शकील जमशेदपुरी
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भारतीय टीम जब 18 सितंबर से टी-20 विश्व के अभियान की शुरूआत करेगी तो टीम को सबसे ज्यादा कमी एक ऑलराउंडर की खलेगी। क्रिकेट के इस छोटे संस्करण में ऑलराउंडर की भूमिका अहम हो जाती है। विश्व कप में हिस्सा ले रही ज्यादातर टीमों के पास बेहतरीन ऑलराउंडर है। पर भारत के पास ऑलराउंडर के नाम पर सिर्फ इरफान पठान है। पठान भी गेंदबाज ज्यादा और बल्लेबाज कम हैं। यह भारत की विफलता रही है कि कपिल देव के बाद सही मायने में कोई ऑलराउंडर भारत नहीं ढूंढ पाया।
2007 में जब हम खिताब जीते थे तब भी स्थिति यही थी। पांच साल बाद आज भी कुछ नहीं बदला। भारतीय बोर्ड ने आईपीएल को यह कह कर प्रोत्साहित कया कि इससे घरेलू प्रतिभाएं निकलेंगी। आश्चर्य है, आईपीएल के पांच संस्करण भी हमें एक अदद ऑलराउंडर नहीं दे पाया। ध्यान रहे पठान आईपीएल की देन नहीं हैं। 2007 विश्व कप के भारतीय टीम की तुलना अगर इस विश्व कप के टीम से की जाए तो इस बार 6 नए चेहरे है। इन 6 में से 4 खिलाड़ी ही ऐसे है जो 2007 के बाद प्रकाश में आए। सुरेश रैना, आर अश्विन, अशोक डिंडा और विराट कोहली। यानी पिछले 5 साल में हमें टी-20 के लिए उपयोगी सिर्फ 4 खिलाड़ी ही मिले है। उसमें भी कोई ऑलराउंडर नहीं। उम्मीद है, विश्व कप में ऑलराउंडर की कमी को रैना, सहवाग और रोहित शर्मा पूरी करेंगे।
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