्हें भ्रस्टाचार का सामना नही करना पड़ता है तो......इसका मतलब ये नही हो गया कि.....वे आम जनता के सहारे चल रहे अन्ना के आन्दोलन को कमजोर करने वाली बात करें......उनके भीड़ तन्त्र की बात से और कुछ हो न हो.....कपिल सिब्बल जैसो को तो बल मिलेगा ही........खैर मै दीपक चौरसिया और उन जैसे पत्रकारों से आग्रह करूंगा कि अगर टीम अन्ना ने सरकारी लोकपाल और जन लोकपाल के बीच का अंतर जनता को नही समझाया या समझाने में असमर्थ रहे तो भी वे भीड़ तंत्र के सहारे नही हैं..... मीडिया भी जनता को जागरूक करने का काम करे.......लेकिन सरकार के पक्ष में झुकाव मत दिखाए.....
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