मेरी एक दिन की कहानी नहीं है साहेब
सालों, साल का स्वयं साक्षात इतिहास हूँ मैं
बारिश, पतझड़, शीत जाने कितने मौषम आये
झुके, हिले, लहलहाये और सदा यूं ही मुस्कुराये
चिड़ियों का चहचहाना, फड़फड़ाना और उड़ना।
छांव में बैठे मूक जानवर, सब बखूबी याद है हमें
क्या लेता हूँ आपसे? कभी सोचा तो होगा आपने
बस खड़ा हूँ जड़ों को समेटे हुये कुछ गज जमीं पर
फूल, फल और इमारती लकड़ी देता हूँ मैं आपको
सांसों के लिये साफ, ताजी वायु देता हूँ मैं आपको
अपने को मिटा सब कुछ न्यौछावर करता हूँ आपको
मैं विशालकाय पेड़ हूँ, मैं विशालकाय पेड़ हूँ,
,,,मेरी एक दिन की कहानी नहीं है साहेब
#SaveAarey
#saveForest
#Savebreath
#Savelives
सालों, साल का स्वयं साक्षात इतिहास हूँ मैं
बारिश, पतझड़, शीत जाने कितने मौषम आये
झुके, हिले, लहलहाये और सदा यूं ही मुस्कुराये
चिड़ियों का चहचहाना, फड़फड़ाना और उड़ना।
छांव में बैठे मूक जानवर, सब बखूबी याद है हमें
क्या लेता हूँ आपसे? कभी सोचा तो होगा आपने
बस खड़ा हूँ जड़ों को समेटे हुये कुछ गज जमीं पर
फूल, फल और इमारती लकड़ी देता हूँ मैं आपको
सांसों के लिये साफ, ताजी वायु देता हूँ मैं आपको
अपने को मिटा सब कुछ न्यौछावर करता हूँ आपको
मैं विशालकाय पेड़ हूँ, मैं विशालकाय पेड़ हूँ,
,,,मेरी एक दिन की कहानी नहीं है साहेब
#SaveAarey
#saveForest
#Savebreath
#Savelives
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें