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बुधवार, 31 मार्च 2010

इन्टर्न का तिलिस्म टूट ही गया .............

१५ फरवरी २०१० से मैंने भी आई बी एन सेवेन में इन्टर्न शुरू किया.........मै यहाँ कोई बड़ी आशा लेकर नहीं आया था....क्योंकि मेरे सीनियर रजत सर ने मुझसे कहा था कि किसी छोटे चैनल में इन्टर्न करना ,वहां ज्यादा सिखने को मिलेगा ........लेकिन प्लेसमेंट ऑफिसर साहब की मेहरबानी से आई बी एन सेवेन चला आया.....मुझे यहाँ अच्छा लगा ,यहाँ एक चीज मुझे महसूस हुआ की मुझे यहाँ दुसरे या तीसरे सेमेस्टर में ही आ जाना चाहिए था....जिससे मै न्यूज़ चैनल्स की रिक्वायरमेंट्स को पहले ही समझ पाता .......खैर ,देर आये दुरुस्त आये बोले तो जब जागो तभी सवेरा ........जब वहां पहुंचा तो मेरे साथ तीस लोग इन्टर्न ज्वाइन किये ...सभी को अलग -अलग जगहों पर लगाया गया...मुझे गेस्ट को -आर्डिनेशन में लगा दिया गया , मेरे साथ मेरे दोस्त राकेश त्रिपाठी जी भी थे .....उन्हें आउटपुट में लगाया ..... बेचारे बहुत ही सीधे और शरीफ आदमी -----पहली बार पता चला की माखनलाल में ऐसे व्यक्तित्व भी उपस्थित हैं ...खैर अगले दिन से मुझसे दोपहर १२ बजे से ९ बजे तक रहने को कहा गया ...............एक हफ्ते बाद मुझे में लगा दिया गया है...आउटपुट वाले साहब ९ बजे बुलाने लगे हैं आने लगा हूँ..आना पड़ता है....इधर गेस्ट वाले सर और मैडम अभी तक मुझ पर अधिकार जता रहे हैं ....शाम को ६ बजे से गेस्ट के घर भेज देते है ....................१० बजे रात तक की छुट्टी ....... फिर भी जाता हूँ..पहले ही बता चूका हूँ कि जाना पड़ता है .........वैसे मजा भी आता है नेता -सांसद- विधायक-पत्रकार सबसे मुलाकात हो जाती है ...इधर मेरे साथ अन्शुमान सिंह और आशीष चौरसिया भी आये हैं इंडिया टीवी में ....अन्शुमान का तो दोपहर १२ बजे से मानो दम -बेदम होने लगता है ...............लगते हैं ----- कॉल करने -मिस कॉल करने , मैसेज भेजने.... कहाँ हो..कब आइहो .....मै आ जाता हूँ ,,,सच कहूँ तो मुझे भी मजा आता है ....जितना मजा क्लास छोड़ने में नही आता था उससे ज्यादा मजा यहाँ आता है ........दोनों लोग मिलकर कभी जी न्यूज को कभी- पी न्यूज को ....................गरियाते रहते हैं........बीच -बीच में विवेक - प्रकाश(सी एन ई बी )अभिमन्यु, भाई लोग से मुलाकात होती रहती है...एक शाला एक लड़का से भी रोज मुलाकात हो जाती है.....वो कब खुस हो जाता है कब रोने लगता है पता ही नही चलता ,वो भी अपने आप में एक सनसनी है...........
एक दिन पी सी आर रूम में गये ...मेरे साथ एक लड़का और था.....लड़के ने कुछ पूछ दिया ......मानो उससे कुछ गलती हो गयी --------- एक साहब बौरा गये ,कहने लगे................ कहाँ चले आये ?किस फिल्ड में चले आये ,तुम लड़की होते तो तुम्हारा कुछ होता भी , कुछ किया भी जाता ,तुम हो लौंडा ,तुम्हारा क्या किया जाये , ...........................भाई हम तो सुनकर दंग रह गये, खैर वो भी पक्का मर्द निकला जो सच्चाई थी ,खुलकर कह दिया .......लेकिन भाई (DAR) भय के आगे जीत है ... इंशा अल्ला सीख ही रहा हूँ.........कुल मिलाकर आईबी एन में प्लेसमेंट की सम्भावना बहुत कम है ..........वैसे दुसरे जगह मिलेगी, तीसरे जगह मिलेगी ......बचके कहाँ जाएगी..... मिलेगी-मिलेगी ...क्योंकि हम हैं राही प्यार के फिर लिखेंगे - चलते चलते........ विवेक भाई जय श्री राम

2 टिप्‍पणियां:

  1. bhai anubhav ko yun hee hee likhte raho upanyaas tayaar hjo jaayega bahut sahi likhte rahio cavs today ek samoohik shakti par likhne ke liye sabhi kee taraf se dhanyavaad

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  2. your point of view is extremely adoreable but not accesses good plz and plz run at the way of wrighting we all are the wellwisher of you and your writing last it long ...........

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