any content and photo without permission do not copy. moderator

Protected by Copyscape Original Content Checker

मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

हमने राखी टाईप के एंकर को लाईन नहीं मारी, फिर भी...................

 आई.बी.एन.में इंटर्न का वो भी एक दिन था। रोज़ की तरह एक बडे़ से हॉल के अन्दर ढेर सारे लोग अपने-अपने कम्प्यूटर पर काम कर रहे थे। हॉल के ही एक कोने में चैनल का स्टूडियो था। वह स्टूडियो क्या था......पूरे चैनल के आकर्षण का केन्द्र था। मै स्टूडियो के करीब आउटपुट विभाग में खड़ा हो गया। राकेश त्रिपाठी पहले से वहां मौजूद थे ,अपने काम में व्यस्त थे। मैने उन्हे अपनी ओर बुलाया और स्टूडियो की ओर देखने का इशारा किया। दरअसल स्टूडियो में एक महिला एंकर एंकरिंग कर रही थी। हम लोग कभी टी.वी. देख रहे थे ,कभी उस एंकर को......। मैने देखा कि एक साहब हम लोगों को घूर रहे थे....मैने त्रिपाठी जी से कहा कि देखिये ...वो हम लोगों को घूर रहा है। मेरा ख्याल है यहां से कट लिया जाए....। लेकिन (कॉन्फिडेंस का दूसरा नाम राकेश) त्रिपाठी जी नहीं समझे....वो बोले इसका कोई मतलब नहीं है । हम लोग एंकरिंग देख रहें हैं.....किसी को क्या प्राब्लम है ।लेकिन तभी वो साहब हमारे पास आ गये.....और बोल उठे...तुम लोग यहां इंटर्न करने आये हो...त्रिपाठी जी गर्व से बोले हां सर । वो साहब अजीब सा चेहरा बनाकर बोले....तुम दोनो दुबारा यहां दिखायी मत देना, जाकर कुछ काम करो...। मैने तुरन्त    ''  बाएं मुड़ आगे बढ़ ''   वाला फन्डा अपनाया और वहां से वैसे ही गायब हुआ जैसे गुरुदेव  के रूम से ललित और हर्ष उस समय गायब हुए थे , जब अपने विवेक भाई, फरहान साहब के लिये गुरूदेव के पास पूरी टीम लेकर वकालत करने करने गये थे.....और गुरूदेव ने डांट दिया था। ख़ैर अब हम लोग सुरक्षित इलाके में पहुंच चुके थे......मेरा मतलब स्पोर्ट डेस्क के पास..... जहाँ से  आदिमानव टाईप के वो सर हम लोगों को देख नहीं सकते थे....। मैने त्रिपाठी जी से पूछा वो क्यों बकवास कर रहा था......वे बोले -पता नहीं मह.राज उसको क्या दिक्कत है........। मैने कहा --अरे यार उसको लग रहा था कि हम लोग एंकर को लाईन मार रहे हैं.........उस दिन के बाद से मै रोज वहीं जाकर खड़ा होता हूं ...लेकिन अकेला...। अब वो आदिमानव कुछ नहीं बोलता है.... शायद उसे हम दोनो के साथ-साथ खड़ा रहने से प्राब्लम है........और शायद इसी को तो कहते हैं कि डर के आगे जीत है......क्योंकि हमने एंकर को लाईन नहीं मारा था.....तो नहीं मारा था.......... भला एंकर भी कोई लाईन मारने की चीज है...वो भी ''राखी टाईप की एंकर''  लेकिन आदिमानव और महामानव को कौन समझाये .......





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें