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शनिवार, 27 नवंबर 2010

हर्ष , रजनीश और प्रवीण परमार ......आप लोगो को विहान पत्रिका निकालने के लिए बहुत - बहुत शुभकामना.......


आज जहाँ एक ओर मीडिया में नौकरी की अनिश्चितता दिखाई दे रही है....कोई तरीका नही समझ आ रहा है की आखिर अच्छी नौकरी पाई कैसे जाए....नौकरी पक्की कैसे हो.....हमारे अंदर सब कुछ है....डिग्री ही नही ज्ञान भी .....और जितना अनुभव होना चाहिए उतना अनुभव भी....बावजूद इसके ....कहीं न कहीं कुछ कमी है....भले ही वो सिस्टम की हो या हमारी.....लेकिन कमी  है.....अधिकतर लोग दिल्ली से भोपाल....महाराष्ट्र से दिल्ली....मै खुद रीवा से दिल्ली और भोपाल का चक्कर लगाता  रहता हूँ.....क्यों, सिर्फ और सिर्फ अपने मन मुताबिक नौकरी के लिए.......
    इस बीच माखनलाल विश्वविद्यालय के कैव्स के तीन योद्धा हर्ष-प्रवीन और रजनीश विहान नाम की पत्रिका  निकाल रहे हैं..और भी तमाम लोगो का सहयोग है इसमें सभीके बारे में मै ज्यादा नही बता पाउँगा.....लेकिन  कैव्स का स्टुडेंट रहने के कारण मेरे लिए यह ....बहुत ही खुसी और गर्व की बात है......मै हर्ष जी के लिए चार पंक्तियाँ कहूँगा..........
                      ...........गुमनामो की पहचान हो  तुम
                                 संघर्ष के दूजा- नाम   हो   तुम
                                 ऐ  हर्ष  तुम्हारा   क्या   कहना
                                विहान हो तुम-विहान हो तुम ........

जी हाँ अपने व्यक्तित्व के अनुरूप ही इस पत्रिका का नाम विहान रखा है हर्ष भाई ने......एक बात और कह दू की हर्ष जी की तारीफ के साथ-साथ  मै .......विहान के प्रबंध सम्पादक रजनीश जी और प्रधान  सम्पादक प्रवीण परमार जी को भी बहुत बधाई और धन्यवाद देता हू....इस पत्रिका का सभी को इंतजार है........कोशिश अच्छी है......मात्र दो पंक्तियों  के साथ......... 
                     ........बाधाओं   से  डरकर  नौका  पार   नही  होती 
                             कोशिश करने वालो की कभी  हार  नही होती.......
विहान विहान विहान विहान और बार-बार विहान पत्रिका की सफलता के लिए सुभकामना देता हू......चूँकि विहान की टीम मेरे दोस्तों की है इसलिए ....कुछ ज्यादा या गलत लिख दिया हू तो सभी दोस्तों और पाठको से माफ़ी चाहूँगा..... 
                                                         

शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

विहान

निष्पक्ष ............

निर्भीक.................


जनपक्षीय सरोकारों की दिशा में .............


एक पहल...................

" विहान "


निष्पक्ष एवम रचनात्मक सोच की पक्षधर पत्रिका .............




कीजिये कुछ इन्तजार..............

जल्द ही आपके हाथो में होगी


" विहान "

बुधवार, 24 नवंबर 2010

फ्रस्टेट लालू क्या किया , खैनी दिया बनाय.........

बिहार में नितीश को भारी बहुमत मिला  और एन डी ए  की सरकार फिर बन गई  .....इसमें आस्चर्य जैसी कोई बात नही है.....लेकिन मीडिया को रोज कोई न कोई मसाला चाहिए....मिल गया मसाला.....नीतिस की जीत...एन डी ए की जीत.... विकास की जीत...बात लालू की भी होनी चाहिए.....मै करता हू..........दरअसल लालू कभी नेता थे ही नही......वे तो नेता कम नही बल्कि जोकर हैं..... ऐसी बात नही है की लालू की जरुरत इस देश की जनता को नही है.....है जरुर है...... लालू की बहुत जरूरत है.....गरीब जनता को लालू की बहुत जरूरत है .....लेकिन मुख्यमंत्री और रेलमंत्री  की कुर्सी पर बैठने के लिए नही बल्कि लाफ्टर शो में जाकर लोगो को हंसाने के लिए...... वैसे भी आज के भाग दौड़ की इस दुनिया में बहुत टेंशन है.....लालू कुछ  टेंशन कम करदें यही उनकी तरफ से इस देश की जनता के लिए सच्ची सेवा होगी........रही बात नितीश के जीत की तो एक तो उन्होंने बिहार में कुछ काम किया था.....दूसरी बात मैदान में कोई था भी नही......राहुल गाँधी हर समय युवाओं को बेवकूफ बनाकर वोट बैंक बनाने  में कामयाब नही हो सकते.......आगे भारत माता की जय.....

मंगलवार, 16 नवंबर 2010

हुनर हमको भी आता है.....

शकील "जमशेदपुरी"
फोटो गूगल के सौजन्य से!
फूल में खुशबू है तुझसे, महकता है तेरे खातिर
चिंगारी शोलों में भी है, भड़कता है तेरे खातिर
बेशर्मी चांद की देखो ये तकता है तुझे अब तो
बेशर्मी इस दिल की देखो, धड़कता है तेरे खातिर

अंधेरा फिर घना छाया जुल्फ तूने जो लहराई
तेरा चेहरा जो देखे तो चांद लेता है अंगड़ाई
बहुत सुनते थे चर्चा फूल, कलियां और शबनम की
तुझे देखा तो जाना है कि सब तेरी है परछाई
 

पल्लू में चेहरा छुपाना भी तेरा यूं मुस्कूराना भी
गजब ढाता है यह मुझपर तेरा पलकें छुकाना भी
मुझे हर एक पन्ने में तेरा चेहरा झलकता है
पढूं कोई कहानी या पढूं कोई फसाना भी

प्यार शाजिस है गर तेरी तो इश्क है मेरा पेशा
दिखावा दिल मिलाने का भला यह खेल है कैसा!
निगाहों में बसाकर फिर निगाहों से गिरा देना
हुनर हमको भी आता है मगर करते नहीं वैसा

संघ आतंकवादी क्यों नहीं हो सकता!

फोटो गूगल के सौजन्य से.
यह पहला मौका था जब कोइ संघ प्रमुख खुद धरने में शामिल हुआ हो। हलांकि धरना प्रदर्शन न तो संघ की संस्कृति रही है न ही स्वभाव। तो फिर क्यों खुद संघ प्रमुख धरने पर बैठ गए। इतना ही नहीं, शायद यह पहला मौका होगा जब संघ को अपना अस्तित्व साबित करने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा हो। उधर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के पूर्व प्रमुख सुदर्शन ने तो सोनिया गांधी को अवैध संतान तक कह डाला। साथ ही राजीव गांधी और इंदिरा गांधी की हत्या में भी उनके हाथ होने की बात कही। और तो और सुदर्शन साहब ने तो सोनिया गांधी पर अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA की जासूस होने का इल्जाम भी मढ़ दिया।
आखिर क्या वजह है कि संघ की ओर से ऎसे बेसिर पैर वाले बयान आ रहे हैं। आखिर क्यों उन्हें धरना प्रदर्शन पर बाध्य होना पड़ा। इसका उत्तर एक शब्द में दिया जा सकता है- "बौखलाहट"।

संघ की यह बौखलाहट स्वभाविक भी है। पहले तो गृह मंत्री ने "भगवा" आतंकवाद शब्द का प्रयोग किया। फिर राहुल गांधी ने संघ की तुलना सिमी से की दी। और अब राजस्थान ATS द्वारा किए जा रहे जांच में नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। अजमेर, हैदराबाद, मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस धमाकों के तार संघ से जुड़ रहे हैं। अभी हाल ही में संघ के पदाधिकारी इंद्रेश का नाम अजमेर धमाकों से जुड़ा। ऎसे में संघ की बौखलाहट स्वभाविक है। "सच्चे देशभक्त" की छवि दांव पर लगती दिख रही है। हलांकि संघ आतंकी गतिविधियों में अपनी संलिप्तता को कांग्रेस की साजिश करार दे रहा है।

अब मेरी संघ से कोइ जाती दुश्मनी तो है नहीं। मैं मान लेता हूं कि संघ जो कह रहा है वो शत-प्रतिशत सही है। यानी कांग्रेस संघ को बदनाम करने के लिए जांच एजेंसि का दुरुपयोग कर रही है। मुझे यह मानने में भी कोइ आपत्ति नहीं कि संघ परिवार सबसे बड़े देशभक्त और भारतीय सभ्यता एंव संस्कृति के रक्षक हैं। और एक देशभक्त कभी आतंकी गतिविधियों में लिप्त नहीं हो सकता! उन्माद से उनका दूर-दूर तक कोइ सम्बंध नहीं हो सकता! इस तथ्य के मूल्यांकन के लिए हमें इतिहास के पन्ने पलटने होंगें।

1920 में पूरा देश गांधी जी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। इस दौरान हिंदू-मुस्लिम संगठित हो गए थे। अंग्रेजी हूकूमत को यह एहसास होने लगा था कि यदि भारत पर अधिक समय तक शासन करना है तो हिंदू-मुस्लम एकता को विघटित करना होगा। इसी दौरान RSS का गठन हुआ। कहा तो यहां तक जाता है कि RSS का गठन अंग्रेजों ने हिंदू-मुस्लिम के बीच फूट डालने के उद्देश्य से कराया था। यह बहुत हद तक सच भी लगता है जब हम पाते हैं कि 1920 से 1947 तक कोई भी RSS का नेता जेल नहीं गया। 1920 के बाद के राजनीतिक परिदृश्य पर गौर करने पर हम पाते हैं कि अंग्रेजों ने हर तरह से हिंदू-मुस्लिम के बीच मतभेद कायम करने की योजना बनाई। मुस्लिम लीग को दोबारा गांधी से अलग करना  इसी योजना का प्रतिफल था। आरएसएस का गठन भी करवाया गया और उन्हें यह जिम्मेदारी भी सौंपी गई कि देश के हिंदू को गांधी से दूर ले जाएं। भीष्म साहनी की पुस्तक "तमस" से पता चलता है कि किस तरह 1947 में बंटवारे से पहले आरएसएस वालों ने एक गरीब आदमी को पैसे देकर मस्जिद में सूर फुंकवाए। साम्प्रदायिकता फैलाने वाले इसी तरह से अपना काम करते हैं। यह बात और है कि बदलते वक्त के साथ उन्होंने नए-नए तरीके ईजाद कर लिए हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के साढ़े पांच महीने के अंदर महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई। यह हत्या एक विचारधारा द्वारा की गई थी। वर्तमान में संघ उसी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है।

ऐसे एतिहासिक परिपेक्ष्य में यह कहना कितना उचित है कि संघ वाले उन्माद नहीं फैला सकते? वह धमाके नहीं कर सकते? और वह एक सच्चे देशभक्त हैं? जाहिर है संघ की हिमायत की उम्मीद उसी से की जा सकती है जो खुद संघ परिवार से हैं-----एक हिंदूस्तानी से कदापि नहीं। दशहरे के दिन संघ वाले "शस्त्र" पूजा करते हैं जो इस बात का प्रमाण है कि अपनी नीतियों को पूरा करने के लिए हिंसा का सहारा लिया जा सकता है। संघ की नीतियों से हम सभी वाकिफ है। उनकी नीति हिंदूत्व पर आकर समाप्त होती है।
                                                                                                                           

शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

राहुल गाँधी जी आप चुप क्यों हैं......


.......आपने कहा था कि आर एस एस और सिम्मी एक जैसे संगठन यानि कि राष्ट्र विरोधी हैं....अब संघ के  पूर्व प्रमुख ने कहा कि सोनिया गाँधी ने  इंदिरा गाँधी और  राजीव गाँधी कि हत्या का साजिस  रचा था.....१२ नवम्बर 2010 के भास्कर अख़बार में ये भी लिखा है की सुदरसन जी ने सोनिया गाँधी को अवैध सन्तान कहा था...किसने गलत कहा किसने सही......ये साबित करने का काम मेरा नही है....लेकिन आप से गुजारिस है कि अगर आर एस एस राष्ट्र विरोधी संगठन है तो इस पर प्रतिबंध लगवाइए .....केंद्र में आपकी सरकार है......और अगर ऐसा कराने का साहस नही है तो बे सर पैर कि बात करके अपनी राजनीती चमकाने की  आइन्दा  कोशिस मत करिए......वर्ना कोई और सुदरसन आपको कुदर्शन करा देगा और आप दूरदर्शन पर देखते रह जाएँगे.....

बुधवार, 10 नवंबर 2010

हिंदुस्तान के अगुआ यानि कि सरदार मनमोहन सिंह जी आप जनता कि भावनाओं का कद्र क्यों नही करते...आपको सिर्फ सोनिया और राहुल जी के इशारे का इंतजार रहता है क्यों....

70 हजार करोड़ रुपया किसानो का कर्ज  माफ़ करके केंद्र सरकार आज तक दहाड़ती है......जबकि स्पेक्ट्रम वितरण  में केवल 1658 करोड़ रुपया केंद्र को मिला...1, लाख 76 हजार  7 सौ करोड़  रुपया घोटाले में कोई जवाब देने वाला नही है.....क्यों.....गठबंधन कि सरकार क्या इसी तरह चलेगी.....ए राजा को हटाया क्यों नही जा रहा है.....फैसला मनमोहन सिंह को करना चाहिए ....लेकिन करूणानिधि पर फैसला छोड़ा जा रहा है.......जबकि जयललिता ने कहा है कि राजा को हटाओ मै बिना शर्त समर्थन देने को तैयार हू.....साहस दिखाने का वक्त है.....मनमोहन सिंह जी ये देश का अबतक का सबसे बड़ा घोटाला है.....क्या आप  हिंदुस्तान के सबसे बड़े अर्थशास्त्री के राज में सबसे बड़ा घोटाला कराने  का रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं..........कुर्सी का मोह छोड़ दीजिये ...खुलकर फैसला लीजिये.......हिंदुस्तान कि विशाल  आम जनता का लाभ लेने अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा तक आ पहुंचे....लेकिन हिंदुस्तान के अगुआ  यानि कि सरदार मनमोहन सिंह जी  आप जनता कि भावनाओं का कद्र क्यों नही करते...आपको सिर्फ सोनिया और राहुल जी के इशारे का इंतजार रहता है क्यों.........ए राजा को हटाओ--देश बचाओ,   पाई--पाई वसूलकर एक बार फिरसे किसानो के हित में कुछ कमाल कर दिखाइए.....

शनिवार, 6 नवंबर 2010

              माफ़ कीजियेगा पत्रकार किसीको नही चाहिए...

वर चाहिए---वधु चाहिए  .....डाक्टर चाहिए
                                          इंजीनियर चाहिए
                   प्राइमरी स्कूल का सरकारी मास्टर भी चलेगा
                   सेना का जवान तो दौड़ेगा
                   पुलिस  या  रेलवे में तो क्लर्क क्या चपरासी भी चल सकता है.................................................लेकिन लेडिज एंड जेंटल मैन, माफ़ कीजियेगा पत्रकार किसीको नही चाहिए..........................


 क्यूँ नही चाहिए ......इसका कारण ये है की पत्रकारों की स्थिति अब  वो नही रही जो पहले कभी हुआ करती थी........गली-गली जर्नलिज्म के फैक्ट्री खुलते जा रहे हैं...और मीडिया के लिए सस्ते दर  पे मजदूर आसानी से मिल जा रहे हैं........खैर कुछ लोग जो इत्तेफाक से सेटल हो चुके हैं......वो इंकार कर देंगे.....वो कहेंगा.....म्य्लोर्ड ये सब बकवास है लेकिन आपको यकीं दिलाने के लिए कि मेरी बात सही है ये कहानी काफी है........................................एक समाचार पत्र के सम्पादक महोदय हैं.....उनके दो लड़के हैं....एक है पत्रकार....बोले तो नई दुनिया में रिपोर्टर है....जबकि दूसरा जो कि उनका छोटा बेटा है ......प्राइमरी स्कूल में मास्टर है.....बोले तो उसने बीए के बाद बीएड  किया था......अब सम्पादक जी परेसान हैं कि उनके छोटे बेटे के लिए लड़की वाले आ रहे हैं ...कोई दस लाख तो कोई पन्द्रह लाख देने को तैयार है.....सम्पादक जी बहुत दुखी हैं क्योंकि पहले वो अपने बड़े बेटे कि शादी करना चाह रहे हैं ......उनकी समस्या ये नही है कि बड़े लडके के लिए कोई नही आ रहा है.....बल्कि मुख्य समस्या ये है कि 2 .5  -3  लाख से ज्यादा कोई दे नही रहा है .....जबकि लड़का जागरण मीडिया इंस्टिट्यूट नॉएडा से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट है ..........आगे आप समझ सकते हैं.....कि पत्रकारों को आम लोग इज्जत तो देते हैं....लेकिन समझते हैं कि झोला लेकर घूमेगा......खैर कहानी यहीं ख़त्म करता हू....और ये कहानी बुझदिलों को डरा  सकती है ......हम जैसे लोग तो सोच समझ कर आये हैं....खासकर माखनलाल यूनवर्सिटी के लोग तो बिंदास होकर पत्रकारिता कर रहे हैं....और आगे भी करेंगे........आपको ऐसा लग रहा होगा कि बात को कहाँ से सुरु किया था और कहाँ ख़त्म कर रहा हूँ........लेकिन ..........फिर से ये बताना चाहूँगा कि मेरे परिचय के वो सम्पादक जी गाँव क्षेत्र से बिलोंग करते हैं......और गाँव में इन सरकारी मास्टर आदि को बहुत इज्जत मिलती है.....जबकि .......पत्रकार को जुझारू प्राणी समझा जाता है जो कि वो है.......आगे मै अपनी बात को ख़त्म नही कर पा रहा हू.....सब कुछ के बाद माफ़ कीजियेगा ......मै पत्रकारिता में आकर फिलहाल खुस हू.....उम्मीद है कि आप अगर पत्रकार हैं या पत्रकारिता कि पढाई कर रहे   हैं तो आप भी इस पेशे से हमेशा  खुस रहेंगे............खुदा हाफिज.....

हिंदुस्तान में असली भी कुछ है क्या..............हो तो बताना ............हिंदुस्तान में असली भी कुछ है क्या..............हो तो बताना .... हिंदुस्तान में असली भी कुछ है क्या..............हो तो बताना ... .


होशियार ये सरदार  नकली है ....इसके राज में हर चीज नकली है...
रोजाना न्यूज पेपर में निकल रहा है......होशियार.........
1 ...दीपावली में खोवा नकली , मिठाई नकली.
२ ..देशी घी नकली..
3 ..पेठा नकली..
4 ...सब्जी नकली ..( केमिकल वाला इंजेक्शन लगाकर तैयार  )
5 ..फल नकली...( वही सब्जी वाला हाल  )
6 ..डिग्री नकली...फर्जी डिग्री वाले लोग नौकरी कर रहे हैं...यूपी में शिक्षा मित्र बनाया जा रहा है डिग्री के अंको के आधार पर ( कुछ लोग सीधे फर्जी डिग्री लगा देते हैं तो कुछ थोडा शर्म वाले हैं जो गांव-देहात में जाकर नकल वाले सेंटर से नकल करके डिग्री हासिल कर रहे हैं और नौकरी पाकर आने वाली पीढ़ी का भविष्य खराब करने को तैयार हैं  और जो बेचारे कम नम्बर पाने वाले ईमानदार लोग हैं वो सरकार के इस निति को कोसते  नही थकते ज्यादा विस्तार में क्या जाऊं  बात आको समझ में आ ही गई होगी ...इस निति के जिम्मेदार माननीय मुल्ला मुलायम सिंह और हमारी आपकी मुहबोली  बहन मायावती जी हैं.....इस धरती पर इन लोगों का साम्राज्य ख़त्म करने वाला तो कोई फ़िलहाल दिखाई नही देता...हो सकता है पूतना और कंस को सबक सिखाने वाला कन्हैया भी इनके कारनामो को देख रहा हो ....आएगा....एक दिन वही आएगा  )
7 ..हितग्राही नकली....नकली लोग गरीबी रेखा के निचे का राशन कार्ड बनवाकर ऐश कर रहे हैं ...और गरीब लोग इधर से उधर दौड़ रहे हैं की मेरा राशन कार्ड बनवा दो नेता जीc....नेता जी कह रहे हैं की इतना नोट खर्च करके चुनाव जीता हू ..इसीलिए की राशन कार्ड बनवाता फिरू....
8 ...दवा नकली....
9 ....दारू नकली....
10 ....बेटा नकली.........ये हम नही कह रहे हैं ....ये तो अपने नारायण दत्त तिवारी जी का कहना है की रोहित उनका बेटा नही है.....मतलब .....आप समझ जाइये...
11 .....
१२ ...
13 ....ये लिस्ट ख़त्म होने वाली  नही है लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण बात मै इन नकली चीजों के लिस्ट को गिनाकर बताना चाह  रहा हूँ ....वो है अपने देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा नकली सरदार मनमोहन सिंह....जी हाँ सरदार नकली है......ये बात भी मै नही कह रहा हू...ये बात भी सिद्ध होती है .....फोर्ब्स पत्रिका द्वारा जारी दमदार सख्सियतों के लिस्ट से.....सोनिया गाँधी को 9 वां स्थान हासिल हुआ है और नकली सरदार को 18 वां स्थान...ये कैसा हिंदुस्तान है की प्रधानमन्त्री की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति ताकतवर नही है बल्कि सोनिया गाँधी महोदया हैं जिनकी कोख से हिंदुस्तान का युवराज पैदा हुआ है...........मनमोहन सिंह शर्म करो.....सुना था सरदार असरदार होते हैं......लेकिन आप जैसे सरदार जब पिछलग्गू होकर जी मैडम --यस मैडम करने लगते हैं तो ऐसे सरदार असरदार की बजाय बेकार हो जाते हैं....और नकली सरदार ही कहे  जाने योग्य रह जाते हैं........
                              मनमोहन सिंह जवाब दो--------जब आर एस एस  और सिम्मी एक जैसे संगठन हैं, जैसा की राहुल गाँधी ने कहा है तो आपने आर एस एस पा प्रतिबंध  क्यों नही लगाया.....जबकि सिम्मी पर तो प्रतिबंध लगा दिया है........डर  के आगे जीत है मोहन .......आगे बढ़ो जी हुजुर और येस मैडम करना बंद करदो.....

बुधवार, 3 नवंबर 2010

शर्मिला चानू की भूख हडताल को एक दशक पूरा हुआ

मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला चानू की भूख हडताल को आज दस साल पूरे हो गए। वे मणिपुर से विवादित आम्र्ड फोर्सज स्पेशल पावर्स एक्ट (एएफएसपीए) 1958 हटाने की मांग को लेकर भूख हडताल पर है।

देश के कुछ ही इलाकों में यह कानून लागू है जिनमें मणिपुर भी है। शर्मिला इस कानून के विरोध में 2000 से अनशन पर है। प्रशासन और सरकार ने उनकी भूख हडताल को तुडवाने के लिए कई तरीके आजमाए लेकिन वे नाकाम रहे। इम्फाल स्थित जे एन अस्पताल में भर्ती शर्मिला को नाक के जरिए आहार दिया जा रहा है। अब शर्मिला को ग्लूकोज और दवाओं के सहारे ही जिंदा रखा जा रहा है। इम्फाल के अस्पताल के जिस कमरे में उन्हें रखा गया है उसे एक जेल में तब्दील कर दिया गया है। वे न्यायिक हिरासत में हैं। आज शर्मिला के आंदोलन के समर्थक राज्य के विभिन्न हिस्सों में धरना प्रदर्शन कर रहे है। शहर के रिक्शाचालकों ने भी रैली निकाली।
by --khaskhbar

सोमवार, 1 नवंबर 2010

ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के नाम पर छलावा...........


हफ्ता भर लेखक मध्य प्रदेश के जनसंपर्क विभाग में प्रदेश की उद्योग मंत्री कैलाश विजय वर्गीय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाने का अवसर मिला... मौका था ग्लोबल इन्वेस्टर मीट को लेकर सरकार की नीतियों का गुणगान करनेका... मै इस प्रेस मीटिंग में देरी से पंहुचा.... जनसंपर्क विभाग के जिस कक्ष में इन्वेस्टर मीट की पी सी रखी गई थी वहां पैर रखने भर की जगह नही थी.... आमतौर पर भोपाल में बड़े बड़े चैनलों के रिपोर्टर कभी फील्ड में अपने कैमरामैनों के साथ नजर नही आते है ..... लेकिन जब भाजपा के बड़े बड़े नेताओं की प्रेस वार्ताए और पत्रकारों की मंत्रियो के आवासों पर दावते हुआ करती है तो अपने को बड़ा चैनल कहने वाले कुछ पत्रकार ऐसी पार्टियों में सबसे पहले मंत्रियो के सामने बैठा करते है....

कैलाश
विजय वर्गीय की इस पी सी में भी यही नजारा दिखायी दिया ..... मंत्रियो की चरण वंदना करने भास्कर से लेकर अमर कीर्ति तक के सारे पत्रकार पहुच गए... चैनलों की बात करू तो अपने को सबसे तेज कहने वाले पत्रकारों से लेकर डोट कॉम तक के सारे पत्रकार इस आयोजन में पहुचे..... भला पहुचे भी क्यों ना क्युकि खजुराहो में बड़े बड़े उद्योग मंत्रियो का कुनबा जो जुट रहा था .... मंच पर भाजपा के मध्य प्रदेश के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा के साथ प्रदेश के उद्योग मंत्री कैलाश विजय वर्गीय विराजमान थे.......

कैलाश
की पूरी पी सी सरकार की उद्योग नीति पर केन्द्रित थी... उसमे बड़े बड़े वायदे किये जा रहे थे... टाटा सेलेकर अम्बानी ...रुइया से लेकर सुभाष चंद्रा के कसीदे पड़ने के साथ ही उन महानुभावो का गुणगान किया जा रहा था जो अपने लाव लश्कर के साथ शिवराज सिंह चौहान के मध्य प्रदेश में उद्योग लगाने की संभावनाओ को तलाशने यहाँ आये थे ....कैलाश विजयवर्गीय ने पूरी पी सी में अपनी सरकार का गुणगान किया और कहा कि मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के प्रयासों से बड़े बड़े उद्योग राज्य में आये है और यहाँ निवेश की सम्भावनाये मजबूत हुई है..... शायद कैलाश को यह बात मालूम नही थी कि मध्य प्रदेश में निवेश करने से देश के उद्योगपति कतराने लगे है..... यह सवाल किसी पत्रकार के जेहन में नही आया .... अगर आता तो उनसे जरुर सवाल जवाब होते और वह पत्रकारों के जाल में फस जाते .....
मै पी सी में देरी से पंहुचा... मेरे साथ एक चैनल के एक रिपोर्टर और थे ... हम दोनों ने पी सी वाले रूममें देरी से प्रवेश किया... मेरे साथी रिपोर्टर तो पी सी में खड़े ही रह गएलेकिन भारी भीड़ को दरकिनार करते हुए मै सीधे पत्रकारों के बीच पंहुचा ... मेरे बगल में एक हिंदी समाचार पत्र के पत्रकार बैठे थे... उन्होंने बड़ी आत्मीयता से मुझसे हाथ मिलाया और मेरे लिए जगह बनाई.... उनसे जब मेरी गुप्तगू हुई उस समय कैलाश की पी सी पर चल रही थी तो खजुराहो का मुद्दा भी गर्मजोशी के साथ उठ गया ... मैंने उनसे कहा शिवराज सरकार की अब तक की सारी इन्वेस्टर मीट छलावा ही साबित हुई है.... ऐसा कहने के बाद उन्होंने मेरे सुर में सुर मिलाया और कहा हर्ष जी आपकी बात सोलह आने सच है.... लेकिन किसी पत्रकार ने उनसे वैसे सवाल करने की जहमत नही उठाई .... अगर उठाते तो शायद खजुराहो के प्रचार प्रसार के लिए मिलने वाले विज्ञापन से उन्हें महरूम होना पड़ता .....कैलाश विजय वर्गीय"शिव" के जिन आकड़ो के सहारे अपनी जादूगरी कर रहे थे वह उनको नही भाई और तपाक से कैलाश के सामने उन्होंने सवाल दागा ... करोडो रुपये फूकने के बाद मध्य प्रदेश में किसी निवेशक का ना आना चिंता का विषय है .... इस प्रश्न के उत्तर में कैलाश ने फिर एक बार अपने विभाग की चरण वंदना करनी शुरू कर दी......जब पत्रकार ने यह पूछा कि पिछले पांच इन्वेस्टर मीट में कितने उद्योग लगे है तो कैलाश नाराज हो गए और उस पत्रकार की बात को टालते हुए चालाकी से अलग विषय को पत्रकार वार्ता में रखने लगे...... | यह वाकया ये बताने के लिए काफी है कि आम आदमी के सरोकारों की बात करने वाली हमारी सरकारे विकास को लेकर कितना संवेदनशील है..... ?
मजे की बात यो यह है जिस मुखिया के उद्योग मंत्री को अपने विभाग द्वारा किये गए करारो के बारे में कोई जानकारी नही हो , वहां विकास की गाड़ी किस तरीके से हिच्खोले खाते चल रही होगी इसकी कल्पना आप बखूबी कर सकते है......यकीन जानिये मध्य प्रदेश में कोई उद्योगपति चाहकर भी नही आना चाहते ....इसका कारण यहाँपर बुनियादी सुविधाओं की कमी है... हालाँकि शिवराज के आने के बाद यहाँ पर विकास की रफ़्तार में तेजी आई है लेकिन अभी बहुत से ऐसे मामले है जहाँ बीमारू राज्य का कलंक मध्य प्रदेश नही छूट रहा है...|
शिवराज कहते है मध्य प्रदेश में रिकॉर्ड विकास हो रहा है.... कैलाश तो आकड़ो की बाजीगरी करना बखूबी जानते हैवह भी उनके सुर में सुर मिलते कहते है हम निवेशको को अपनी ओर खीचने में कामयाब हुए है ....लेकिन यह बात प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को नही सुहाती वह शिवराज और विजयवर्गीय के आकड़ो को सिरे से नकार देते है.....बात खजुराहो की करे तो यहाँ भी हर घंटे ढाई करोड़ के निवेश की बात की गई लेकिन प्रदेश में आकर भारी उद्योग मंत्री अरुण यादव शिवराज सरकार के दावो को सिरे से नकार कर चले गए..... और तो और कांग्रेस पार्टी का कोई बदा नेता खजुराहो की मीत में शिरकत करने आमंत्रण दिए जाने के बाद नही आया ....

आकड़ो
की बाजीगरी करने में शिवराज सरकार सबसे तेज है... उनके भाषणों में यह अंदाज झलकता है.... ऐसा नही है मै शिवराज जी की बुराई कर रहा हूँ.... उनकी काबिलियत पर तो किसी तो कोई संदेह नही होना चाहिए लेकिन नौकरशाह के साथ उनके मंत्री मिलकर सरकार की छवि खराब करने में तुले रहते है जिसके छींटे उनकी साख को भी प्रभावित करते है.....अब कैलाश का ही मामला अगर ले तो यह बात अच्छी से समझ आती हैकि कैलाश अपने विभाग की कार्यशैली से कितना वाकिफ है .... अगर उनको अपने विभाग की जानकारी सही से होती तो जनसंपर्क की पी सी में उस पत्रकार के सवाल को कैलाश चालाकी से नही टालते.......

शिवराज सरकार ने पिछले कुछ वर्षो में निवेशको को आकर्षित करने के लिए पांच इन्वेस्टर मीट पर करोड़ से ज्यादा पैसा लुटा दिया लेकिन इस अवधि में प्रदेश में उस अनुपात में उद्योग नही लगे जिस अनुपात में लगने चाहिए थे.....तीन सालो में तकरीबन मीटो में जनता की गाड़ी कमाई को पानी की तरह बहाया गया.... लेकिन जनता को इन करारो से कुछ भी हासिल नही हुआ... इन्वेस्टर के नाम पर विदेश यात्राये करने में भी मध्य प्रदेश के मंत्री पीछे नही रहे....तीन से ज्यादा विदेश यात्रा में भी करोड़ रुपये फूकने के बाद बमुश्किल १०० करोड़ से भी कम का निवेश हुआ है....

अब तक अपने राज्य में हुई मीटो का जिक्र करे तो तीन सालो की समिट में ३३३ ऍम यू हुए जिनमे १३ ऍम यू पर ही आज तक अमल हो सका हैयही नही खजुराहो , इंदौर , ग्वालियर , बुंदेलखंड की जिन मीटो में उद्योगों को लगाये जाने की बात उद्योगपति कर रहे थे वह आज मध्य प्रदेश में उद्योग लगाने की अपनी घोषणा से मुकर चुके है.....| ६८ के पीछे हटने और ७५ मामलो में जमीन नही ढूढे जाने के चलते मध्यप्रदेश की सरकार की पिछली मीट इन्वेस्टर मीट छलावा ही साबित हुई है....|खजुराहो की जिस मीट पर प्रदेश के मुख्य मंत्री और उद्योग मत्री अपनी पीठ थपथपा रहे है उनको यह मालूम नही कि सरकार की पिछली मीट कितनी बेनतीजा रही है ....१३ उद्योग तो बिना इन्वेस्टर मीट के भी मध्य प्रदेश में लग सकते थे....लेकिन ये मनमोहनी इकोनोमिक्स वाला इंडिया है यहाँ आम आदमी की किसी को परवाह नही है.... अगर परवाह होती तो जनता की गाडी कमाई शिवराज सरकार इस तरह इन्वेस्टर मीटो के आयोजन में नही लुटाती................................

( लेखक युवा पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक है..... आप बोलती कलम ब्लॉग पर जाकर समसामयिक विषयो पर इनके विचार पढ़ सकते है)

दीपावली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाये...... छुट्टियों को मनाने अपने घर उत्तराखंड आज जा रहा हूँ..... वहां से लौटने के बाद ब्लॉग पर नई पोस्ट पड़ने को मिलेगी..... सब्र रखिये , कीजिये थोडा इन्तजार..... एक अंतराल के बाद फिर आपसे जुड़ता हूँ...........