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शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

माँ के पेट से चक्रव्यू भेदने की कला सीखने वाले भारतीय युवाओं में इतना अँधेरा क्योँ?

खबर भोपाल की है.................
बुधवार को बीएचएमएस थर्ड ईयर की छात्रा ने अपने कमरे में फांसी लगा ली. वजह था प्यार में धोखा. इससे पहले भी मेडिकल की एक छात्र ने ख़ुदकुशी कर ली थी. वहां भी मामला प्रेम प्रसंग का ही था. ऐसी ख़बरें कितनी दुखद होती है. सिर्फ मनचाहा प्यार न मिलने पर जिंदगी को अलविदा कह देना, युवाओं की सोच पर बड़े सवाल खड़े करता है. आखिर युवाओं में इतनी हताशा, इतनी निराशा क्योँ?
कुछ ही दिन पहले की बात है. मेरे कॉलेज में दो दोस्त आपस में झगड़ रहे थे. एक का कहना था कि तुमने बीती रात मेरा फ़ोन सिर्फ इस लिए नहीं उठाया, क्यूंकि तुम उस वक़्त किसी लड़की से बात कर रहे थे. तुम लड़कियों को बिला वजह इतना महत्व देते हो. मैं तो लड़कियों को घुटने पर रखता हूँ. तभी दूसरा दोस्त अपने जूतों कि तरफ इशारा करते हुए बोला- मैं लड़कियों को यहाँ रखता हूँ...............................
यह विचार किसी एक लड़के के व्यतिगत हो सकते हैं, पर इसमें कोई शक नहीं कि लडको कि ऐसी मानसिकता लड़कों के एक बड़े समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं. ज़ाहिर है अगर लड़के लड़कियों के बारे में ऐसी सोच रख सकते हैं, तो उसे मरने के लिए भी छोड़ सकते हैं. मेरा भी व्यकिगत तौर पर भी यही मानना है कि लड़के अच्छे प्यार करने वाले होते हैं, जबकि लड़कियां अच्छी चयन करने वाली होती है. अंग्रेजी में कहा भी जाता है- "Boy is a good lover and girl is a good chooser". बहुत कम ऐसे अवसर आते हैं, जब लडकियां किसी से सच्चा प्यार करती है. पर जब वो सच्चा प्यार करती है, तो पूरे मन से करती है. यहाँ तक कि नर्क तक भी उस लड़के का पीछा करती है. मुझे कहने में कोई झिझक नहीं कि उनके  प्यार की पराकाष्ठा ही उन्हें आत्महत्या पर आमादा कर देती है.
मैं लड़कों को कटघरे में खड़ा नहीं करना चाहूँगा. पर वे इन बारीकियों को समझें  कि सच्चा प्यार करने वाली लड़कियां किसी भी कीमत पर हार नहीं मानतीं. तब उनके पास दो ही रास्ते होते हैं. या तो आपने प्यार को पाना या फिर खुद को मिटा देना.
लड़कियों को भी यह समझने होगा कि ख़ुदकुशी कोई समाधान नहीं है. मरने के बाद अगर किसी को प्यार का एहसास हो भी जाए तो क्या फर्क पड़ता है. बेहतर तो यही होगा कि लड़कियां जीते जी अपनी भावनाओं को समझा पायें. वैसे भी समय से पहले और तकदीर से ज्यादा किसी को क्या मिलता है. नियति भी कोई चीज़ होती है......
सदा तो धूप के हाथों में भी परचम नहीं होता
ख़ुशी के घर में भी बोलो क्या कोई गम नहीं होता?
फ़क़त एक आदमी के वास्ते जग छोड़ने वाले
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता


उम्मीद है अब ऐसी ख़बरें हमारे कान के पर्दे से नहीं टकराएंगी.

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