कदम से कदम मिले
लो तैयार हो गया काफिला
जुल्म से जुल्म टकराये
लो आगाज़ हो गया क्रान्ति का...
घर घर में लगायी आग
लो दौर शुरू हो गया विद्रोह का...
तितर बितर रक्त छिटकता रहा
लो उठा खड़ा हुआ सैलाब लाल का...
जगह-जगह लोग कहते हैं
कभी दौर हुआ करता था आजादी का...
तभी दस्तक दी भगत-सुखदेव-राजगुरू ने
लो फिर से आगाज हुआ इन्क़लाब का...
करवॅट पे करवॅट वक्त लेता है
सर्वाहारी पर हावी पूंजीपति रहता है
जन-जन से जन सैलाब तैयार हो गया
फिर से शुद्धिकरण शुरू होगा समाज का...
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BHAI KIRANTI TO AAYGE ZARUUR JIS TRH SE BHGAT SINGH , RAJGURU SUKHDEV JAISE LOGO NE KI HI THIK USI TRH SE
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