बुधवार यानि 14 सितम्बर को पी एल पुनिया भोपाल में मौजूद थे....पुनिया महोदय ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि दिल्ली और लखनऊ के मेडिकल कॉलेजों में अनुसुचित जाति के छात्रों को कॉलेज प्रबंधन द्वारा जानबूझकर फेल कर दिया जाता है....सामान्य वर्ग के छात्र जहां तय समय पर एमबीबीएस की पढ़ाई पुरी कर लेते हैं....वहीं अनुसुचित जाति के छात्रों को जानबूझकर फेल कर दिया जाता है.....पुनिया महोदय का ये बयान अनुसुचित जाति के उन छात्रों के हक में जाए न जाए.... लेकिन समाज में नफरत फैलाने का काम जरूर कर रहा है....होना ये चाहिए था कि पुनिया महोदय पहले आरोपियों की जांच कराकर दोषियों को सजा दिलाते.....फिर इस बात के लिए जाहे जितना प्रेस कांफ्रेंस करते.... तब पूरा समाज उनके साथ रहता..... लेकिन दलित वोट की खातिर और अपने आकाओं की नजर में आने की खातिर पुनिया महोदय ने कार्रवाई करने की बजाय राजनिति करना शुरू कर दिया है..... आज जब पूरा देश बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के बनाए संविधान पर चल रहा है....हर विद्वान को इज्जत मिल रही है....फिर भी कुछ राजनेता समाज में जाति-धर्म की फसल उगाकर सत्ता में बने रहना चाहते हैं....जो कि सर्वथा निंदनीय है....इस मामले में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए......लेकिन अपने शिक्षा व्यवस्था में भी जरा सुधार कर लेते तो ठीक रहता.....मेरे खयाल से जो दोष हैं वे ये हैं कि------------------
(1) एक जाति के स्टूडेट को 90 परसेट नम्बर पाने के बाद भी एडमिशन नहीं मिलता, किसी दूसरे जाति के स्टूडेट को आरक्षण की वजह से काफी कम परसेट नम्बर पाने के बाद भी एडमिशन मिल जाता है.....हो सकता है कि फेल होने वाला छात्र भी कम परसेंट पाकर एडमिशन लेने वाला ही हो.....ऐसे में उसके फेल होने का दोषी कोई और नहीं बल्कि हमारे देश की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था है....
(2) दुसरी बात ये है कि कुछ लोग समाज में ऊंच-नीच की बात करके ही टिके हुए हैं....ऐसे लोगों ने अपने उस वर्ग के लोगों का भला कम ही किया है जिनके लिए ये लोग आवाज उठाते हैं, लेकिन अपना भला खुब और खुब किया है.........हाल ही में आई आरक्षण मूवी को सरकारों को प्रोत्साहन देना चाहिए था, टैक्स फ्री कर देना चाहिए था, लेकिन वोट बैंक की राजनिति ने उस फिल्म पर रोक ही लगाने का बंदोबस्त कर दिया.....डर लगता है कि कहीं आरक्षण व्यवस्था का पुर्नमूल्याकंन न हो जाए.....कहीं कुछ उलटा न हो जाए.....कहीं जाति-धर्म की फसल को पाला न मार दे......वो तो भला हो भारत के न्यायपालिका की जो सच को जिंदा रहने की इजाजत देती रहती है....वरना सच का गला घोंटकर अपनी राजनिति चमकाने वाले जो यदा कदा सफल रहते हैं, हमेशा सफल हो जाते।
(1) एक जाति के स्टूडेट को 90 परसेट नम्बर पाने के बाद भी एडमिशन नहीं मिलता, किसी दूसरे जाति के स्टूडेट को आरक्षण की वजह से काफी कम परसेट नम्बर पाने के बाद भी एडमिशन मिल जाता है.....हो सकता है कि फेल होने वाला छात्र भी कम परसेंट पाकर एडमिशन लेने वाला ही हो.....ऐसे में उसके फेल होने का दोषी कोई और नहीं बल्कि हमारे देश की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था है....
(2) दुसरी बात ये है कि कुछ लोग समाज में ऊंच-नीच की बात करके ही टिके हुए हैं....ऐसे लोगों ने अपने उस वर्ग के लोगों का भला कम ही किया है जिनके लिए ये लोग आवाज उठाते हैं, लेकिन अपना भला खुब और खुब किया है.........हाल ही में आई आरक्षण मूवी को सरकारों को प्रोत्साहन देना चाहिए था, टैक्स फ्री कर देना चाहिए था, लेकिन वोट बैंक की राजनिति ने उस फिल्म पर रोक ही लगाने का बंदोबस्त कर दिया.....डर लगता है कि कहीं आरक्षण व्यवस्था का पुर्नमूल्याकंन न हो जाए.....कहीं कुछ उलटा न हो जाए.....कहीं जाति-धर्म की फसल को पाला न मार दे......वो तो भला हो भारत के न्यायपालिका की जो सच को जिंदा रहने की इजाजत देती रहती है....वरना सच का गला घोंटकर अपनी राजनिति चमकाने वाले जो यदा कदा सफल रहते हैं, हमेशा सफल हो जाते।
hyderabaad ho ya bhopal aapki nazar se kuch nahi bach raha. jay ho badheea likha
जवाब देंहटाएंbhai ab jab bhee likhe font ka colour aur size n badle ek formet develope hona chaahiye. font ka jo size daaye taraf hai vahi achha aur ek maanak size hai. yadi aap sahmat ho to.
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