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सोमवार, 7 नवंबर 2011

मुझे भारतीय होने पर गर्व है

www.mediaaagblogspot.com (मेरे विचार)

महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विवि. वर्धा में विदेशी शिक्षको के लिए हिंदी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन 31 अक्टूबर कों किया गया. जिसका उद्घाटन विवि के कुलपति विभूति नारायण ने किया . दस दिनों तक चलने वाली इस कार्यशाला में देश के हिंदी विशेषज्ञ, विदेशी शिक्षको कों हिंदी की बारीकियो के बारे में और हिंदी पढ़ाने के लिए किस तरह की दिक्कते सामने आती है. इन सब बातो पर चर्चा जारी है. न्यूजीलेंड से आई भारतीय मूल की सुनीता नारायण जो न्यूजीलेंड के वेलिंग्टन हिंदी स्कूल में पढ़ाती है. सुनीता इस कार्यशाला के ज़रिए हिंदी की बारीकियो कों सीख रही है. विवि में एम. फिल. जनसंचार के शोधार्थी ललित कुमार कुचालिया की " सुनीता नारायण" से एक खास बातचीत -

प्रश्न - न्यूजीलेंड में हिंदी भाषा कों लेकर किस तरह की मान्यता है ?

उत्तर - न्यूजीलेंड में सभी लोग हिंदी से परिचित है अभी वहा पर हिंदी की ऐसी कोई औचारिक पढाई तो नहीं है लेकिन इतना ज़रूर है जो लोग यह जानते है की भारत में हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाती है. वही लोग हिंदी कों मान्यता देते है .

प्रश्न - न्यूजीलेंड में पढाई जाने वाली हिंदी अन्य देशो के मुकाबले किस तरह से भिन्न है ?

उत्तर - जैसा की मैंने पहले कहा की हिंदी की अभी कोई ओपचारिक पढाई तो नहीं है लेकिन 9 से 10 कुछ छोटी - २ सामुदायिक , पाठशालाए है जहा अलग से हिंदी पढ़ाने के लिए हर शनिवार और रविवार की शाम कों क्लास लगती है . इसके आलावा कही - कही पर युवा और बड़े लोगो कों हिंदी पढ़ाने के लिए अलग से क्लासे चलती है. और रही बात अन्य देशो के मुकाबले हिंदी पढ़ाने की तो हिंदी भाषा कों पढ़ाने के लिए हर देश तरह-२ की तकनीके अपनाता है . ये तो छात्रो पर निर्भर करता है कि वो किस तरह से पढ़ते है.

प्रश्न - कितने ऐसे संस्थान है जो हिंदी कों प्राथमिकता देते है ?

उत्तर - कुछ पाठशालाओ के अलावा धार्मिक, सामाजिक संस्थाए है जो धर्म, सभ्यता और संकृति के साथ भाषा कों भी जोड़ देते है. धार्मिक संस्थाए रोमन लिपि में लिखकर बच्चो कों हिंदी सीखाती है. कभी- कभी जब मै उनका प्रोत्साहन करने की लिए वहा जाती हूँ और उनको देवनागरी में लिख कर बताती हूँ तो वो बड़े ही खुश होते है.

प्रश्न - न्यूजीलेंड का मीडिया हिंदी से किस तरह जुडा है, चाहे वह प्रिंट मीडिया या फिर इलेक्ट्रोनिक मीडिया हो या कोई अन्य जनमाध्यम ?

उत्तर - न्यूजीलेंड में ऐसा कोई न्यूज़ पेपर नहीं है जो हिंदी से जुडा हो लेकिन हाँ इतना ज़रूर है. मोर्य चैनल पर कभी कभी हिंदी की फिल्मे दिखाए जाती है और कुछ ऐसे क्षेत्रीय टीवी चैनल है जिन पर भारत से प्रसारित होने वाले ज़ी टीवी के लगभग सभी कार्यक्रम दिखाए जाते है. ज़ी टीवी की लोकप्रियता वहा भारतीयों के बीच सबसे अधिक है, बहुत से लोग ज़ी टीवी पर आने वाले सीरियल से ही जुड़े रहते है.

प्रश्न - न्यूजीलेंड के लोगो में हिंदी की दिलचस्पी किस तरह की है ?

उत्तर - मुझे कभी - कभी यह सुनकर बड़ा ही अजीब लगता है कि हमारे भारतीय लोग हिंदी कों उतनी सहजता से नहीं लेते जितना उन्हें लेना चाहिए. उन्हें लगता है कि अगर हम हिंदी नहीं सीखेंगे तो हमारा सिर ऊँचा नहीं होगा लेकिन ऐसा नहीं है. आप ज़रा सोचिए में जिस देश में रहती हूँ वहा हिंदी रोज़ तो इस्तेमाल नहीं होती लेकिन जो लोग हिंदी में विश्वास करते है वो अपने बच्चो कों और अपने आपको इसमें लीन रखते है .

प्रश्न - न्यूजीलेंड में रहने वाले भारतीय अपने त्योहारों कों किस तरह से मनाते है ?

उत्तर - मै खुद एक भारतीय होने के नाते अपने सभी त्योहारों कों भारतीय परंपरा के अनुसार मनाती हूँ. न्यूजीलेंड में सभी लोग अपने-२ त्योहारों कों बड़ी ही धूम धाम से मनाते है. न्यूजीलेंड के आकलेंड, वेलिंग्टन,किंग्स्टन जैसे शहरों में दीवाली के मौके पर मेले लगते है. ये सभी योजनाए वही के लोगो दुवारा तय की जाती है. न्यूजीलेंड की "Aozia Newzealand Foundation" संस्था जिसको वहा की सरकार दुवारा फंडिंग किया जाता है. वही इस तरह के कार्यक्रमों की योजना बनाती है, जो चीनी और भारतीय त्योहारों कों बड़ा ही महत्व देती है. दुर्गा नवरात्रों में वहा के बाज़ार भारतीय बाजारों की तरह सजाए जाते है. तभी तो सभी त्यौहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाये जाते है. किसी भी तरह का ऐसा कोई कोई बंधन नहीं है चाहे होली का त्यौहार हो, या फिर ईद , बैशाखी का त्यौहार ही क्यों न हो ? मै तो यह मानती हूँ कि भारत से दूर रहकर अपने त्योहारों कों मनाने का अलग ही मजा होता है.
प्रश्न - हिंदी पढानें में न्यूजीलेंड के सामने किस तरह की दिक्कते है ?

उत्तर- दिक्कते तो बहुत है सही ढंग से जो पढाना है. हम मोरिशस, फिजी और भारत से जो पाठ्यक्रम मंगाते है हमें उस पर कई बार विचार विमर्श करके सोचना पडता है कि बच्चे हिंदी सीख भी पाएंगे की नहीं, सब कुछ अंग्रेजी माध्यम होने के कारण उनको हिंदी पढ़ा पाना बहुत ही मुश्किल है. इस बार से खोली गई तीन शाखाओ में से एक शाखा जिसमें हिंदी पढने छात्रो की संख्या बढती जा रही है. हमारे पास सामग्री है पर हिंदी पढ़ाने के लिए उतने टीचर नहीं है. कभी- कभी तो मै सोचती हूँ कि ये सब कैसे हो पाएंगा? लेकिन जैसे - तैसे करके में इसका समाधान निकाल लेती हूँ .
प्रश्न - कितने ऐसे संस्थान है जहा हिंदी कि पढाई होती है ?

उत्तर- देखिए जैसाकि मैंने पहले कहा था कि 9 से 10 छोटी - छोटी ऐसी पाठशालाए चलती है जहा पर हिंदी की पढाई होती है. न्यूजीलेंड का सबसे बड़ा नगर आकलेंड जहा सबसे अधिक भारतीय ही रहते है. हिंदी पढने वालो कि तादात यहाँ लगभग 500 से 600 है. मै जिस वेलिंगटन हिंदी स्कूल में पढ़ाती हूँ वहा पर भी काफी तादात में लोग हिंदी पढ़ाने के लिए आते है . इस बार हमने अलग - २ शहरों में तीन शाखाए खोली है जिसमे हिंदी की पढाई होती है.

प्रश्न - भारत - न्यूजीलेंड के संबंध आप किस तरह से देखती है ?

उत्तर - न्यूजीलेंड के लोग भारत कों बहुत ही पसंद करते है. इसीलिए जब में अपने छात्रो से पूछती हूँ कि आप हिंदी क्यों सीखना चाहते हो तो वे कहते है कि हम हिंदी सीखकर भारत में आगे की पढाई करना चाहते है और हम भारत कों प्रेम भी करते है. अगर व्यापार की द्रष्टि से देखे, तो दोनों देशो के बीच आपसी संबंध कुछ वर्षो में ओर भी बेहतर हुए है. न्यूजीलेंड के प्रधानमंत्री जॉन के जब भारत यात्रा पर आए तो वहा के लोगो कों भारत से ओर भी ज्यादा उम्मीद बांध गई . कितने ही ऐसे एनजीओ है जो भारत आकर अपनी सेवा देते है. जब गैर भारतीयों लोगो कों में भारत से जुड़ा हुआ पाती हूँ, तो मुझे बहुत ही ख़ुशी होती है.


प्रश्न - जैसाकि आप ने पहले बताया की मै खुद एक भारतीय हूँ फिर आपका न्यूजीलेंड कैसे जाना हुआ ?

उत्तर - मेरे पूर्वज यूपी के प्रतापगढ़ जिले के पथरा गाँव से थे जो बहुत पहले ही फिजी में आकर बस गए थे। मै उनकी तीसरी पीढी से हूँ. पिछली बार जब में अपने गाँव गई तो अपने परिवार वालो के बीच पाकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा. अब मै बार - बार अपने गाँव आना चाहती हूँ, क्योंकि मुझे भारतीय होने पर बड़ा ही गर्व महसूस होता है कि भारत से दूर रहकर मै विदेश में हिंदी पढ़ाती हूँ.


www.cavstodayblogspot.com से बातचीत करने के लिए आपने समय निकला इसके लिए आपका बहुत - शुक्रिया

- जी धन्यवाद


4 टिप्‍पणियां:

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  2. KOSHISH KARNE WALON KI, KABHI HAR NHI HOTI,,,, LALIT DEAR .....ALL D BEST,,,,,,,.keep continue....

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  3. सनद रहे - इंटरनेट पर विश्व का सबसे पहला हिंदी प्रकाशन 'भारत-दर्शन' (हिंदी साहित्यिक पत्रिका) न्यूज़ीलैंड से प्रकाशित होता है। इसका प्रकाशन 1996-97 से हो रहा है। हर मास इस पत्रिका के दस लाख से अधिक पृष्ठ पढ़े जाते हैं। यह विश्व की पहली ऐसी हिंदी वेब साइट है जो html validated है। पत्रिका यहाँ पढ़ें:

    https://www.bharatdarshan.co.nz/

    साधुवाद।

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