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बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

अखण्ड भारत के निर्माता को नमन

अखण्ड भारत के निर्माता को नमन
आज भारत देश जिस नींव पर खड़ा है और अखंड रूप में विश्व में अपनी पताका फहरा रहा है। उसका अधिकांश श्रेय एक किसान के बेटे को जाता है। वे भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे। ऐसे महापुरुष, दूरदर्शी, अधिवक्ता, राजनीतिज्ञ, भारत रत्न, लौहपुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल की 144 वीं जयंती है। हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी में उनको सरदार अर्थात प्रमुख कहा जाता है। 
गरीब किसान झवेरभाई पटेल के परिवार में जन्मे सरदार बल्लभ भाई पटेल का जीवन संघर्षों से भरा रहा। वह अपनी पढ़ाई के साथ खेतों में पिता का साथ देते थे। यही कारण था कि वे 22 साल में हाईस्कूल की पढ़ाई कर पाये। बाद में कानून की पढ़ाई के लिए वे इंग्लैंड चले गये। 
खेड़ा और बारदोली किसान सत्यागृह से वे जुड़े और अंग्रेज सरकार को कर घटाने पर मजबूर कर दिया। 
562 छोटी-बड़ी देशी रियासतों को मिलाकर एक अखण्ड भारत देश का निर्माण किया। हालाँकि हैदराबाद, जूनागढ़, त्रावणकोर, जम्मू कश्मीर की रियासतों ने थोड़ी परेशानी खड़ी की, लेकिन उनकी सैनिक कार्यवाही और कूटनीति के चलते उनको भी मिला लिया गया।
1930 में जब गुजरात में प्लेग फैला तो एक दोस्त को बचाने और सेवा करने खुद पहुंच गये। उनको भी बीमारी लग गयी। महीनों बाद ठीक हुई।
राष्ट्रहित में उन्होंने आरएसएस पर 1948 में प्रतिबंध लगा दिया। क्योंकि उनको पता चला कि गांधी की मौत के बाद आरएसएस के लोगों ने जश्न मनाया था।
उनका दिल नरम था तो कठोर भी। कहते हैं कि 1909 में जब वे वकालत कर रहे थे तो पत्नी के निधन की चिट्ठी मिली। फिर भी वे विचलित नहीं हुये। वकालत पूरी करने के बाद ही उन्होंने जानकारी दी और चले गये।
राष्ट्रीय एकता दिवस की आप सबको बधाईयां। 
जन्म 31 अक्टूबर 1875 नडियाद गुजरात
अवसान-15 दिसंबर 1950 मुंबई।
ऐसे महान सपूत को ये देश नमन करता रहेगा।

मंगलवार, 22 अक्टूबर 2019

अशफ़ाक़ उल्ला खां को नमन, वंदन।

"जाऊँगा खाली हाथ मगर, यह दर्द साथ ही जायेगा;जाने किस दिन हिन्दोस्तान, आजाद वतन कहलायेगा"।
अशफ़ाक़ उल्ला खां को नमन, वंदन।
स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी, जिन्होंने काकोरी कांड में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रामप्रसाद बिस्मिल के साथ अशफ़ाक़ उर्दू के बेहतरीन शायर थे। दोनों की दोस्ती मज़हब से ऊपर थी। दोनों एक दूसरे का सम्मान करते थे। पीठ पीछे भी कोई बुराई वे सुन नहीं सकते थे। उनमें देशभक्ति कूट-कूट कर भरी थी। वे हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक थे। ब्रितानी हुक़ूमत ने 19 दिसम्बर 1927 को फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका दिया।
जन्म 22 अक्टूबर 1900 शाहजहांपुर
देश के सपूत को जन्मदिन पर उनको नमन, वंदन।
उनकी शायरी-
"जाऊँगा खाली हाथ मगर, यह दर्द साथ ही जायेगा;जाने किस दिन हिन्दोस्तान, आजाद वतन कहलायेगा।
बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं, फिर आऊँगा-फिर आऊँगा; ले नया जन्म ऐ भारत माँ! तुझको आजाद कराऊँगा।।
जी करता है मैं भी कह दूँ, पर मजहब से बँध जाता हूँ; मैं मुसलमान हूँ पुनर्जन्म की बात नहीं कह पाता हूँ।
हाँ, खुदा अगर मिल गया कहीं, अपनी झोली फैला दूँगा; औ' जन्नत के बदले उससे, यक नया जन्म ही माँगूँगा।।"

गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019

डॉ सोनेलाल पटेल को परिनिर्वाण दिवस पर नमन,वंदन

बोधिसत्व डॉ. सोनेलाल पटेल के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनके कार्यों को नमन, वंदन
किसानों, कमरों के सामाजिक नेता जिन्होंने आजीवन संघर्ष किया। वो अंधविश्वास के विरोधी और सामाजिक न्याय के पक्षधर थे। उन्होंने कर्म को प्रधानता देने वाली जाति कुर्मियों में राजनैतिक चेतना पैदा की। 1994 में बेगम हजरत महल पार्क लखनऊ में हुई उनकी रैली को बीबीसी लन्दन ने सबसे बड़ी जातीय रैली बताया था। 4 नवम्बर 1995 को उन्होंने अपना दल बनाने की घोषणा की। 15 फरबरी 1999 को लाखों समर्थकों के साथ उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर भंते प्रज्ञानन्द से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और बोधिसत्व कहलाये।
उनकी बढ़ती ताकत को देखते हुये विरोधी घबरा गये। किसी कीमत पर उनकी बढ़ती लोकप्रियता को रोकना चाहते थे। 1999 में जब वे इलाहाबाद में रैली कर रहे थे तो साजिश के तहत मारने के इरादे से लाठीचार्ज करवाया गया। इस घटना को एक फ़ोटो पत्रकार ने कैमरे में कैद कर लिया और भाग गया। लिहाज़ा उनको जिंदा छोड़ दिया गया। हालांकि वे बच जरूर गये, लेकिन उनकी तबियत अक्सर खराब रहने लगी। 17 अक्टूबर 2009 में कानपुर में कार दुर्घटना में निर्वाण की प्राप्ति हुई। उनकी मौत की सीबीआई जांच की मांग की गयी, लेमिन ऐसा नहीं हो पाया।
ऐसी महान आत्मा को मेरा नमन, वंदन। 

मंगलवार, 8 अक्टूबर 2019

रावण कौन है?

रावण कौन है?
रावण को न पहचानते हो, न जानते हो
और न ही पहचानना चाहते हो।
तुम मारोगे कैसे?
तुम जाति, धर्म, सम्प्रदाय में बंटे लोग हो।
तुम संघटन, पार्टी, जमात में बंटे लोग हो।
तुम मारोगे कैसे?
वह कतिथ प्रकांड विद्वान था, बिना इजाजत
स्त्री को छूना पसन्द नहीं करता था।
अब भय, ताकत, रुतबा, पहुंच दिखाकर नोंच
रहे बालिकाओं के जिस्म को,तुमने पहचाना?
बेटी, बेटियों में फर्क करने वालो,बांटने वालो,
तुम मारोगे कैसे?
रेपिस्टों, अत्याचारियों, लिंचिंग के आरोपियों
का महिमा मंडन किसने किया और क्यों?
अनाचारियों को बचाने तिरंगा रैली और जयकारे
किसने लगाये और क्यों? तुम पहचानते ही नहीं,
तुम मारोगे कैसे?
रावण अजर, अमर है। मूर्खों की जमात और
व्यवस्था, अव्यवस्था के बीच।
बुराई, अत्याचार, अनाचार, रेपिस्टों के बीच आज
उसने फिर होने का पुख्ता सबूत दिया।

सोमवार, 7 अक्टूबर 2019

ऋषभ व उनकी टीम को पुनः बधाईयां

लॉ स्टूडेंट ऋषभ रंजन उनके सभी साथी जिन्होंने आरे के पेड़ों को बचाने के लिये sc में जनहित याचिका दाखिल की और सफलता मिली। जंगल को बचाने के लिये आगे आने वाले, संघर्ष करने वाले हर शख्स को बधाईयां। सासों लिये यह बहुत ही जरूरी था।
पेड़ कटना नहीं, नये पौधे रोपे जाने चाहिए। ताकि जीवन के लिये साफ वायु मिल सके। 
देश को उन्मादी युवाओं की जरूरत नहीं। ऐसे ही युवा की जरूरत है।
ऋषभ व उनकी टीम को पुनः बधाईयां। 

शनिवार, 5 अक्टूबर 2019

,,,मेरी एक दिन की कहानी नहीं है साहेब

मेरी एक दिन की कहानी नहीं है साहेब
सालों, साल का स्वयं साक्षात इतिहास हूँ मैं
बारिश, पतझड़, शीत जाने कितने मौषम आये
झुके, हिले, लहलहाये और सदा यूं ही मुस्कुराये
चिड़ियों का चहचहाना, फड़फड़ाना और उड़ना।
छांव में बैठे मूक जानवर, सब बखूबी याद है हमें
क्या लेता हूँ आपसे? कभी सोचा तो होगा आपने
बस खड़ा हूँ जड़ों को समेटे हुये कुछ गज जमीं पर
फूल, फल और इमारती लकड़ी देता हूँ मैं आपको
सांसों के लिये साफ, ताजी वायु देता हूँ मैं आपको
अपने को मिटा सब कुछ न्यौछावर करता हूँ आपको
मैं विशालकाय पेड़ हूँ, मैं विशालकाय पेड़ हूँ,
,,,मेरी एक दिन की कहानी नहीं है साहेब
#SaveAarey
#saveForest
#Savebreath
#Savelives

बुधवार, 2 अक्टूबर 2019

,,,शास्त्री जी ने रखी देश की नींव

,,,शास्त्री जी ने रखी देश की नींव
गांधी भले ही विश्व भर में प्रसिद्ध हों, लेकिन देश के गृहमंत्री और दूसरे प्रधानमंत्री मंत्री लाल बहादुर शास्त्री को देश कभी नहीं भुला पायेगा। उनका जीवन कठिन संघर्षों से भरा रहा। डेढ़ वर्ष में पिता का साया उठ गया। वो स्कूली दिनों में गर्म दोपहरी में भी नंगे पैर ही स्कूल जाया करते थे।
11 जनवरी 1966 को तास्कन्द रूस में सदमे से उनकी मौत हो गयी। उनके पास कर्ज से खरीदी फ़िएट कार, जिसका कर्ज वो pm बनने के बाद भी नहीं चुका पाये। बाद में उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने चुकाया। कुछ किताबें, एक लालटेन, एक बिछाने की चटाई, बैंक में मात्र 7,000 रुपये और नेहरू का दिया हुआ एक कोट ही था।
सादगी के प्रतीक रहे छोटे कद के महान व्यक्तित्व ने जय जवान, जय किसान का नारा देकर देश की नींव रखी। जिस पर ये देश खड़ा है।
वो आजीवन गरीबी में जिये और गरीबी में ही उनका अवसान हो गया।
जन्म 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय
शास्त्री जयंती की आप सबको बधाईयां। 

,,,"गांधी अब तक मरे क्यों नहीं"

,,,"गांधी अब तक मरे क्यों नहीं"
बात 1942 की है जब गांधी आजादी के लिये अनशन शुरू कर दिये। देश मे भारत छोड़ो आंदोलन जोर पकड़ चुका था। बिरतानी हुक़ूमत इससे घबराई हुई थी। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल गांधी से बहुत नाराज थे। वह तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लीनलिथगो से गांधी के अनशन पर नजर बनाये हुये थे। उनको गांधी द्वारा पानी के साथ ग्लूकोज लेने का पता चला तो उनकी जांच करवायी गयी। हालाँकि झूठ निकला। वह कहते थे ये अर्धनग्न फ़कीर मरता है तो मरने दो। एक बार तो वायसराय से पूछा कि "गांधी अब तक मरे क्यों नहीं"।
बाद में 1944 में गांधी भी चर्चिल को पत्र लिखते हैं जिसमें कहते हैं कि "मैंने सुना कि आप एक साधारण ‘नंगे फ़कीर’ को कुचल देना चाहते हो. मैं बहुत लंबे समय से फ़क़ीर होने की कोशिश कर रहा हूँ"। हालांकि चर्चिल तक यह पत्र नहीं पहुंचा।
वह दक्षिण अफ्रीका से लेकर विश्व भर में प्रसिद्ध हो चुके थे। वो अमेरिका कभी नहीं गये, लेकिन बता दूं कि दो दर्जन से अधिक स्थानों पर लगी मूर्तियां उनके कद को दिखा रही हैं। पाकिस्तान, चीन सहित 84 देशों में प्रतिमाएं स्थापित हैं। उनको मारने की 5 बार कोशिश हुई और छठवीं बार गोडसे ने गोली मार दी।
गांधी हमारी आत्मा में बसे हैं। उनको मारा नहीं जा सकता। जब-जब उनको पढ़ा जायेगा तो गोडसे और उसकी विचारधारा पर थूका जाता रहेगा।
गांधी में कुछ कमियां भी थी। सबसे बड़ी कमी थी कि वो वर्णाश्रम व्यवस्था के पक्षधर थे। मनु की इस जातिवादी व्यवस्था जिसने देश का सर्वनाश किया हो, उसका गांधी सर्मथन करते थे। वह शूद्रों को अधिकार देना ही नहीं चाहते थे। भगतसिंह और उनके साथी क्रांतिकारियों को बचाने का ठोस प्रयास नहीं किया। पट्टाभिसीतारमैया की हार पर वे अपनी हार बता देते।
 कमियां के बाद भी ,,,गांधी होना आसान नहीं है।
उनके अच्छे कार्यों को नमन।
गाँधी जयंती की बधाईयां।