अन्ना हजारे १६ अगस्त से तिहाड़ जेल से ही अनशन शुरू कर चुके हैं....आज ९ दिन हो गया क्या पता कल १० वें दिन भी जारी रहे...आगे ११-१२-१३...वें दिन भी जरी रहे....अन्ना जी पुराने चावल हैं....जिनकी खुशबु से देश की जनता जाग रही है.... वे कितने दिन अनशन पर बैठ सकते हैं......ये तो भगवान ही जानता है ....लेकिन इस अनशन से भी हमारे देश की राजनितिक पार्टियों पर कोई खास असर पड़ता नहीं दिख रहा है... अन्ना की अपील पर जब जनता सांसदों के घरों के सामने धरना देने पहुंची तो कुछ नेताओं का दिमाग खुला...कांग्रेस के सांसद संजय निरुपम ने तो जनता के सामने गांधी टोपी पहनकर जनलोकपाल का समर्थन करने की बात कही...बीजेपी के शत्रुहन सिंहा ने कहा कि मै तो पहले से जन लोकपाल के समर्थन में हूं....प्रिया दत्ता भी अपनी पार्टी लाईन से हटकर बात की...वरुण गांधी तो रामलीला मैदान में पहुंचकर अपना समर्थन अन्ना को जाहिर कर आए.........लेकिन भाजपा ने जाने क्यों अपना रुख स्पष्ट नहीं किया....यहां तक कि यशवंत सिंहा ने इस्तीफे तक की पेशकर कर दी कि भाजपा अपना ऱुख स्पष्ट करे...कांग्रेस का तो कहना ही क्या जब उसके नेता संजय निरूपम ने भरी संसद में कह दिया कि यहां सभी चोर बैठे हैं....किसी की कमीज थोड़ी सफेद जरूर हो सकती है लेकिन चोर सभी हैं.....अब मूल बात पर आईये कि भला लातों के भूत( भ्रष्टाचारी नेता) कभी बातोँ से मानते हैं क्या....लेकिन अन्ना जी हैं कि जिद पे अड़ गये हैं....खैर मेरा ही नहीं भारत के लाखों- करोड़ों लोगों का समर्थन अन्ना जी को हासिल है....इसीलिए वे इतने कांफिडेंस के साथ अनशन पर बैठे हैं.....लेकिन अन्ना जी को मैं कैसे समझाऊं की कुत्तों की पूंछ कभी सीधी नहीं होती....ये भ्रष्टाचारी नेता कुत्तों के पूंछ जैसे ही हैं.....इन पूंछो को काटना ही पड़ेगा.....और जनता हर कुत्ते को पहचानती है....एक बार इशारा कर दो तो कुत्तो के पूंछ गायब हो जायेंगे....अहिंसा, लोकतंत्र, भाईचारा यही तो वे आदर्श हैं जिनसे हम बंधे हैं और ये नेता लोग इसी का नाम लेकर हमें छलते रहे हैं.....हमारे पास 500 रुपये नहीं है कि हम रेलवे या बैंक का फार्म भर सकें और ये 80000 रूपया महीना घोंटने के बावजूद घोटाला करते हैं.... मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि ये सरकार और अधिकांशत: चोरों से भरी ये संसद अन्ना के साथ न्याय कर पायेगी....(मैं संसद का अपमान नहीं कर रहा हूं लेकिन जो चोर संसद में घुस गये हैं उनको मै गरियाने में पीछे भी हटने वाला नहीं हूं)...सुना है संसद के स्थायी समिती में लालू प्रसाद यादव और अमर सिंह जैसे महाराजाधिराज लोग विराजमान हैं...फिर तो कैसा लोकपाल बनेगा ये बताने की जरूरत भी नहीं है.....अन्ना जी आप ठीक ही कहते हो कि देश के जागिर को चोरों से नहीं पहरेदारों से डर हैं और देश को दुश्मनों से नही इन गद्दारों से डर है....आपका इशारा हम खुब समझ रहे हैं.....और इन नेताओं से हमें कोई उम्मीद भी नहीं है फिर भी आप जो तपस्या कर रहे हो....तो इन गद्दारों को वोट खिसकने का डर लग रहा है...इसलिए अन्ना जी बारगेनिंग कर लो.....पूरा देश आपके साथ है...हमें बांटने के लिए इमाम बुखारी आगे आया था....लेकिन इस बार हम नहीं बंटेंगे...और हमें बांटने के लिए आगे आने वाले हर बुखारी का बुखार छुड़ा देंगे....अन्ना आप अनशन मत तोड़ना....आप जैसे लोग मरते नहीं हैं....मरते तो मनमोहन सिंह जैसे मूकदर्शक, मनीष तिवारी जैसे झूठे, कपिल सिब्बल जैसे चालाक लोग, राहुल गांधी जैसे- तमाशाबीन और अपना रूख स्पष्ट न करने वाले विपक्षी दल हैं...क्योंकि इन्हें मरने की जरूरत भी नहीं पड़ती.....ये तो जितेजी मरने के बराबर हैं....जनता इनकी इज्जत नहीं करती है....
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