माउंटेन मेन को नमन
सिर्फ छेनी और हथौड़ा था उनके पास। वो भी निःशुल्क मिले थे। 360 फुट लंबे, 30 फुट चौड़े और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काटना आसान नहीं, आज भी असम्भव सा लगता है। मगर बिहार, गया जिले के गिल्हौर गांव के माउंटेन मेन अर्थात दशरथ माँझी ने सम्भव कर दिखाया। उन्होंने एक-दो दिन नहीं बल्कि 22 वर्षों तक संघर्ष किया। एक सूखा शरीर, तन पर कुछ कपड़े और गरीबी की लाचारी। मगर धुन के पक्के थे।,,,मतलब जब तक तोड़ेंगे नहीं, जब तक छोड़ेंगे नहीं। पहाड़ काटकर रास्ता बना, जिससे बजीरगंज ब्लॉक की दूरी 55 से 15 किमी हो गयी। उस समय हंसने और मज़ाक उड़ाने वाले लोग हंसते रह गये और वो इतिहास में अमर हो गये।
लेकिन किसी के अमर हो जाने से उनकी पीढियां विकास की मुख्यधारा में आ जायेंगी ये जरूरी नहीं।
शहरी चमक-धमक और फिल्मों में गांव-गरीबी देखने वाले कहते कि अब कोई गरीब नहीं, अब विषमता नहीं। उन्हें सुदूर आदिवादी गांवों का रूख करना चाहिए।
मेहनतकश जनता को सैल्यूट।
दशरथ मांझी के परिनिर्वाण दिवस पर उनको नमन।
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