अखण्ड भारत के निर्माता को नमन
आज भारत देश जिस नींव पर खड़ा है और अखंड रूप में विश्व में अपनी पताका फहरा रहा है। उसका अधिकांश श्रेय एक किसान के बेटे को जाता है। वे भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे। ऐसे महापुरुष, दूरदर्शी, अधिवक्ता, राजनीतिज्ञ, भारत रत्न, लौहपुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल की 144 वीं जयंती है। हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी में उनको सरदार अर्थात प्रमुख कहा जाता है।
गरीब किसान झवेरभाई पटेल के परिवार में जन्मे सरदार बल्लभ भाई पटेल का जीवन संघर्षों से भरा रहा। वह अपनी पढ़ाई के साथ खेतों में पिता का साथ देते थे। यही कारण था कि वे 22 साल में हाईस्कूल की पढ़ाई कर पाये। बाद में कानून की पढ़ाई के लिए वे इंग्लैंड चले गये।
खेड़ा और बारदोली किसान सत्यागृह से वे जुड़े और अंग्रेज सरकार को कर घटाने पर मजबूर कर दिया।
562 छोटी-बड़ी देशी रियासतों को मिलाकर एक अखण्ड भारत देश का निर्माण किया। हालाँकि हैदराबाद, जूनागढ़, त्रावणकोर, जम्मू कश्मीर की रियासतों ने थोड़ी परेशानी खड़ी की, लेकिन उनकी सैनिक कार्यवाही और कूटनीति के चलते उनको भी मिला लिया गया।
1930 में जब गुजरात में प्लेग फैला तो एक दोस्त को बचाने और सेवा करने खुद पहुंच गये। उनको भी बीमारी लग गयी। महीनों बाद ठीक हुई।
राष्ट्रहित में उन्होंने आरएसएस पर 1948 में प्रतिबंध लगा दिया। क्योंकि उनको पता चला कि गांधी की मौत के बाद आरएसएस के लोगों ने जश्न मनाया था।
उनका दिल नरम था तो कठोर भी। कहते हैं कि 1909 में जब वे वकालत कर रहे थे तो पत्नी के निधन की चिट्ठी मिली। फिर भी वे विचलित नहीं हुये। वकालत पूरी करने के बाद ही उन्होंने जानकारी दी और चले गये।
राष्ट्रीय एकता दिवस की आप सबको बधाईयां।
जन्म 31 अक्टूबर 1875 नडियाद गुजरात
अवसान-15 दिसंबर 1950 मुंबई।
ऐसे महान सपूत को ये देश नमन करता रहेगा।