आपने अफीम की खेती की है।अब भला सोचिए कि जो आपने बीज रोपित किए थे। उनमें मौसम के अनुसार आपने पानी दिया धूप दी, छांव दी और सब कुछ दिया। अब आप सोच रहे हैं कि इससे अमन चैन आएगा। यह बेईमानी नहीं तो क्या है। आप जब अफीम की खेती करेंगे, बीज रोपेंगे, पानी देंगे तो इससे जो हवा चलेगी। वह नशीली होगी। लोग जहरीले होंगे। वातावरण दूषित होगा। लोग पगला भी सकते हैं। उन्मादी भी हो सकते हैं। इसके परिणाम सामने आने लगे हैं। आपने क्या सोचा कि इसका असर दूसरों पर होगा। इसका असर हमारे लोगों पर नहीं होगा। इसका असर इतना अध्यापक होगा कि पूरे देश में आग लग जाएगी। अब आप देश में अमन-चैन, तरक्की, विकास कैसे सोच सकते हैं। यह सोचना आपकी भूल होगी। आप देश में तरक्की की बातें करके अपने आप को गुमराह कर सकते हैं या जनता को बेवकूफ बना सकते हैं। आप समझ रहे होंगे कि मैंने क्या किया है। मैंने अपने घर में ही आग लगाने का काम किया है और अब बुझाने के लिए पूरा तंत्र लगा रहे हो। पहले खेती करने से पहले, बीज रोपने से पहले आपने कुछ नहीं सोचा। परिणाम भले ही आम जनमानस को भुगतना पड़े, लेकिन इसका असर आप पर भी होगा। आप कतई न सोचा कि मैं चैन से सो जाऊंगा। इसमें न आप सो पाएंगे, न रह पाएंगे और न ही जी पाएंगे ऐसा मेरा मानना है।
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