संविधान के रक्षक माने जाने वाले केरल के शंकराचार्य केशवानन्द भारती का रविवार 6 सितम्बर को निधन हो गया।
भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में उनके योगदान को भुलाया नहीं जायेगा।
1973 में केशवानन्द भारती मामले में सभी 13 जजों ने 68 दिनों तक सुनवाई की और अनुच्छेद 368 के अंर्तगत कहा कि संसद भी संविधान की मूल संरचना में परिवर्तन नहीं कर सकती है। बहुमत से दिये गये इस निर्णय से संविधान और मजबूत हुआ। जिस पर ये देश खड़ा है।
इस निर्णय के साथ केशवानन्द भारती जी भी अमर हो गये।
ऐसे धर्मगुरू को मेरा नमन।
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