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सोमवार, 23 मई 2011

माखनलाल के 10 लाल ........सबसे चर्चित.....सबसे सफल


सन 1990 में स्थापित हुआ माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय और 1991 में पहले बैच ने प्रवेश लिया....जून 2011 में विश्वविद्यालय का 20वां बैच अपनी पढ़ाई कम्प्लीट करके MCU - PASS आउट की कतार में जायेगा.....सिर्फ कतार में ही नही आएगा बल्कि पत्रकारिता की दुनिया में खो भी जायेगा......क्योंकि इससे पहले के भी MCU - PASS आउट खो चुके हैं.....लेकिन इन्ही MCU - PASS OUT में से कुछ चमकेंगे भी.....क्योंकि इससे पहले के भी कुछ MCU - PASS आउट अपने कारनामें से चमक रहे हैं......देश के लगभग हर मीडिया घराने में MCU - PASS आउट काम कर रहे हैं....तो कुछ mcu की डिग्री लेकर राजनीती में अपना सिक्का जमा रहे हैं....कुछ MCU - PASS OUT -mcu से डिग्री लेकर वापस mcu में ही फिट हो गए........कुछ ने तो डिग्री लेकर मीडिया फिल्ड ही छोड़ दिया.........................................फ़िलहाल मैं माखनलाल से PASS आउट उन १० नामों की चर्चा कर रहा हु जो सर्वाधिक चर्चित हैं.....सार्थक हैं.....और सफल हैं.......


1 -संजय सलिल----- संजय माखनलाल के पहले बैच के छात्र रहे हैं......संजय सलिल दुनिया के पहले हाई डेफिनेशन न्यूज चैनल तेलगु ( आंध्रप्रदेश ) में ''साक्षी'' चैनल को लांच कराने वाली मीडिया कंसल्टेंसी '' मीडिया गुरु '' के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं.....IBN7 जिसे पहले जागरण ग्रुप के चैनल- 7 के नाम से जाना जाता था को भी लांच कराने वालों में से एक नाम संजय सलिल का भी है......इन्ही के कंसल्टेंसी मीडिया गुरु ने बांगलादेश में २४ घंटे का पहला न्यूज चैनल CSB लांच कराया..........MCU - में ये संजय कुमार के नाम से जाने जाते थे....और MCU - से निकलने के बाद संजय कुमार - संजय सलिल बन गये.......किसी जमाने में नई दिल्ली से प्रकाशित '' पब्लिक एशिया अख़बार '' में चीफ सब एडिटर के पद पर २५०० प्रति माह पर काम करने वाले सलिल आज करोडो के मालिक हैं.....सलिल देश विदेश में रेडियो-टीवी के चैनल खड़ा करवाते हैं....चैनलों के लिए स्टाफ की भर्तियाँ करते हैं............ नेम -फेम और मनी की चाहत लेकर पत्रकारिता में कैरियर बनाने का सपना देखने वालो के लिए संजय सलिल एक बेमिसाल उदाहरण हैं.......


२- श्यामलाल यादव--- श्यामलाल माखनलाल के दुसरे बैच के स्टुडेंट रहे हैं.....वर्तमान में इंडिया टुडे में विशेष संवाददाता/एसोसियेट एडिटर के पद पर काम कर रहे हैं.... 19 -25 मई 2011 के इण्डिया टुडे के अंक में भट्टा परसौल की स्टोरी को पढ़कर इनके कलम की धार को जाना जा सकता है.....


३-प्रवीन दुबे---21 मई को भोपाल में मिनाल रेजीडेंसी की खबर को पुरे देश की मीडिया ने हेड लाइन के तौर पर प्रमुखता से दिखाया था.....अगर आपने न्यूज 24 स्विच किया होगा तो प्रवीन दुबे अपने चैनल का आईडी लिए हंगामे के बीच ख़बरों को प्रस्तुत करते जरुर दिखाई दिए होंगे......प्रवीन न्यूज 24 के- एम.पी - ब्यूरो चीफ हैं.....


४-- यामिनी ठाकुर....... मशहूर टीवी सीरियल पवित्र रिश्ता में बंदू की भूमिका निभाने वाली कोई और नही माखनलाल की यामिनी ही थीं......पत्रकारिता की पढ़ाई के साथ एक्टिंग की तरफ झुकाव रखने वालों के लिए यामिनी एक आदर्श हैं.......


५- सौरव मालवीय---राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को छोड़कर झीलों के शहर भोपाल में लौटने वाले सौरव मालवीय वर्तमान में माखनलाल में प्रकाशन अधिकारी के पद पर काम कर रहे हैं.... सौरव मालवीय मिलनसार व्यक्ति हैं.....


६-स्मृति जोशी.....एमसीयु पास आउट स्मृति विश्व के पहले हिंदी पोर्टल वेब दुनिया डोट कॉम में फीचर सम्पादक हैं.....नये पत्रकारों के लिए इनका पत्रकारिता जीवन संघर्ष एक सन्देश है.....डटे रहने की सिख देती है इनकी कलम....इनका ब्लॉग है..........SMRITI .MYWEBDUNIYA .कॉम


७-- संजय द्विवेदी--- नीली कार में चलने वाले संजय द्विवेदी की उपलब्धियों की श्रिंखला इतनी लम्बी है कि माखनलाल के लालों में उन्हें अनदेखा नही किया जा सकता.......दैनिक जागरण भोपाल के सम्पादकीय पेज पर इनके लेखों के दर्शन खूब होते हैं.........कभी-कभी बहुत अच्छा भी लिख देते हैं.....फिरोजाबाद लोकसभा सीट के उपचुनाव में मुलायम की बहु डिम्पल यादव के हार जाने के बाद इन्होने '' समाजवादी नही कार्पोरेट मुलायम की हार '' शीर्षक से लेख लिखकर उस दिन दैनिक जागरण के सम्पादकीय पेज को खास बना दिया था.....उम्मीद है कि श्री संजय द्विवेदी आगे भी जागरण समेत तमाम अख़बारों के सम्पादकीय पेज को खास बनाते रहेंगे.......


८--पूर्णेंदु शुक्ला--- पूर्णेंदु शुक्ला C-VOTER में काम करते है ....अपने जूनियर्स को हमेशा सपोर्ट करने वाले पूर्णेंदु एक प्रैक्टिकल इन्सान हैं.....डेल्ही जाने पर सबसे पहले इनकी याद आती है.....पढ़ाई के दौरान और पढ़ाई के बाद नौकरी के दौरान पूर्णेंदु शुक्ला ने अपने जूनियर्स के लिए हमेशा एक बड़े भाई की-एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाई है...... पूर्णेंदु शुक्ला माखनलाल के टॉप १० लालों में से एक लाल हैं....


९---अनुराग अमिताभ मिश्र--- CNEB - भोपाल के ब्यूरो प्रमुख अनुराग अमिताभ काफी हैंडसम PERSONALITY वाले व्यक्ति हैं.... यूँ तो वे बार-बार माखनलाल आते रहते हैं.....लेकिन पहली बार जब मैंने उन्हें देखा था तो वे अपने चैनल के लिए फ़ोनों कर रहे थे.....गोविन्दाचार्य की भाजश में शामिल होने की अफवाह या खबर पर फ़ोनों चल रहा था....वो चलते-चलते फ़ोनों दे रहे थे...फिर वो लिफ्ट में आ गये... धारा प्रवाह फ़ोनों जारी था....मै भी उनके पीछे लग गया ....और सुनता रहा..... मै सोच रहा था ये तो टीवी में काम करने वाले लोगों की तरह फोन पर बात कर रहा है..ये है कौन ......मै मीडिया में नया ही था.... बहुत दिन बाद उनसे परिचय हुआ मालूम पड़ गया ...वो CNEB -के ब्यूरो चीफ हैं...अपने काम में दक्ष अनुराग अमिताभ भी अपने जूनियर्स को मदद देने में पीछे नही रहते.... वह mcu -केव्स में आकर दीवारों पर लगी कविताओं को पढ़ने तक का टाईम निकाल लेने वाले व्यक्ति हैं......कुल मिलाकर माखनलाल के दस लालों में से एक चर्चित लाल हैं....अनुराग अमिताभ.....


10 -- ये स्थान अभी ख़ाली है....नई पीढ़ी अपने सीनियर्स से भी आगे बढ़ती रही है बढ़ती रहेगी........कुछ वेटिंग लिस्ट में जरुर हैं.......मेरा मतलब अपने बैच 2008 -2010 से है .....( इस बैच में भी कुछ प्रतिभावान और अपने धुन के पक्के लोग थे....जिनमे सौरव श्रीवास्तव, आशु प्रज्ञा , आशुतोष चतुर्वेदी, अभिषेक पाण्डेय जैसे लोग हैं.......ये भी एक दिन माखनलाल के लालों में अपनी गिनती करवाएंगे..... होने को और भी लोग हो सकते हैं लेकिन इन लोगों को मैंने करीब से देखा है.........जो एक न एक दिन अपना नाम करेंगे....

सौरव श्रीवास्तव वो सख्स हैं जो अपनी पढ़ाई और एक्टिंग के शौक को साथ-साथ लेकर चले.....अलोक चटर्जी के एक्टिंग स्कूल न्यू हाईट में एडमिशन लिए....सेमेस्टर के exam में भी नो पढ़ाई ओनली एक्टिंग.....रात १०-११ बजे एक्टिंग सीखकर आते थे--- छीना झपटी करके थोडा बहुत पढ़ लिए.....सुबह 9 बजे exam हॉल में.....वो थी एक्टिंग की दीवानगी.....5 के 5 पेपर एक ढंग से दिया.....

आशु प्रज्ञा --- मै पहले से ही कहता आया हूँ पत्रकार कम नेता ज्यादा ....हालाँकि मै उनके बारे में ये बात अपनी एक टीचर से सुना था.....उनके पास जानकारी बहुत है..... बस नियत ठीक रखें.....

आशुतोष चतुर्वेदी---- एमसीयु के आशुतोष चतुर्वेदी.....के बारे में क्या कहना.....एक वक़्त था लोग इन्टर्न की व्यवस्था में जुटे थे....और आशुतोष भगवा कुर्ता में चमक बिखेर रहे थे......सुविधा की राजनीती में माहिर आशुतोष अरुण जेटली की तरह शातिर हैं......देश भक्ति भी है...कुछ करने का जज्बा है............उम्मीद है एक दिन इनकी माखनलाल के चमकते सितारों में गिनती होगी.....फ़िलहाल UP में हैं.....जल्द ही कम बैक होने की बात कर रहे हैं....

अभिषेक पाण्डेय--- पढ़ने-लिखने का शौक रखने वाले अभिषेक एक प्रोफेशनल आदमी है....नयी सडक बनाना तो नही सीखे ....लेकिन बनी बनाई सडक पर चलना खूब जानते हैं.....कब तक स्ट्रेट जाना है कब U टर्न लेना है कोई अभिषेक पाण्डेय से सीखे......खुद तो तरक्की की राह पर चलते ही है....अपने हम राहियों को भी प्रोत्साहित करने से नही चुकते........


( निवेदन है ------इस लेख को हलके में लें....इस लेख के माध्यम से न तो किसी को उठाने की कोशिश की गई है और ना ही किसीको गिराने की....और ऐसा भी नही है कि जिनका नाम इसमें नही है वे किसी से कम है.......मेरी जानकारी थोड़ी सीमित हो सकती है...लेकिन माखनलाल के पास आउट लोगों कि सफलता कि कोई सीमा नही है....मैंने माखनलाल यूनिवर्सिटी में कुछ समय बिताया है.....माखनलाल के दोस्तों-सहयोगियों-सीनियरों से मिला हूँ......टच में रहता हूँ.....इस वजह से अपना नजरिया व्यक्त कर रहा हूँ.....विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग फुर्सत से कर रहा हूँ.....जय हिंद. )

रविवार, 22 मई 2011

मै करूँ तो साला ..... कैरेक्टर ढीला है .....


अमर सिंह राज्य सभा के  सांसद  हैं.....संसद में ऐसे लोगो की मौजूदगी भारत की जनता के लिए शर्म की बात है.... अमर जी को शर्म नाम की चीज की जानकारी ही नही है... बिपासा को भी बैठे बिठाये टीआरपी मिल गयी.....इंकार कर दिया तो कैरेक्टर सर्टिफिकेट भी मिल गया.....कहने को अब कुछ बचा नही......
देश सेवा के लिए संसद का रास्ता अपनाते हैं लोग....
संसद में पहुंचकर एन डी तिवारी बन जाते हैं लोग.....
अमर सिंह तुस्सी देश को माफ़ करदो.....मित्र आत्म हत्या कर लो .....तुम्हारी वजह से कही मै न आत्म हत्या करलूं...... तुम्हारे पास इतना पैसा है की तुम्हारा मुकाबला मै नही कर सकता..... मगर आजाद भारत में रह कर ये सब भी नही सह सकता..... खैर होगा वही जो मंजूरे खुदा होगा....







मैं उजला ललित उजाला हूँ............


मैं उजला ललित उजाला हूँ!

मैं हूँ तो फिर अंधकार नहीं है!

तेरे मन के तम से लड़ता हूँ
तेरी राहें उजागर करता हूँ
आओ मुझे बाहों में भर लो!
मुझ सा कोई प्यार नहीं है

मैं हूँ तो फिर अंधकार नहीं है!

तेरे रोम-रोम में भर जाता हूँ
तेरे दर्द को मैं सहलाता हूँ
आओ मुझे देह में भर लो!
मुझ सा कोई उपचार नहीं है

मैं हूँ तो फिर अंधकार नहीं है!

यूं तो नहीं मेरा कोई भी रूप
हूँ मैं ही चांदनी, मैं ही धूप
आओ मुझे अंजुली में भर लो!
मुझ में कोई भार नहीं है

मैं हूँ तो फिर अंधकार नहीं है!

क्यों मन में भय को भरते हो
क्यों अंधियारे से डरते हो
आओ मुझे अंखियों में भर लो
मुझ सा कोई दीदार नहीं है

मैं हूँ तो फिर अंधकार नहीं है!
मैं उजला ललित उजाला हूँ!

ललित कुमार दुवारा



शुक्रवार, 20 मई 2011

माखनलाल युनिवर्सिटी और मई-जून का महीना..........

......( ओन्ली फॉर कैव्स )---- फाईनल सेमेस्टर के स्टूडेंट..... डीजरटेशन- विडीयो प्रोजेक्ट- और इक्जाम.... हो गया काम तमाम.... डिग्री पक्की.... नौकरी का टेंशन तो गुजरे जमाने की बात है.... अब तो दुसरे डिपार्टमेंट से छिनकर नौकरी ले रहे है हमारे वीर.... भला हो जी-युपी वालों का जिन्होंने 2008 में हमारे युनिवर्सिटी में कैंपस किया था... हमारे सिनियर्स को सेलेक्ट किया... तबसे छोटे-मोटे ही सही कैम्पस हो रहे हैं....हिन्दुस्तान न्यूज पेपर तक में कैव्स वालों ने परचम लहरा दिया....हो सकता है कि किसी के लिए... ये सब छोटी बात हो...लेकिन बिना किसी का तलवा चाटे मीडिया में अगर कुछ हासिल हो जाए तो यह छोटा नही है....कैव्स बेस्ट ऑफ लक

बुधवार, 18 मई 2011

एक तुम्हारे सिवा कुछ भी दिखता नहीं.

शकील जमशेदपुरी
फोटो गूगल से साभार


कैसी तुझसे लगी है दिल की लगन, एक तुम्हारे सिवा कुछ भी दिखता नहीं.  
कितने फूलों ने भँवरे को निमंत्रण दिया, एक तुम्हारे सिवा कोई जंचता नहीं.
खुशबूओं से रचा है बदन ये तेरा, 
तू रहती है फूलों की हर डाल में .
मुस्कुरा के  पलटकर जो देखोगी तुम, 
कैसे दिल चुप रहेगा इस हाल में.

तुम संभालोगे फिर भी न संभलेगा दिल, जोर इसपर किसी का भी चलता नहीं.
कैसी तुझसे लगी है दिल की लगन, एक तुम्हारे सिवा कुछ भी दिखता नहीं. 
तुमने छू ली है जबसे ऊँगली मेरी, 
मैं तब से नशे में हूँ डूबा हुआ.  
चाँद सूरज कभी मिल सकते नहीं, 
हम तुम मिले यह अजूबा हुआ.

वो दिल नहीं कोई पत्थर ही होगा, सुन के ये बात दिल गर धड़कता नहीं.
कैसी तुझसे लगी है दिल की लगन, एक तुम्हारे सिवा कुछ भी दिखता नहीं. 
तुझसी मीठी नहीं है ज़माने की बोली,
तंज़ होता है  इसके हर बात में.
कौन देता है ज़ख्मों को मरहम यहाँ?
लोग बैठे हैं लेकर नमक हाथ में.

दिल के ज़ख्मों को तुम न दिखाओ कभी, कौन होगा जो इस पर हँसता नहीं.
कैसी तुझसे लगी है दिल की लगन, एक तुम्हारे सिवा कुछ भी दिखता नहीं 
प्यार जब भी करो डूब कर के करो,
कुछ कमी इसमें फिर रहने न पाए.
तुमने पलकें भिगोई दिल को दुखाया 
कोई तुमसे ये फिर कहने न पाए.

सागर से साहिल का तुम इश्क देखो, है लहरों में डूबे  पर दम घुटता नहीं .
कैसी तुझसे लगी है दिल की लगन, एक तुम्हारे सिवा कुछ भी दिखता नहीं.


सोमवार, 16 मई 2011

नई राहें

मानव जीवन संघर्षों से भरा है!हर सिक्के के दो पहलू होते है,और हर पहलू की बराबर प्रायिकता!आज दुःख है तो कल सुख भी आएगा,और आज सुख है कल दुःख भी आएगा!जो पत्ते पेड़ पर लगे हैं उन्हें जमीं पर गिरना ही है!बसंत में फिर से नई कोंपलें खिलती हैं,फिर पतझड़ में सरे पत्ते धरती चूम लेते हैं!जो फूल खिला है उसे मुरझाना ही है!लेकिन नई कलियाँ खिलती हैं तो जीवन में एक आस जगाती है!जीवन के बाद मृत्यु,और मृत्यु के बाद जीवन,एक नया जन्म!एक नया रूप,नया नाम,नया चेहरा!लेकिन इन सबसे जूझते हुए सभी एक नए जीवन के लिए संघर्ष करते है,बनाते है नई राहें!

ममता और जयललिता की जय के बाद दोनों के सामने कई चुनौतियां हैं...जहां जयललिता को भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आवाज उठानी है और कार्यवाही करनी है तो ममता को भी कई परेशानियां झेलनी पड़ेगी...रेल मंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा..सबसे बड़ा सवाल....दोनों को राज्य में कई काम करने हैं...बनानी हैं नई राहें!

हमारे विभाग के सीनियर्स का बैच अपने कॉलेज जीवन से निकलकर पत्रकारिता के क्षेत्र में पदार्पण कर रहा है!सभी जोश से लबरेज,अटूट उत्साह,एक नई उमंग!कई छात्र पहले ही पदार्पण कर चुके हैं!जिनकी धमक से पूरा भोपाल और हिंदुस्तान गूंज रहा है!और बाकी भी अपनी चमक बिखेरने को व्याकुल है!सभी पाँचवे वेद की सेवा के लिए कमर कस चुके है!ये सभी नित नई-नई ऊचाइयों को छूकर अपने क़दमों को आगे बढाते रहें!संसार के तिमिर को चीरने वाले ज्ञान के दिव्य दीपक बनें!

कहते है "चिराग तले अँधेरा"

लेकिन ये सभी उस चिराग के नीचे के तम् को दूर करेंगे,ऐसी इनसे अपेक्षा!

खैर जीव में पाना और खोना तो लगा ही रहता है,लेकिन कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्त्तव्य पथ से न डिग कर मानव मात्र की सेवा करें!क्यों कि किसी ने कहा है

"कुछ खोना है कुछ पाना है

जीवन का खेल पुराना है

जब तक ये सांस चलेगी

यारा यूँ ही चलते जाना है"

सभी अपना प्रकाश पूरे हिन्दुस्तान में फैलाएं,इनकी प्रखर रश्मियों से सारा जग आलोकित हो,ऐसी हमारी आशा है!सभी पुरे संसार में बिखर जाएँ,ऐसा में इसलिए कह रहा हूँ क्यों कि मुझे महात्मा बुद्ध कि कहानी याद आ गयी!

"एक बार महात्मा बुद्ध एक गाँव में पहुचे!वहां के लोगों ने उनको गालियाँ दी,उनका अनादर किया!जाते समय भगवान् बुद्ध ने कहा-संगठित रहो!फिर दुसरे गाँव में पहुचे वहां के लोगों ने उनका आदर सत्कार किया,अच्छे लोग थे,रहने खाने की व्यवस्था की!चलते समय भगवान् ने कहा की पुरे विश्व में फ़ैल जाओ!यह सुनकर उनका एक शिष्य नाराज हो गया!भगवान् समझ गए!उन्होंने कहा कि एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है,मैंने ख़राब लोगों को इसलिए संगठित होने कहा जिससे दूसरे लोग उनसे प्रभावित न हो पायें और अच्छे लोगों को इसलिए बिखरने को कहा जिससे वे अपना प्रकाश सारे विश्व में फैला सकें!

यही मेरी हार्दिक इच्छा!

पत्रकारिता के क्षेत्र में पहला कदम रखने के लिए सभी लोगों को मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनायें!

खैर आप लोगों से बिछुड़ने का दुःख हमेशा महसूस होगा,क्यों कि आप हमारे सीनियर ही नहीं बड़े भाई भी हैं,लेकिन कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है!इसलिए बस अपनी क्षत्र छाया सदा बनायें रखे,और जीवन के हर कदम पर हिमालय के उतुंग शिखर की भांति उचाइयां तय करें!बनाये अपनी नई राहें ......

इन्हीं शुभकामनाओं के साथ.............

-कृष्ण कुमार द्विवेदी

शनिवार, 14 मई 2011

ईद पर भी सवईयों में तेरी खुशबू नहीं होती


शकील जमशेदपुरी


तेरी तस्वीर भी मुझसे रू-ब-रू नहीं होती
भले मैं रो भी देता हूँ गुफ्तगू नहीं होती
तुझे मैं क्या बताऊँ जिंदगी में क्या नहीं होता 
ईद पर भी सवईयों में तेरी खुशबू नहीं होती

जिसे देखूं , जिसे चाहूं, वो मिलता है नहीं मुझको
हर एक सपना मेरा हर बार चकना-चूर होता है
ज़माने भर की सारी ऐब मुझको दी मेरे मौला 
मैं जिसके पास जाता हूँ, वो मुझसे दूर होता है.

दिल में हो अगर गम तो छलक जाती है ये आँखें 
ये दिल रोए, हँसे आँखे हमेशा यूं नहीं होता
ज़माने भर की सारी ऐब मुझको दी मेरे मौला
किसी पत्थर को भी छू दूं , वो मेरा क्योँ नहीं होता?

गीत में स्वर नहीं मेरे ग़ज़ल बिन ताल गाता हूँ
अगर सुर को मनाऊँगा, तराना रूठ जाएगा,,,
ये कैसी कशमकश उलझन मुझे दे दी मेरे मौला 
अगर तुमको मनाऊँगा, ज़माना रूठ जाएगा.

मंगलवार, 10 मई 2011

पूरी धरा जो साथ दे तो और बात है........

जय श्री राम........
पूरी धरा जो साथ दे तो और बात  है........
तू जरा  जो साथ दे तो और बात है.........
यूँ तो एक पैर से भी चल लेते हैं लोग........
दोनों जो साथ दे तो और  बात है.....

ये कैसा कानून है......
हम वर्षों से " हिन्दू -मुस्लिम  भाई-  भाई"  ये नारा लगा रहे हैं ....
तो दोनों भाइयों को गलत फहमी में क्यूँ रखा जा रहा है....
अयोध्या में किसी का तो हक़ होना ही चाहिए.....
राम मंदिर था ये अकाट्य सत्य है.....
माना कि कानून अँधा होता है.....
ये सबूत के आधार पर फैसला करता है....
लेकिन इतना भी अँधा नही हो जाना चहिए की एक पीढ़ी की गलतियों को लेकर दुसरे पीढ़ी के लोग ढोएँ....
हम आपस मे कब तक लड़ेंगे.....
सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करना अलग बात है....
लोकतंत्र में ये जरुरी है.....
लेकिन राम के अस्तित्व की अवहेलना भी हमे स्वीकार नही है.....
हमारे जीवन के हर मोड़ पर राम का चरित्र हमे राह दिखाता है....
हमने किसी को रोका नही की वो अपने अराध्य के चरित्र से सीख न ले....
उसका पूजा - दर्शन न करे.....
हमे भी मत रोको.....
भगवान के लिए.................
इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करो....
संविधान में परिवर्तन की जरूरत हो तो करो....
जब तक अंतिम फैसला नही हो जाता.....
तब तक शासक वर्ग धर्म -जाती  पर राजनीती करते रहेंगे.....
आरक्षण - को बढ़ावा  मिलता रहेगा.... 
ये हमे स्वीकार नही है......
समानता का अधिकार कहां रह गया है.......
आगे मेरे पास ज्यादा तर्क नही है.....
मै प्रार्थना  करता हूँ की राम खुद आकर राम- राज लायें....



शर्मा जी, क्रिकेट और उनके बर्फ के गोले.......

boltikalam.blogspot.com

शर्मा जी और उनके बर्फ के गोलों को भूल नही सकता .... कम से कम जब तक मैं भोपाल में हूँ तब तक तो नही.... दरअसल जिन शर्मा जी की बात मैं अपने ब्लॉग में कर रहा हू....उनसे अपनी मुलाकात एक कवरेज के दौरान भोपाल के बोट क्लब में हुई..... उसके पास शर्मा जी अपना ठेला हर दिन लगाया करते है .......

शर्मा जी क्रिकेट का बड़ा शौक रखते है..... उनसे मेरी पहली मुलाकात वर्ल्ड कप के मैचो के दौरान हुई....उन दिनों देश वासी भारत की जीत के लिए जहाँ कामना किये जा रहे थे वही शर्मा जी ने टीम इंडिया के वर्ल्ड कप जीतने पर अपनी दुकान का सारा सामान तक फ्री कर दिया था.... मुकेश शर्मा वर्षो से भोपाल में आइस क्रीम बेचने का काम किया करते आ रहे है.... शादियों के मौसम में आप शर्मा जी की इस आइस क्रीम का लुफ्त उठाये बिना नही रह सकते॥ हमारे बोट हाउस वाले शर्मा जी भी अपनी आइस क्रीम की सेवा शादियों के सदाबहार मौसम में दिया करते है.....

शर्मा जी की क्रिकेट की दीवानगी को देखकर मैं भी चौक गया .... बचपन में कभी मैं क्रिकेट का कीड़ा हुआ करता था..... लेकिन मैच फिक्सिंग के बाद मेरा खेल को लेकर लगाव ख़त्म सा हो गया .... लेकिन वर्ल्ड कप के मैचो को लेकर मेरा दीवानापन फिक्सिंग के बाद भी कम नही हुआ क्युकि पिता जी से लड़ झगड़कर एक कलर टीवी की व्यवस्था उस दौर में घर में करवा ली....शायद ये ८ साल पहले की बात होगी.... टी वी देखने पर घर वाले डांट दिया करते थे.....कहते थे पदाई लिखाई नही करनी है क्या? हर समय क्रिकेट क्रिकेट करते हो.... टी वी से चिपके रहते हो या हर समय पेपर पड़ते रहते हो .... दरअसल हमारे पूरे परिवार में पत्रकारिता को लेकर किसी के मन में उतना लगाव नही था... क्युकि उत्तराखंड जैसे राज्य में सेना के अलावा किसी फील्ड में बेहतर सम्भावना नही दिखती थी..... ...उस समय उम्र कच्ची थी इसी कारन अक्ल का कमजोर था... समझ नही पाया मेरे जैसे कई लोग है इस देश में जो क्रिकेट को लेकर उत्सुकता रखते है.... आज बड़ा होने पर जब शर्मा जी का शौक देखा तो अपने बचपन की यादो में कही खो सा गया........

शर्मा जी ने भारत की टीम के वर्ल्ड कप जीतने पर भोपाल वासियों को निशुल्क आईस क्रीम की सौगात देने की बात कही .....जिसे उन्होंने पूरा भी किया.... बोट क्लब में फ्री में खाने वालो की लाइन लग गई....मुकेश से जब मैंने बात की तो उसने बताया उसे बचपन से क्रिकेट का शौक है ....सचिन की टीम में खेलने की तमन्ना थी वह तमन्ना तो पूरी नही हो पायी अब क्रिकेट के नाम पर आईस क्रीम का कारोबार कर गुजर बरस कर रहा है ..... आई पी एल जैसी स्पर्धाओ में भी शर्मा जैसे क्रिकेट के शौकीनों का खवाब पूरा नही हो पाया....भले ही टीम इंडिया के लिए खेल नही पाये लेकीन आई पी एल के मैचो में अपना स्टाल लगाकर अपना शौक पूरा कर लेते.... 20- २० के दौर में जहाँ तमाशा क्रिकेट खेली जा रही हो वहां खिलाडियों की तो मंडियों में बोली लग रही है शर्मा जी की कोई पूछ होगी क्या ?

शर्मा १९८३ में भारत की टीम के जीत के नज़ारे को नही देख पाये लेकिन इस बार २८ साल के जीत को उन्होंने अपनी आखो के सामने देखा तो ख़ुशी के आंसू छलक आये.....जब युवराज सचिन अपने को नही रोक पाये तो भला शर्मा जी जैसे लोगो की क्या बिसात जिन्होंने अपने रोल मॉडल नायक के लिए आईस क्रीम के सेण्टर तक खोल डाले और उनके वर्ल्ड कप जीतने की ख़ुशी में सबको आईस क्रीम खिलवाये जा रहे थे.....

मुझे भी शर्मा जी ने अपनी दुकान से उस दिन आईस क्रीम खिलवायी.....इस आईस क्रीम की याद और क्रिकेट के प्रति ऐसे जूनून को कभी नही भूल पाऊंगा .....कम से कम जब तक भोपाल में हूँ और झील की छठा का आनंद लूँगा तब तक शर्मा जी की याद मेरे जेहन में बसी रहेगी .... ये अलग बात है ललित के साथ देहरादून की गलियों में शर्मा जी की मिठास वाली आईस क्रीम अपन को नसीब नही हो सकेगी ......साथ ही शब्बन चौराहे और लिली टाकीज के पास मिलने वाले केले और पपीते मुझे नसीब नही हो पाएंगे .....हाँ हरिद्वार में गंगा के घाट पर आध्यात्मिक शांति जरुर मिलेगी.......


वर्ल्ड कप जीतने के बाद जब भी शर्मा जी के ढाबे में जाता हूँ तो वह बड़ी आत्मीयता से आज भी मुझे आईस क्रीम और कोल्ड ड्रिंक पिलाते है .....बदले में जब रुपये देता हू तो लेने से इनकार कर देते है.... शर्मा जी की इस कहानी तो मैंने सभी समाचार चैनलों और पेपरों में पहुचाने की कोशिश की .... एक आध चैनलों को छोड़कर किसी ने उनकी खबर नही चलायी......

दरअसल हमारा मीडिया भी बिकाऊ हो गया है..... अपना विवेक ठीक कहता है पेड़ न्यूज़ का जमाना है......जनसरोकारो वाली पत्रकारिता नही हो रही है......राखी सावंत की चुम्मा चाटी और हसी के रसगुल्लों वाली पत्रकारिता आज हो रही है .....ऐसे में शर्मा जी की खबर को सुर्खिया नही मिल पाती है ..... लेकिन इन सब के बाद भी शर्मा जी के मन में किसी तरह की निराशा नही है... कुछ लोग होते है जिन्हें प्रचार की जरुरत होती है परन्तु कुछ ऐसे होते है जो प्रचार प्रसार माध्यमो के मोहताज नही होते ... वह अपना काम बेरोकटोक करते रहते है.... शर्मा जी की इसी अदा का मै कायल हो गया हूँ ..........मीडिया को कवरेज के लिए प्रलोभन देने वाले लोगो को शर्मा जी से आज प्रेरणा लेने की जरुरत है........

सोमवार, 9 मई 2011

माँ....... तेरी ऊँगली पकड़ के चला ....





माँ... तेरी ऊँगली पकड़ कर चला ------

ममता के आँचल में पला -----


हँसने से रोने तक तेरे ही पीछे चला

बचपन में माँ जब भी मुझे डाटती.....

में सिसक -२ कर घर के किसी कोने में जाकर रोने लगता


फिर बड़े ही प्रेम से मुझे बुलाती ॥ ----

कहती, बेटा में तेरे ही फायदे के लिए तुझे डाटती


फिर में थोडा सहम जाता और सोचता...

माँ, मेरे ही फायदे के लिए मुझे


जब भी में कोई काम उनके अनुरूप करता ..

तो मुझे फिर से डाट देती ....


आज भी माँ कि डाटती खाने का बड़ा ही मन करता ---

माँ कि डाट, मुझे हर बार नई सीख देती ....


आज भी जो लोग माता पिता का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद ले, दिन कि शरूवात करते है. वे मानते है कि अगर माँ का आशीर्वाद मिल गया तो आस [पास कोई संकट नहीं फाटक सकता, कोई कुछ बिगाड नहीं सकता ....

ललित कुमार कुचालिया..... (देहरादून
)
मुझे तेरी याद कुछ इस तरह आती है......जी करता है  अपने प्लेन को बस लैंड करादूं........ डर लगता है...की कोई हादसा न हो जाए......

शुक्रवार, 6 मई 2011

क्लिक ..क्लिक ..क्लिक ......

इस मासूम कों देखिये किस बीमारी से परेशान है ......................कानपुर एक अस्पताल में ये मामला देखने कों मिला ....































वीभत्स सच देखना हम लोगो ने छोड़ दिया हैं...

ये कौन है? किसी की माँ है, बेटी है, बहन है या फिर किसी का प्यार था. क्या प्यार करने का फल यही होता है?
दरअसल   नए ज़माने
 के  बीमारू प्यार का एक चेहरा यह भी है.
लड़कियां स्वतंत्र हुई हैं, घूम सकती है, अपना पक्ष रख सकती हैं, अपने फैसले खुद ले सकती हैं. लड़ सकती हैं अपने अधिकारों  के लिए, लेकिन इसकी लड़ाई कौन लडेगा ?    कुछ मानसिक बीमार लोगो की इस करतूत से आप आज के सच का दीदार कर सकते हैं. खैर इस फोटो को एक टक देखने की भी हिम्मत आप नहीं कर सकते, और किसी ने ये काम कर डाला. समाज के बीमार मानसिकता की परिचायक यह फोटो क्या कहती है, कुछ कहने की हिम्मत जुटा पाना ही मुश्किल लग रहा है.    लेकिन सच्चाई यही है की वीभत्स सच देखना हमने छोड़ दिया है.
(रांची में घटी यह घटना को कुछ दिन हुए हैं)