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मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

विश्व रत्न बाबा साहेब बी.आर. अम्बेडकर को नमन

विश्व रत्न को नमन
समानता, न्याय और ज्ञान के प्रतीक विश्व रत्न बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर को 129 वें अवतरण दिवस पर नमन।
क़ाबिलियत, इंसानियत, समझदारी और सूझबूझ से उन्होंने भारत ही नहीं विश्व को नई दिशा दी। देश का उद्धार किया। उनकी नींव पर ही ये देश खड़ा है।
कुछ लोग संविधान निर्माता पर कई सवाल उठाते हैं। कमजोर और लचीला संविधान बताते हैं। कुछ संविधान को उधार का पिटारा या थैला कहते हैं। यह बात डॉ आंबेडकर ने अपने जीवन में ही कह दी थी और कहा था कि जिस प्रकार के लोग सत्ता में होंगे वैसा ही देश चलायेंगे। हमने संविधान निर्माण में कोई कमी नहीं छोड़ी। हर नागरिक के हितों का ख्याल रखा। ताकि श्रेष्ठ भारत का निर्माण हो सके।
आपको विश्व समानता दिवस, चेतना दिवस की ढेरों बधाईयां।

जो सवाल उठाते उनके लिए,,,
कहना चाहता हूँ कि इतना खोज लेना कि कितने देशों में उनके जीवन परिचय को पढ़ाया जाता और कितने शोध हुये।
अब उनके ज्ञान की बात
भारत रत्न डॉ अंबेडकर के पास BA, MA, M.SC, P.H.D, L.L.D, DSC, D. Litt., Barrister-at-law समेत बत्तीस (32) डिग्रियां थीं। इसके अलावा वे कुल नौ भाषाओं के जानकार थे। विशेषज्ञ थे।
तीन साल कोलंबिया प्रवास के दौरान बाबा साहेब ने उनत्तीस कोर्स वाणिज्य में किये, ग्यारह कोर्स इतिहास में, छः कोर्स समाज शास्त्र में, पांच कोर्स दर्शन शास्त्र में, चार कोर्स मानवशास्त्र में, तीन कोर्स राजनीति शास्त्र में, एक एलिमेंट्री फ्रेंच में और एक जर्मन में कोर्स पूर्ण किया।
और हां जो तुम संविधान की प्रतियां जलाते हो। इतना जान लेना ये जो सांस ले रहे हो वह संविधान की ही देन है।
,,,न्याय के शिल्पकार महामानव को नमन।

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