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सोमवार, 9 मई 2011

माँ....... तेरी ऊँगली पकड़ के चला ....





माँ... तेरी ऊँगली पकड़ कर चला ------

ममता के आँचल में पला -----


हँसने से रोने तक तेरे ही पीछे चला

बचपन में माँ जब भी मुझे डाटती.....

में सिसक -२ कर घर के किसी कोने में जाकर रोने लगता


फिर बड़े ही प्रेम से मुझे बुलाती ॥ ----

कहती, बेटा में तेरे ही फायदे के लिए तुझे डाटती


फिर में थोडा सहम जाता और सोचता...

माँ, मेरे ही फायदे के लिए मुझे


जब भी में कोई काम उनके अनुरूप करता ..

तो मुझे फिर से डाट देती ....


आज भी माँ कि डाटती खाने का बड़ा ही मन करता ---

माँ कि डाट, मुझे हर बार नई सीख देती ....


आज भी जो लोग माता पिता का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद ले, दिन कि शरूवात करते है. वे मानते है कि अगर माँ का आशीर्वाद मिल गया तो आस [पास कोई संकट नहीं फाटक सकता, कोई कुछ बिगाड नहीं सकता ....

ललित कुमार कुचालिया..... (देहरादून
)

1 टिप्पणी:

  1. prem se bolo jay mata di.....

    sare bolo jay mata di......

    lalit bhi bole jay mata di....
    ham bhi bolen jay mata di....
    tum bhi bolo...............

    शर्मा जी को प्रणाम.....

    शर्मा जी के बारे में बताने वाले पत्रकार महोदय को भी प्रणाम......

    राखी सावंत को अब कौन देखता है यार......

    अब तो हर गली मोहल्ले में एक राखी सावंत घुमती है.....

    ललित से पूछ लेना.....उसके रूम के सामने ही एक राखी सावंत रहती थी......इक्जाम में बहुत मजा आता था......

    खैर बात शर्मा जी की हो रही है तो......उनके जैसे लोग हैं तभी तो देश है........

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