तन्मय जैन
आखिर रेल कर्मचारी कब होंगे काम के प्रति सजग............ अभी कुछ दिन पहले ही मेरा मन भोपाल में नहीं लग रहा था.........सोचा था घर को चला जाये तो थोडा मन लग जायेगा ................लेकिन रास्तेमें एक अजब बाकया हुआ ...............उस बाकये में मेरी भी गलत थी लेकिन रेलवे प्रशासन की लापरबाहीभी सामने आई ..................हुआ यु की ट्रेन से सफर करते समय दोपहर में ज्यादा गर्मी लग रही थी सोचा की जेकेट को उतार दिया जाये लेकिन क्या पता था की में जेकेट उतार नहीं रहा बल्कि रेलवे प्रशासन को दान में दे रहा हु .................उतारते बक्त में जेकेट ट्रेन में ही भूल गया ...............और जब तक मुझे दयां आया ट्रेन जा चुकी थी...............मैंने टी टी से कहा की मेरी जेकेट ट्रेन में ही रह गयी है और जहा बह रखी है उसकी लोकेसन ये है ......................तो पहले तो उन्होंने टिकिट की मांग की दिखाने बेपारबह बोले की आपकी जेकेट मिलने के चांस न के बराबर ही है .............या तो अगले स्टेशन पर रेलवे कर्मचारी जाएगे ही नहीं अगर जायेगे भी तो जेकेट को स्वयं ही रख लेंगे ................यह सुनकर मुझे हंसी भी आई और दुःख भी हुआ ....दुःख इस बात का की जब तक हमारे कर्मचारी सुधरेंगे नहीं तब तक हम एक सम्पन्न देश की कल्पना नहीं कर सकते........और हंसी इस बात की की जब बह यह कह रहे थे कि जेकेट मिलना मुश्किल है उनके चेहरे पर मुश्कान थी अब आप इससे ही अंदाजा लगा सकते है कि बह पहले ही समझ चुके थे कि जेकेट मिलना मुश्किल है................ एक और जहा ममता जी रेलवे में बदलाब कि बात करती है .....बही दूसरी और इस तरह कि करामत हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि जब इस तरह का माहोल है तो bakayi me बदलाब हो पायेगा या सिर्फ बदलाब कि बाते ही होती रहेगी.............................
आखिर रेल कर्मचारी कब होंगे काम के प्रति सजग............ अभी कुछ दिन पहले ही मेरा मन भोपाल में नहीं लग रहा था.........सोचा था घर को चला जाये तो थोडा मन लग जायेगा ................लेकिन रास्तेमें एक अजब बाकया हुआ ...............उस बाकये में मेरी भी गलत थी लेकिन रेलवे प्रशासन की लापरबाहीभी सामने आई ..................हुआ यु की ट्रेन से सफर करते समय दोपहर में ज्यादा गर्मी लग रही थी सोचा की जेकेट को उतार दिया जाये लेकिन क्या पता था की में जेकेट उतार नहीं रहा बल्कि रेलवे प्रशासन को दान में दे रहा हु .................उतारते बक्त में जेकेट ट्रेन में ही भूल गया ...............और जब तक मुझे दयां आया ट्रेन जा चुकी थी...............मैंने टी टी से कहा की मेरी जेकेट ट्रेन में ही रह गयी है और जहा बह रखी है उसकी लोकेसन ये है ......................तो पहले तो उन्होंने टिकिट की मांग की दिखाने बेपारबह बोले की आपकी जेकेट मिलने के चांस न के बराबर ही है .............या तो अगले स्टेशन पर रेलवे कर्मचारी जाएगे ही नहीं अगर जायेगे भी तो जेकेट को स्वयं ही रख लेंगे ................यह सुनकर मुझे हंसी भी आई और दुःख भी हुआ ....दुःख इस बात का की जब तक हमारे कर्मचारी सुधरेंगे नहीं तब तक हम एक सम्पन्न देश की कल्पना नहीं कर सकते........और हंसी इस बात की की जब बह यह कह रहे थे कि जेकेट मिलना मुश्किल है उनके चेहरे पर मुश्कान थी अब आप इससे ही अंदाजा लगा सकते है कि बह पहले ही समझ चुके थे कि जेकेट मिलना मुश्किल है................ एक और जहा ममता जी रेलवे में बदलाब कि बात करती है .....बही दूसरी और इस तरह कि करामत हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि जब इस तरह का माहोल है तो bakayi me बदलाब हो पायेगा या सिर्फ बदलाब कि बाते ही होती रहेगी.............................
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