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सोमवार, 29 मार्च 2010

तमाशा राजनीति का..

हमारे देश के नेता अजीबो गरीब हरकते करते रहते हैं और अपने  धूर्तगिरी  का परिचय भी समय समय पर देते हैं.. लो एक नया बखेड़ा महाराष्ट्र में फिर से तैयार हो गया है और इस बार कांग्रेस ने अपनी वास्तविक छवि से सबको  परिचित कराया है, आखिर कब तक कोई पाखंड का चोला पहनकर बैठ सकता है दरअसल अभिताभ को बांद्रा वरली के एक कार्यक्रम में बतौर अथिति के तौर पर बुलाया गया था लेकिन  अतिथि  को भगवान का दर्जा देने वाले इस देश में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने अभिताभ और अशोक चव्हान  को एक मंच पर देखा तो उन्हें यह दृश्य रास नहीं आया और उन्होंने इसका विरोध किया जिसका असर पुण के साहित्य  सम्मलेन में देखने को मिला ....अमिताभ अपने पिता हरिवंश की कविता पढ़ते रहे और एक के बाद एक देश की समस्याओं को जो वास्तव में कविता में मौजूद थी के माध्यम से राजनीति  और राजनेताओ को पिंच देते रहे ....अब देखिये ये राजनितिक तमाशा कौन सी करवट बदलता हैं ....

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