any content and photo without permission do not copy. moderator

Protected by Copyscape Original Content Checker

शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020

गांधी,,शास्त्री जी को नमन

 गांधी जी,शास्त्री जी को नमन

कुछ किताबें, पुराने जमाने की चटाई, पुरानी लालटेन और कुछ दिनचर्या का सामान शास्त्री संग्रहालय में देखकर आपका गला रूँध जाएगा। कहते हैं कि अंतिम समय उनके खाते में 12-13 सौ रुपये ही थे। रेलमंत्री और देश के दूसरे प्रधानमंत्री जी के जीवन को जब भी आप पढ़े तो आपको गर्व महसूस होगा कि देश की नींव रखने वाले हमारे पूर्वज कितने महान थे। 

जब शास्त्री जी जेल में थे तो लाजपतराय द्वारा स्थापित सर्वेंट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की तरफ़ से 50 रुपए प्रति माह घर चलाने को दिए जाते थे। शास्त्री जी ने जेल से अपनी पत्नी ललिता शास्त्री को पत्र लिखकर पूछा कि क्या उन्हें ये 50 रुपए समय से मिल रहे हैं और घर का ख़र्च चलाने के लिए पर्याप्त हैं ? प्रतिउत्तर में पत्र लिखकर उन्होंने जवाब दिया कि ये धनराशि उनके लिए काफ़ी है। वे 40 रुपये ख़र्च कर रही हैं और हर महीने 10 रुपये बचा रही हैं। इस पर शास्त्री जी ने सोसायटी को पत्र लिखा और कहा कि मेरे घर का खर्च 40 में चल जा रहा है। उतने ही भेजें। शेष 10 रू जरूरतमन्द लोगों को दिये जायें। एक बार सरकारी गाड़ी को बेटे ने घरेलू काम के लिये प्रयोग किया तो उन्होंने ड्राइवर को फटकार लगाई और पूछा कि जितने किमी चली है। लॉक बुक में घरेलू काम में लिखना और उतना पैसा पत्नी ललिता से दिला दिये। रेल मंत्री रहते हुए एक रेल दुर्घटना हुई तो इसकी जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 

भारत पाकिस्तान के बीच ताशकंद समझौता हुआ तो उस रात लाल बहादुर शास्त्री ने घर पर फोन मिलाया। फोन बड़ी बेटी ने उठाया। उन्होंने कहा अम्मा को फोन दो। तो बेटी ने बताया कि अम्मा फोन पर नहीं आएंगी। उन्होंने पूछा क्यों? जवाब मिला कि आपने हाजी पीर और ठिथवाल पाकिस्तान को दे दिया। वो बहुत नाराज हैं।  इससे शास्त्री जी को बहुत धक्का लगा। कहते हैं इसके बाद वो कमरे का चक्कर लगाते रहे। बाद में उन्होंने अपने सचिव वैंकटरमन को फोन लगाकर देश से आ रहीं प्रतिक्रियाएं जाननी चाहीं। उनको बताया कि आपके फैसले की आलोचना हो रही है। वे इतने आहत हुये कि समझौते के 12 घंटे के भीतर 11 जनवरी 1966 उनकी मौत हो गयी। हालांकि आज भी उनकी मौत रहस्यमय बनी हुई है। कुछ लोग जहर देकर मारने के आरोप लगाते हैं। क्योंकि पोस्टमार्टम नहीं किया गया था। लेकिन सच सामने आना चाहिए।

 रेलमंत्री और देश के दूसरे प्रधानमंत्री के पास न तो आलीशान घर था, न ही कार और न ही बैंक बैलेंस।

ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता और उच्चकोटि का चरित्र वाले छोटे कद के दूसरे प्रधानमंत्री भारत रत्न, देश के सपूत के जन्मदिवस पर चरणधूलि को नमन।

,,,,

अधिक अच्छाइयां ग़ांधी जी की कुछ कमियों को पूरी तरह ढक जाती हैं। गांधी समय की जरूरत मगर उनके उसूलों, आदर्शों को आत्मसात करना कठिन। 

शास्त्री, गांधी जयंती की आप सबको बधाइयाँ।