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शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

"ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू

"ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
मैं जहाँ रहूँ जहाँ में याद रहे तू
तू ही मेरी मंजिल है, पेहचान तुझी से
पोहुंचू मैं जहां भी
मेरी बुनियाद रहे तू। "
जिस तेजी से केस बढ़ रहे उससे चिंतित हूँ, दुःखी हूँ। अब मुझे वो निश्चिंत नींद नहीं आ रही। खैर जो भी हो।
आप जिम्मेदारी से अपना, अपनों का बचाव करें। घर पर ही रहें।
लाखों चिकित्सा कर्मी, पुलिस के जवान, आर्मी के जवान आपनों से दूर रहकर दिन-रात सेवा कर रहे हैं। घर से बाहर निकलकर उनको अपमानित न करें।
घर पर रहकर साथ दें,,,हम एक दिन इस महामारी से जीत जायेंगे।

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