बोधिसत्व डॉ. सोनेलाल पटेल के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनके कार्यों को नमन, वंदन
किसानों, कमरों के सामाजिक नेता जिन्होंने आजीवन संघर्ष किया। वो अंधविश्वास के विरोधी और सामाजिक न्याय के पक्षधर थे। उन्होंने कर्म को प्रधानता देने वाली जाति कुर्मियों में राजनैतिक चेतना पैदा की। 1994 में बेगम हजरत महल पार्क लखनऊ में हुई उनकी रैली को बीबीसी लन्दन ने सबसे बड़ी जातीय रैली बताया था। 4 नवम्बर 1995 को उन्होंने अपना दल बनाने की घोषणा की। 15 फरबरी 1999 को लाखों समर्थकों के साथ उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर भंते प्रज्ञानन्द से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और बोधिसत्व कहलाये।
उनकी बढ़ती ताकत को देखते हुये विरोधी घबरा गये। किसी कीमत पर उनकी बढ़ती लोकप्रियता को रोकना चाहते थे। 1999 में जब वे इलाहाबाद में रैली कर रहे थे तो साजिश के तहत मारने के इरादे से लाठीचार्ज करवाया गया। इस घटना को एक फ़ोटो पत्रकार ने कैमरे में कैद कर लिया और भाग गया। लिहाज़ा उनको जिंदा छोड़ दिया गया। हालांकि वे बच जरूर गये, लेकिन उनकी तबियत अक्सर खराब रहने लगी। 17 अक्टूबर 2009 में कानपुर में कार दुर्घटना में निर्वाण की प्राप्ति हुई। उनकी मौत की सीबीआई जांच की मांग की गयी, लेमिन ऐसा नहीं हो पाया।
ऐसी महान आत्मा को मेरा नमन, वंदन।
किसानों, कमरों के सामाजिक नेता जिन्होंने आजीवन संघर्ष किया। वो अंधविश्वास के विरोधी और सामाजिक न्याय के पक्षधर थे। उन्होंने कर्म को प्रधानता देने वाली जाति कुर्मियों में राजनैतिक चेतना पैदा की। 1994 में बेगम हजरत महल पार्क लखनऊ में हुई उनकी रैली को बीबीसी लन्दन ने सबसे बड़ी जातीय रैली बताया था। 4 नवम्बर 1995 को उन्होंने अपना दल बनाने की घोषणा की। 15 फरबरी 1999 को लाखों समर्थकों के साथ उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर भंते प्रज्ञानन्द से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और बोधिसत्व कहलाये।
उनकी बढ़ती ताकत को देखते हुये विरोधी घबरा गये। किसी कीमत पर उनकी बढ़ती लोकप्रियता को रोकना चाहते थे। 1999 में जब वे इलाहाबाद में रैली कर रहे थे तो साजिश के तहत मारने के इरादे से लाठीचार्ज करवाया गया। इस घटना को एक फ़ोटो पत्रकार ने कैमरे में कैद कर लिया और भाग गया। लिहाज़ा उनको जिंदा छोड़ दिया गया। हालांकि वे बच जरूर गये, लेकिन उनकी तबियत अक्सर खराब रहने लगी। 17 अक्टूबर 2009 में कानपुर में कार दुर्घटना में निर्वाण की प्राप्ति हुई। उनकी मौत की सीबीआई जांच की मांग की गयी, लेमिन ऐसा नहीं हो पाया।
ऐसी महान आत्मा को मेरा नमन, वंदन।
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