मंगलवार, 8 नवंबर 2011
क्यों न " महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना " का नाम बदलकर " गंगू तेली रोजगार गारंटी योजना " कर दिया जाए...
केन्द्र की यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना का नाम कुछ वर्ष पहले ही बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना कर दिया गया। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन की दिशा में किया गया महत्वपुर्ण कार्य है। इसका श्रेय कांग्रेसनीत यूपीए सरकार को जाता है। लेकिन जब हम देखते हैं कि इस योजना के अंतर्गत काम करने वाले मजदूरों के एक दिन की मजदूरी लगभग 120 रूपया मात्र है तो हमें इस योजना की सच्चाई का पता चल जाता है। और यह बात भी आसानी से समझा जा सकता है कि सरकार की नजर में गांव के मजदूरों की क्या कद्र है। जहां एक ओर सांसदों का वेतन 16 हजार से बढ़ाकर एक ही झटके में 80 हजार कर दिया गया...वहीं मजदूरों को १२० रुपया एक दिन की मजदूरी दी जा रही है... महंगाई के इस युग में कोई भी आदमी अपने परिवार को महज १२० रुपया में क्या खिलायेगा....और शिक्षा...स्वास्थ्य का क्या प्रबंध करेगा...कुल मिलाकर अगर १२० रुपया प्रतिदिन ही देना था... तो महात्मा गाँधी का नाम इस योजना के साथ क्यों जोड़ा गया....या तो केंद्र सरकार गाँव के मजदूरों के एक दिन की मजदूरी १२० से बढ़ाकर कम से कम ३०० रुपया कर दे......नहीं तो इस योजना का नाम '' गंगू तेली रोजगार गारंटी योजना '' कर दे....मात्र १२० रुपया प्रतिदिन मजदूरी देने वाले इस योजना में महात्मा गांधी का नाम जोड़कर न सिर्फ मजदूरों का अपितु गांधी जी का भी अपमान किया जा रहा है।
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