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गुरुवार, 3 नवंबर 2011

इंदिरा गाजिएवा से बातचीत / सोवियत संघ के विघटन के बाद भारतीय भाषाओं की स्थिति अच्‍छी हुई



www.mediaagblogspot.कॉम मेरे विचार


म.गा.अं. हि. विवि. वर्धा में विदेशी शिक्षको के लिए हिंदी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन ३१ अक्टूबर कों किया गया.. दस दिनों तक चलने वाली इस कार्यशाला में देश के हिंदी विशेषज्ञ ईन विदेशी शिक्षको कों हिंदी की बारीकियो के बारे में बतायंगे. कार्यशाला में हिस्सा लेने आई रूस की इंदिरा गाजिएवा जो रूस के रुसी मानवीय सरकारी विवि में हिंदी पढ़ाती है. इस खास मौके पर एम. फिल. जनसंचार के शोधार्थी ललित कुमार कुचालिया ने " इंदिरा गाजिएवा " से बातचीत की. उसी के कुछ अंश --


प्रश्न - रूस में हिंदी के प्रति युवाओ में किस तरह की लोकप्रियता है ?


उत्तर - जहा तक लोकप्रियता का सवाल है सबसे पहले तो मै यह कहना चाहती हूँ रुसी लोगो कों भारतीय संस्कृति अच्छा लगना. दूसरा दोनों देशो के आपसी मैत्री संबंध अच्छे होना, ये दोनों ही बाते उनको भाँति है. लेकिन रुसी लोग जब भारत आते है चाहे टूरिस्ट के उद्देश्य से आए, चाहे व्यापार के उद्देश्य से आए या फिर पढाई के उद्देश्य से भारत आए तो कही न कही ये सब चीजे उनको अपनी और आकर्षित करती है. इसीलिए वहा के युवाओ मै हिंदी के प्रति काफी लोकप्रियता बनी हुई है .


प्रश्न - सोवियत संघ के दौरान रूस मै हिंदी और उर्दू के काफी स्कूल थे लेकिन अब क्या स्थिति है?


उत्तर - देखिए जब से सोवियत संघ अलग हुआ है तब से स्थिति में काफी सुधार आया है. इससे पहले रूस के कई स्कूलों में हिंदी, उर्दू पढाई जाती थी लेकिन अब इनके अलावा भारत में बोली जाने वाली तमिल, बंगला, और मराठी भाषाए रूस के छ: विवि में पढाई जाती है. आप देखिए की सोवियत संघ के खत्म होने बाद कितनी भाषाए रूस में पढाई जाने लगी जबकि पहले ऐसा संभव नहीं था. और मै तो मानती हूँ की रूस के लिए यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है .


प्रश्न - रूस में हिंदी कों पढ़ाने के लिए हिंदी व्याकरण - अनुवाद के किस ढ़ाचे का उपयोग किया जाता है ?


उत्तर - रूस में हिंदी पढ़ाने के लिए इतने टीचर ही कहा थे कम ही लोग थे जो हिंदी साहित्य के बारे जानकारी रखते थे लेकिन आज भी हिंदी पढ़ाने के हिंदी साहित्य का सहारा लिया जाता है. कुछ वर्षो में हिंदी व्याकरण और अनुवाद का ढ़ाचा एक मौखिक रूप धारण का चुका है. लोग मौखिक ही बोलना चाहते है लिखना नहीं इसीलिए रुसी के युवा 6 महीने या एक साल में ही हिंदी सीखने की लालसा रखते है. एक तरह से देखा जाए तो हिंदी सीखने कों लेकर उनमे होड़ मची है. हिंदी पढ़ाने के लिए पाठ्य पुस्तक अमेरिका , ब्रिटेन से मंगाई जाती है लेकिन जो किताबे रुसी विद्वानों दुवारा लिखी गई उनकी हिंदी कुछ अलग ही तरह की है जिसको पढ़ाने में दिक्कत आती है लेकिन अब ऐसा नहीं है


प्रश्न - रुसी मीडिया का हिंदी भाषा के प्रति क्या नजरिया है ?


उत्तर - कोई ऐसी खबर , सूचना, जानकारी है की हिंदी विश्व भाषा होनी चाहिए . मै एक हिंदी टीचर होने के नाते इस बात से सहमत हूँ की या फिर मेरी दूसरी राय है कि भविष्य में शुद्ध इंग्लिश और हिंदी नहीं चलने वाली. बल्कि हिंग्लिश भाषा प्रचलन में आएगी जिसको इंग्लिश और हिंदी से मिलाकर बनाया जायेगा. शुद्ध हिंदी तो साहित्य में ही सिमट कर रह जाएगी. हिंग्लिश का ही भविष्य उज्जवल है. बीस सालो के दौरान रुसी भाषा एकदम परिवर्तन आया है. क्योंकि ये सब सूचना तकनीकी क्रांति की देन है. आप देखेंगे रुसी मीडिया में हर महीने हिंग्लिश भाषा के शब्द देखने और सुनने कों मिल जायेंगे. वहा की न्यूज़ पेपर, इंटरनेट न्यूज़ पोर्टल और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में भी हिंग्लिश के शब्द काफी प्रचलित है.


प्रश्न - भारतीय खबरों कों रूस में किस तरह से पेश किया जाता है ?


उत्तर - जब तक सोवियत संघ था तब वहा पर कम्युनिस्ट न्यूज़ पेपर चलता था जिसका नाम "जनयुग" था जो ज्यादातर भारतीय खबरों कों प्राथमिकता देता था. लेकिन उस न्यूज़ पेपर कों केवल वही लोग पढ़ते थे जो हिंदी पढना और बोलना जानते थे. हाल ही में रूस में इस तरह का कोई न्यूज़ पेपर नहीं है जो भारतीय खबरों कों प्राथमिकता दे. भारत में जब से टीवी की शुरुआत हुई उसी दौरान से भारतीय खबरों कों इंटरनेट के ज़रिए उठाकर दिखाया जाता है.



प्रश्न - भारत की कला संस्कृति से आप कितनी प्रभावित है?



उत्तर- भारतीय कला संस्कृति के बारे मै बंया कर पाना थोडा ही मुश्किल है विषय ही इतना बड़ा है. वैसे हर हफ्ते मास्को के रूसी-भारतीय सांस्कृतिक संगठन "दिशा", भारतीय दूतावास, सेंट्स पिटरबर्ग में भारतीय कला संस्कृति के कार्यक्रमों कों हम लोग देखने के लिए जाते है. जो लोग नृत्य, कलाकार वहा आते है. उनको देखते है, उनके बारे में पढ़ते है. उनसे काफी कुछ सीखने कों मिलता है. अभी एक दो महीनो से मास्को में कला संस्कृति के कार्यक्रम हो रहे है भारत के अलग -२ प्रदेशो के कलाकार वहा पर कार्यक्रम कि प्रस्तुति दे रहे है.


प्रश्न - भारत- रूस के संबंध के बारे में आप क्या कहना चाहेंगी ?


उत्तर- देखिए हम दोनों देश हमेशा से एक भाई - बहन की तरह है. रुसी लोग, जो अब सोवियत संघ में चले गए है वो भी भारत कों काफी मानते है. जब हम लोग जनवरी में गोवा घूमने, हिंदी दर्शन सीखने या नृत्य सीखने की लिए यहाँ आते है तो हम आपने आपको कंही न कही भारत से जुड़ा हुआ पाते है. इसीलिए में कहूँगी कि भारत और रूस के संबंध हमेशा से अच्छे है.


प्रश्न - रूस के कितने विवि में हिंदी पढाई जाती है ?


उत्तर - रूस के छ: विवि में हिंदी पढाई जाती है जो राज्य सरकार के अधीन है .



www.cavstoday से बातचीत करने के लिए आपने समय निकला इसके लिए आपका बहुत -२ शुक्रिया .

- इंदिरा गाजिएवा - जी धन्यवाद

3 टिप्‍पणियां:

  1. भविष्यवाणी तो उतनी ठीक नहीं…रूस में हिन्दी की स्थिति से हम हिन्दी का भविष्य ही तय कर बैठें, यह कहाँ तक उचित है? जैसे रूस में अगर 10000 लोग भी हिन्दी सीख रहे हैं और एक लाख लोग भी हिन्दी जानते हैं तो हम अखबार या पत्रिका देखकर 6000 लाख लोगों की अपनी भाषा की भविष्यवाणी कैसे कर सकते हैं?…हाँ, स्थितियाँ हैं ऐसी बहुत हद तक लेकिन सच्चाई का दूसरा और बहुत गहरा और गम्भीर पक्ष भी है…फिर भी शुक्रिया…

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  2. इन्दिरा जी को वैसे भी सोयियत संघ पच नहीं रहा है…जबकि भाषा के मामले में या शिक्षा के मामले वह भी एक स्वर्णिम अध्याय रहा है…कुछ बातें ठीक भी हैं…

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