शकील "जमशेदपुरी"
फोटो गूगल के सौजन्य से! |
फूल में खुशबू है तुझसे, महकता है तेरे खातिर
चिंगारी शोलों में भी है, भड़कता है तेरे खातिर
बेशर्मी चांद की देखो ये तकता है तुझे अब तो
बेशर्मी इस दिल की देखो, धड़कता है तेरे खातिर
चिंगारी शोलों में भी है, भड़कता है तेरे खातिर
बेशर्मी चांद की देखो ये तकता है तुझे अब तो
बेशर्मी इस दिल की देखो, धड़कता है तेरे खातिर
अंधेरा फिर घना छाया जुल्फ तूने जो लहराई
तेरा चेहरा जो देखे तो चांद लेता है अंगड़ाई
बहुत सुनते थे चर्चा फूल, कलियां और शबनम की
तेरा चेहरा जो देखे तो चांद लेता है अंगड़ाई
बहुत सुनते थे चर्चा फूल, कलियां और शबनम की
तुझे देखा तो जाना है कि सब तेरी है परछाई
पल्लू में चेहरा छुपाना भी तेरा यूं मुस्कूराना भी
गजब ढाता है यह मुझपर तेरा पलकें छुकाना भी
मुझे हर एक पन्ने में तेरा चेहरा झलकता है
पढूं कोई कहानी या पढूं कोई फसाना भी
गजब ढाता है यह मुझपर तेरा पलकें छुकाना भी
मुझे हर एक पन्ने में तेरा चेहरा झलकता है
पढूं कोई कहानी या पढूं कोई फसाना भी
प्यार शाजिस है गर तेरी तो इश्क है मेरा पेशा
दिखावा दिल मिलाने का भला यह खेल है कैसा!
दिखावा दिल मिलाने का भला यह खेल है कैसा!
निगाहों में बसाकर फिर निगाहों से गिरा देना
हुनर हमको भी आता है मगर करते नहीं वैसा
हुनर हमको भी आता है मगर करते नहीं वैसा
सुन्दर रचना. शीर्षक कुछ अटपटा लगा. "हुनर हमको भी आता " के बदले हुनर हमारे पास भी है या हममे भी हुनर है अधिक अच्छा लगता.
जवाब देंहटाएंआपकी सलाह सर आंखो पर........ टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंbahut shandar..
जवाब देंहटाएं