आज सुबह जब घर से निकला तो कोई खबर नही मिल रही थी...... नजर दीवार पर लगे इस बोर्ड की महान विभूतियों पर गई .....यह सभी हमारा हाथ आम आदमी के साथ जैसे नारों का प्रतिनिधित्व करते नही थकते..... आज आम आदमी हाशिये पर है..... महंगाई ने उसका जीना मुहाल कर लिया है ..... यह स्केच भी इसी की बानगी दिखा रहा है ..........
नव दुर्गा के अवसर पर अपने मोहल्ले की गलियों में इसे सजा रखा है अभिषेक नाम के एक युवक ने... आज जब मेरी नजर इस बोर्ड पर गई तो सारा मोहल्ला कैमरे के सामने आने लगा ....टी वी में अपनी तस्वीरे देखने का मन किसे नही होता.... आज नजारा देखकर लगा मीडिया से लोग चमत्कार की उम्मीदे क्यों करते है ....
स्केच है यू पी ऐ और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी का जिनको चोर उच्चका गठबंधन का अध्यक्ष बताया गया है....... शायद यह महंगाई का डंक है........
अभिषेक के पडोसी तो इस काम की सराहना कर ही रहे थे साथ ही उसके मोहल्ले में दुर्गा जागरण के अवसर पर महंगाई डायन का जागरण हो रहा है.... कीमते इतनी तेजी से बदती जा रही है कि लोगो का जीना मुश्किल होता जा रहा है .... एक देवी ने मुझे बताया अगर यही सब रहा तो लोगो का अगले चुनाव में कांग्रेस से भरोसा उठ जायेगा......
स्केच है यू पी ऐ और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी का जिनको चोर उच्चका गठबंधन का अध्यक्ष बताया गया है....... शायद यह महंगाई का डंक है........
यह मनमोहन नही कुम्भकरण सिंह है........इनके पास बर्बादी विभाग है...... गरीबो को नही जीने देने की कसम इन्होने खायी है.........
इससे नीचे की तस्वीर में यह है हमारे देश के दुलारे कृषि कम क्रिकेट मंत्री शरद पवार जिनको अनाज की कोई परवाह नही है.....वह कहते है न मैं कोई ज्योतिष तो नही हूँ जो कह सकू महंगाई कम हो जाएगी..................
छमा प्रार्थी हू ..... पिछले एक महीने से ब्लॉग पर कुछ नया नही लिख पाया...... आज से नई पोस्ट की शुरुआत कर रहा हू......आशा है आप निराश नही होंगे..... बीते एक महीने से बहुत व्यस्त लाइफ चल रही है....दिन हो या रात हो फुर्सत ही नही हो पा रही थी.... प्रोपर ६ घंटे नीद भी नही ले पा रहा था....ऊपर वाले से दुआ करूँगा ऐसी व्यस्त लाइफ वह किसी को भी न दे..... व्यस्त होने की वजह पर फिर कभी बात होगी......."अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा " बचपन में हिंदी के अध्यापक कालोनी जी ने राहुल सांकृत्यायन की लेखन शैली के बारे में पदाया था .... इसका असली महत्व अब समझ में आ रहा है जब पत्रकारिता के फील्ड में रहकर खबरों की खोज खबर कर रहा हूँ.....पत्रकारिता में एक फंडा है किसी भी व्यक्ति के पास नोज फॉर न्यूज़ होनी चाहिए ....लेकिन कट , कॉपी ,पेस्ट के जमाने में आज खबरे दम तोड़ रही है....
आजकल तो फील्ड में जाने से पत्रकार कतराने लगे है ... एयर कंडिशनर रूमों में बैठकर खबरे चुराने का चलन चल पड़ा है ...डोट कॉम की अधिकतर पत्रकार यही सब कर रहे है... आम आदमी उनके भी हाशिये पर है...पेज थ्री वाली खबरों से फुर्सत मिल सके तब तो आम आदमी की बात हो पायेगी....... ऐश्वर्या के प्रेग्नेंट होने को तरजीह देने से आम आदमी से जुडाव रखने वाली खबरे अटकी रह जाएँगी ॥
अभिषेक के पडोसी तो इस काम की सराहना कर ही रहे थे साथ ही उसके मोहल्ले में दुर्गा जागरण के अवसर पर महंगाई डायन का जागरण हो रहा है.... कीमते इतनी तेजी से बदती जा रही है कि लोगो का जीना मुश्किल होता जा रहा है .... एक देवी ने मुझे बताया अगर यही सब रहा तो लोगो का अगले चुनाव में कांग्रेस से भरोसा उठ जायेगा......
वैसे लोगो का भरोसा सरकार से उठने लगा है ॥ तभी एक महिला ने मुझसे बातचीत करते हुए कहा कि सरकारे कीमते कम करने की दिशा में कोई ठोस कदम नही उठा रही है.... अगर यह सब होता तो आज दैनिक उपभोग की चीजे इतनी महंगी नही होती......कालाबाजारी और वायदा का कारोबार ही इतना ज्यादा है कि सरकार जमाखोरों पर अंकुश नही लगा सकती......
शरद पवार जैसे मंत्री तो पूरे साल के ३६५ दिनों में से ३६ दिन अपने मंत्रालय को दे पाते है ... बचे दिन वह क्रिकेट की यात्राओं में लगा दिया करते है .....ऐसे में क्या होगा हमारे किसान का.... ? वह तो आत्महत्या करेगा ही.......बेचारी पीपली लाइव भी लोगो को आत्महत्या करने से नही रोक पा रही है .... मध्य प्रदेश में भी अब किसान आत्महत्या की मामले बढ़ते ही जा रहे है॥ कल ही एक गाव के मेहनती किसान से बात हो रही थी... उसने कहा साहब खेती बाड़ी में अब कुछ बचा नही है.... बस हम सब जैसे तैसे अपने दिन काट रहे है.....
कुछ समय पहले पीपली लाइव के "नत्था " से मिलना हुआ .... उसकी तकदीर फिल्म आने के बाद भी नही बदल पायी है.....आज भी उसके पास रहने को खुद का मकान नही है... उसने एक बहुत अच्छी बात कही जो मेरे दिल को छू गई..... उसने कहा मैं नही चाहता कोई नत्था देश में फिर से आत्महत्या करे........लेकिन क्या करे किसान का दर्द आज कोई समझ नही सकता ......उनकी जमीनों को कोडियो के भाव या तो बेचा जा रहा है या उन पर सेज बने जा रही है ... ऐसे में देश की कृषि विकास दर २ फीसदी फिसड्डी से आगे बद पानी मुश्किल दिखाई देती है ...
(लेखक युवा पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक है .... आप बोलती कलम ब्लॉग पर जाकर इनके विचारो को पढ़ सकते है)
(लेखक युवा पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक है .... आप बोलती कलम ब्लॉग पर जाकर इनके विचारो को पढ़ सकते है)
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