आज जहाँ एक ओर मीडिया में नौकरी की अनिश्चितता दिखाई दे रही है....कोई तरीका नही समझ आ रहा है की आखिर अच्छी नौकरी पाई कैसे जाए....नौकरी पक्की कैसे हो.....हमारे अंदर सब कुछ है....डिग्री ही नही ज्ञान भी .....और जितना अनुभव होना चाहिए उतना अनुभव भी....बावजूद इसके ....कहीं न कहीं कुछ कमी है....भले ही वो सिस्टम की हो या हमारी.....लेकिन कमी है.....अधिकतर लोग दिल्ली से भोपाल....महाराष्ट्र से दिल्ली....मै खुद रीवा से दिल्ली और भोपाल का चक्कर लगाता रहता हूँ.....क्यों, सिर्फ और सिर्फ अपने मन मुताबिक नौकरी के लिए.......
इस बीच माखनलाल विश्वविद्यालय के कैव्स के तीन योद्धा हर्ष-प्रवीन और रजनीश विहान नाम की पत्रिका निकाल रहे हैं..और भी तमाम लोगो का सहयोग है इसमें सभीके बारे में मै ज्यादा नही बता पाउँगा.....लेकिन कैव्स का स्टुडेंट रहने के कारण मेरे लिए यह ....बहुत ही खुसी और गर्व की बात है......मै हर्ष जी के लिए चार पंक्तियाँ कहूँगा.....................गुमनामो की पहचान हो तुम
संघर्ष के दूजा- नाम हो तुम
ऐ हर्ष तुम्हारा क्या कहना
विहान हो तुम-विहान हो तुम ........
जी हाँ अपने व्यक्तित्व के अनुरूप ही इस पत्रिका का नाम विहान रखा है हर्ष भाई ने......एक बात और कह दू की हर्ष जी की तारीफ के साथ-साथ मै .......विहान के प्रबंध सम्पादक रजनीश जी और प्रधान सम्पादक प्रवीण परमार जी को भी बहुत बधाई और धन्यवाद देता हू....इस पत्रिका का सभी को इंतजार है........कोशिश अच्छी है......मात्र दो पंक्तियों के साथ.........
........बाधाओं से डरकर नौका पार नही होती
कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती.......
विहान विहान विहान विहान और बार-बार विहान पत्रिका की सफलता के लिए सुभकामना देता हू......चूँकि विहान की टीम मेरे दोस्तों की है इसलिए ....कुछ ज्यादा या गलत लिख दिया हू तो सभी दोस्तों और पाठको से माफ़ी चाहूँगा.....
dosto ka manobal badhane ke liye bahut bahut dhanybad...
जवाब देंहटाएंwaha guru tum to chha jate ho vihan prakashit bhi ho chuki hai
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