,,,"गांधी अब तक मरे क्यों नहीं"
बात 1942 की है जब गांधी आजादी के लिये अनशन शुरू कर दिये। देश मे भारत छोड़ो आंदोलन जोर पकड़ चुका था। बिरतानी हुक़ूमत इससे घबराई हुई थी। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल गांधी से बहुत नाराज थे। वह तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लीनलिथगो से गांधी के अनशन पर नजर बनाये हुये थे। उनको गांधी द्वारा पानी के साथ ग्लूकोज लेने का पता चला तो उनकी जांच करवायी गयी। हालाँकि झूठ निकला। वह कहते थे ये अर्धनग्न फ़कीर मरता है तो मरने दो। एक बार तो वायसराय से पूछा कि "गांधी अब तक मरे क्यों नहीं"।
बाद में 1944 में गांधी भी चर्चिल को पत्र लिखते हैं जिसमें कहते हैं कि "मैंने सुना कि आप एक साधारण ‘नंगे फ़कीर’ को कुचल देना चाहते हो. मैं बहुत लंबे समय से फ़क़ीर होने की कोशिश कर रहा हूँ"। हालांकि चर्चिल तक यह पत्र नहीं पहुंचा।
वह दक्षिण अफ्रीका से लेकर विश्व भर में प्रसिद्ध हो चुके थे। वो अमेरिका कभी नहीं गये, लेकिन बता दूं कि दो दर्जन से अधिक स्थानों पर लगी मूर्तियां उनके कद को दिखा रही हैं। पाकिस्तान, चीन सहित 84 देशों में प्रतिमाएं स्थापित हैं। उनको मारने की 5 बार कोशिश हुई और छठवीं बार गोडसे ने गोली मार दी।
गांधी हमारी आत्मा में बसे हैं। उनको मारा नहीं जा सकता। जब-जब उनको पढ़ा जायेगा तो गोडसे और उसकी विचारधारा पर थूका जाता रहेगा।
गांधी में कुछ कमियां भी थी। सबसे बड़ी कमी थी कि वो वर्णाश्रम व्यवस्था के पक्षधर थे। मनु की इस जातिवादी व्यवस्था जिसने देश का सर्वनाश किया हो, उसका गांधी सर्मथन करते थे। वह शूद्रों को अधिकार देना ही नहीं चाहते थे। भगतसिंह और उनके साथी क्रांतिकारियों को बचाने का ठोस प्रयास नहीं किया। पट्टाभिसीतारमैया की हार पर वे अपनी हार बता देते।
कमियां के बाद भी ,,,गांधी होना आसान नहीं है।
उनके अच्छे कार्यों को नमन।
गाँधी जयंती की बधाईयां।
बात 1942 की है जब गांधी आजादी के लिये अनशन शुरू कर दिये। देश मे भारत छोड़ो आंदोलन जोर पकड़ चुका था। बिरतानी हुक़ूमत इससे घबराई हुई थी। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल गांधी से बहुत नाराज थे। वह तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लीनलिथगो से गांधी के अनशन पर नजर बनाये हुये थे। उनको गांधी द्वारा पानी के साथ ग्लूकोज लेने का पता चला तो उनकी जांच करवायी गयी। हालाँकि झूठ निकला। वह कहते थे ये अर्धनग्न फ़कीर मरता है तो मरने दो। एक बार तो वायसराय से पूछा कि "गांधी अब तक मरे क्यों नहीं"।
बाद में 1944 में गांधी भी चर्चिल को पत्र लिखते हैं जिसमें कहते हैं कि "मैंने सुना कि आप एक साधारण ‘नंगे फ़कीर’ को कुचल देना चाहते हो. मैं बहुत लंबे समय से फ़क़ीर होने की कोशिश कर रहा हूँ"। हालांकि चर्चिल तक यह पत्र नहीं पहुंचा।
वह दक्षिण अफ्रीका से लेकर विश्व भर में प्रसिद्ध हो चुके थे। वो अमेरिका कभी नहीं गये, लेकिन बता दूं कि दो दर्जन से अधिक स्थानों पर लगी मूर्तियां उनके कद को दिखा रही हैं। पाकिस्तान, चीन सहित 84 देशों में प्रतिमाएं स्थापित हैं। उनको मारने की 5 बार कोशिश हुई और छठवीं बार गोडसे ने गोली मार दी।
गांधी हमारी आत्मा में बसे हैं। उनको मारा नहीं जा सकता। जब-जब उनको पढ़ा जायेगा तो गोडसे और उसकी विचारधारा पर थूका जाता रहेगा।
गांधी में कुछ कमियां भी थी। सबसे बड़ी कमी थी कि वो वर्णाश्रम व्यवस्था के पक्षधर थे। मनु की इस जातिवादी व्यवस्था जिसने देश का सर्वनाश किया हो, उसका गांधी सर्मथन करते थे। वह शूद्रों को अधिकार देना ही नहीं चाहते थे। भगतसिंह और उनके साथी क्रांतिकारियों को बचाने का ठोस प्रयास नहीं किया। पट्टाभिसीतारमैया की हार पर वे अपनी हार बता देते।
कमियां के बाद भी ,,,गांधी होना आसान नहीं है।
उनके अच्छे कार्यों को नमन।
गाँधी जयंती की बधाईयां।
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