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शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

गुस्ताखी माफः बिना बताए ना गायब हुआ करें राहुल जी

खुद को लोगों के बीच से गायब कर लेना एक अद्भुत कला है। ये शक्ति हासिल करना कोई आसान काम नहीं। बड़ी तपस्या के बाद हासिल होती है। इसीलिए तो इसे ना हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पा सके और ना ही अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा। लेकिन बहुत ही छोटी उम्र में कांग्रेस के शहजादे राहुल गांधी ने इसे हासिल कर सबको टक्कर दे दी। लोकसभा चुनावों और दिल्ली में विधानसभा चुनावों में जबरदस्त हार का सामना करने के बाद ऐसा अन्तरध्यान हुए कि प्रकट होने का नाम ही नहीं ले रहे। राहुल की इस नटखट आदत से इस बार कांग्रेस ही नहीं उनकी धुरविरोधी पार्टी भाजपा भी काफी चिंता में है। उन्हें डर है कि कहीं बाबा खो ना हो जाएं। चिंता का आलम यह है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित षाह को बैंगलुरू में कांग्रेस से कहना पड़ा कि आप मेरी परवाह छोड़ पहले शहजादे को ढूंढें। खैर कांग्रेस उपाध्यक्ष की इस गुमशुदगी से कम से कम यह तो स्पष्ट हो गया कि विरोधी भी दिल ही दिल में इनका बहुत ख्याल करते हैं।
वैसे राहुल के गायब होने की इस कला को सैल्यूट करना होगा। सूचना क्रांति के इस युग में दुनिया भर में कोई इस बात का पता नहीं लगा पाया कि आखिर वे हैं कहां। मीडिया में एक बार खबर आई थी कि बाबा कहीं योग का प्रशिक्षण ले रहे हैं। लेकिन पुष्टि नहीं हो सकी। वैसे योग ही सीखना था तो रामदेव बाबा के पास जाने में क्या हर्ज था। जो भी हो कांग्रेस के लक्ष्मण कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह ने हाल ही में कहा था कि राहुल जी इसी महीने अपनी तपस्या खत्म करके भारत वापस लौट रहे हैं। संभवतः 19 अप्रैल को उनके दर्शन साथी-विरोधियों सभी को होंगे।
करीब तीन महीने तक गायब रहे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लोगों ने खोज निकाला। पुतिन को छोड़िये लोगों ने तो उनकी बेटी का फोटो तक खोज लिया। हर साल अपनी हेयर स्टाइल बदलने वाले उत्तरी कोरिया के तानाशाह किंम जोंग उन को ढूंढ लिया गया। ये भी पता लगा लिया गया कि बीमार थे। लेकिन राहुल गांधी को कोई नहीं खोज  पाया। वाकई उनमें कुछ अलग है तो देश-दुनिया के बड़े-बड़े नेताओं में भी नहीं है।
वैसे खोज निकालने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पीछे नहीं हैं। अपनी हरेक रैली में वो कोई ना कोई ऐसा इतिहास खोज लाते हैं कि खुद बड़े-बड़े इतिहासकार अपनी खोज पर शक करने लगते हैं। बावजूद इसके मोदी जी अपनी इस प्रतिभा पर बिल्कुल भी घमंड नहीं करते है। लेकिन राहुल जी को खोज निकालने में इस बार वे भी चूक गए। खोज निकालने में दौड़ी में धर्मपत्नियां भी आगे हैं। गत वर्ष एक युवा कवि और अब नेता जी खुद के खिलाफ हुई एक खोज से परेशान न थे। फिर पता चला कि यह खोज किसी और ने नहीं बल्कि उनकी पत्नी ने ही की थी। इस बात की जानकारी जिन्हें नहीं थी बाद में खुद उन्होंने ट्विटर पर इसे लोगों को बता दिया। बोले, कुमार हूं विश्वास नहीं करोगे।
लेकिन राहुल को ऐसे वक्त पर गायब नहीं होना था। होते तो सीखते कि कैसे बजट पेश होता। कैसे बजट सत्र में हंगामा होता है। कैसे भूमि अधिग्रहण बिल पर कई दिनों तक संसद ठप रहती है। कैसे विरोधी नेताओं के विवादित बयानों पर हंगामा किया जाता है। कैसे प्रधानमंत्री से माफी मंगवाई जाती है। होते हो देखते बारिश ने ओलावृष्टि ने कैसे एकतरफा फसलों को बर्बाद कर दिया। कैसे लाखोें किसान ये सदमा झेल रहे हैं। कैसे खेत-खलिहान शमशानघाट बनते हैं। हो तो सीखते कि कैसे मुआवजे के नाम पर राजनीति बेची जाती है। होते तो देखते जनता के नाम पर एक दूसरे को गाली देने वाले परिवार कैसे जनता परिवार को अमलीजामा पहना रहे हैं। देखते कि आजम खां जैसे लोग कैसे अपनी ही पार्टी के खिलाफ धरना प्रदर्शन करते हैं। होते तो पता चल जाता कि उनके होने ना होने से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को कोई फर्क नहीं पड़ता। वे जान जाते कि मन ही मन में उनके ही कार्यकर्ताओं ने प्रियंका गांधी को अपना नेता मान लिया है। और अगर राजीव गांधी होते तो वे भी कांग्रेस को मजबूत करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं के इस फैसले को मान लेते...। वैसे सुना है राहुल जल्द ही दिल्ली आने वाले हैं. 

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