खबरों की दुनिया में चल चला चल ही ठहर गया हैं .आप के जो आलाकमान कमीने किस्म के बैठे मिलेगे वो मेरे भाई कुछ नहीं जानते हम उनसे १००% जादा जानते हैं पर उनके पास नौकरी हैं और हम झक मर कर इंटर्न की आड़ में खुद को पिसवाते हैं और मजबूरन ही कहे ये तो शब्दों की महिमा हैं की हमे काम सिखाया जाता हैं ......
............................................................................................पर ये भी तय हैं की जब हम आयेगे तो लात मरकर इन हराम के पिलो को पत्रिकारता से निकल बहार कर देगे ये पत्रिकारता का संक्रमण काल हैं हम तो उस चौथे इस्ताम्भ के लिए जिए और मरेगे जो इसके मूल केंद्र में रखा गया हैं ...........हम आन्दोलन भी करेगी गलत करने वालो को सजाय मौत तो नहीं केवल उसके उनके हाथ और जुबान जरूर कटेगे ............................................
.................................ये वादा हैं पत्रकारिता धर्म से जिसको हमने विश्वविधालय से पाया हैं ...अपना नारा छीनो मरो लोटो ...........
बुधवार, 14 अप्रैल 2010
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